पटना: सामान्यत: मीर समुदाय की छवि शिकारियों की ही रही है. लेकिन वन विभाग मीर शिकारियों को साथ लेकर चलने की कोशिश में है. अब इस समुदाय के लोगों को वन संरक्षण के काम में लगाया जा रहा है. ये वन विभाग के मददगार भी बन रहे हैं. इस समुदाय के लोगों में वन्य जीवों और वनों की गहरी समझ होती है, जिसका फायदा अब वन अधिकारियों को भी मिलने लगा है.
दरअसल, 2 दिन पहले पटना सिटी के अमीर शिकारपुर इलाके से वन विभाग की टीम ने डीएफओ रिचा सिंह के नेतृत्व में छापेमारी की और बड़ी संख्या में 84 प्रकार की प्रतिबंधित श्रेणी में आने वाली खास चिड़ियों को जब्त किया है. बताया जा रहा है कि इन्हें पकड़कर बेचने की तैयारी की जा रही थी. साथ ही इनके पास से तीन भारतीय सारस क्रेन भी बरामद किए गए. इनमें से एक सारस को गहरी चोट लगी थी, जिसका ऑपरेशन कर उसका इलाज किया गया.
मीर शिकारी पक्षियों को पकड़ने में एक्सपर्ट
पटना डीएफओ रिचा सिंह ने बताया कि स्थानीय पुलिस और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से वन विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की थी. हालांकि, इस कार्रवाई में कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी. वहीं, वन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि जिस इलाके से यह बरामदगी हुई है, वह इलाका पशु-पक्षियों की तस्करी के लिए कुख्यात रहा है. मीर शिकारी पक्षियों को पकड़ने के लिए एक्सपर्ट माने जाते हैं.
पक्षियों को प्रवास क्षेत्र में छोड़ा जाएगा
दीपक कुमार सिंह ने आगे बताया कि हम मीर शिकारियों को वन विभाग के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उनसे बात करके उन्हें 'बर्ड रिंगिंग सेंटर' से जोड़ा जायेगा. जिससे उनके हुनर का फायदा विभाग को मिल सके. उन्होंने बताया कि जिन पक्षियों को बरामद किया गया है, उन्हें हिफाजत से रखा गया है. आगे कोर्ट से आदेश मिलने के बाद इन पक्षियों को उनके प्रवास क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा.
'मीर समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास'
गौरतलब है कि घुमंतु जातियों में शुमार मीर समुदाय के लोग अतीत में वन्यजीवों के शिकार से जुड़े रहे हैं, संभवत: इसीलिए आमजन में इनकी छवि ठीक नहीं रही है. इस समुदाय के लोगों के विकास और उन्हें शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन-प्रशासन की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. साथ ही वन विभाग ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करने वाले मीर के विकास और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए अपना अभियान शुरू किया है.