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शिक्षा विभाग की दो टूक: सुधर जाएं कॉलेज और यूनिवर्सिटीज.. तभी मिलेगा फंड

फंड होने के बावजूद शिक्षा विभाग कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उनकी मांग के अनुरूप आर्थिक सहायता नहीं कर पा रहा, क्योंकि ज्यादातर कॉलेज और विश्वविद्यालय नियमानुसार व्यवहार नहीं कर रहे हैं. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत (ETV Bharat Exclusive Interview) के दौरान उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी ने ये बातें कहीं.

Higher Education Director of bihar
Higher Education Director of bihar
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Published : Nov 20, 2021, 6:43 PM IST

पटना: शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के विभिन्न योजनाओं को लेकर अक्सर कॉलेज और विश्वविद्यालय सवाल उठाते हैं कि उन्हें सरकार से समय पर राशि नहीं मिलती है. लेकिन इस बारे में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि गलती विश्वविद्यालयों की है, जिसकी वजह से राशि उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जाती है.

यह भी पढ़ें- हजारों निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग ई संबंधन पोर्टल पर अब तक नहीं किया रजिस्ट्रेशन, आखिरी तिथि बढ़ाने की मांग

बिहार के कॉलेज (Colleges Of Bihar) और यूनिवर्सिटी (University Of Bihar) से अक्सर यह शिकायत आती है कि सरकार उन्हें समय पर ग्रांट नहीं देती या सरकार की घोषणा के अनुरूप खर्च करने पर भी उन्हें उस की प्रतिपूर्ति नहीं होती है. इसे लेकर बिहार के हायर एजुकेशन डायरेक्टर (Higher Education Director) ने ईटीवी भारत के जरिए स्थिति स्पष्ट की है.

यह भी पढ़ें- बिहार शिक्षा विभाग 10 महिला समेत 20 शिक्षकों को करेगा सम्मानित, देखें सूची

उच्चतर शिक्षा निदेशक (HED) डॉ रेखा कुमारी (Dr. Rekha Kumari) ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि फंड होने के बावजूद शिक्षा विभाग वैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय को उनकी मांग के अनुरूप आर्थिक सहायता नहीं कर पा रहा क्योंकि ज्यादातर कॉलेज और विश्वविद्यालय नियमानुसार व्यवहार नहीं कर रहे. डॉ रेखा कुमारी ने बताया कि कहीं ना कहीं उनके तरफ से ही परेशानी है, जिसकी वजह से उन्हें सरकार की तरफ से शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं हो पा रही है.

ईटीवी भारत की बिहार की हायर एजुकेशन डायरेक्टर से खास बातचीत

ये भी पढ़ें- स्कूल छोड़ रहे बच्चे, शिक्षा विभाग ने DEO से मांगी विद्यालय में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की सूची

आपको बता दें कि वर्ष 2015 में बिहार कैबिनेट ने लड़कियों को अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट एजुकेशन के लिए मुफ्त पढ़ाई की सुविधा शुरू की थी. इसके तहत चाहे ग्रेजुएशन हो या पोस्ट ग्रेजुएशन (Free Education Till PG) लड़कियों से किसी भी कॉलेज को शुल्क नहीं लेना था. लेकिन वर्ष 2015 से 2021 तक कॉलेजों को उस शुल्क की प्रतिपूर्ति शिक्षा विभाग की तरफ से नहीं हुई, जिसे लेकर कॉलेज हमेशा सवाल खड़े करते रहते हैं.

यह भी पढ़ें- बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों के शैक्षणिक कौशल में आई गिरावट, कोरोना ने पढ़ाई से किया दूर

"गलती शिक्षा विभाग की नहीं बल्कि उन कॉलेज और यूनिवर्सिटी की है, जो अब तक यह नहीं बता पाए हैं कि किस आधार पर वह लड़कियों से शुल्क लेते रहे हैं. विभिन्न कॉलेजों के शुल्क में एकरूपता नहीं है और यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने अब उनसे उस ऑर्डिनेंस की मांग की है जिसके तहत लड़कियों से कॉलेज अब तक शुल्क लेते रहे हैं. तभी उनके शुल्क की प्रतिपूर्ति शिक्षा विभाग की तरफ से हो पाएगी."- डॉ रेखा कुमारी, उच्च शिक्षा निदेशक, बिहार

वहीं कन्या उत्थान योजना को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना (Mukhyamantri Kanya Utthan Yojana) के तहत लड़कियों को स्नातक पास करने पर 25 हजार रुपये की राशि दी जाती है. यह राशि वर्ष 2021-22 से बढ़कर 50 हजार रुपये हो गई है. लेकिन विडंबना यह है कि वर्ष 2018 से ही कन्या उत्थान योजना की राशि करीब 200000 लड़कियों के खाते में नहीं गई है.

उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी का कहना है कि सरकार के अंगीभूत कॉलेजों की छात्राओं को यह राशि उपलब्ध कराई जा चुकी है. लेकिन विभिन्न विश्वविद्यालयों के संबंद्धता प्राप्त कॉलेजों से संबंधित लड़कियों को कोई राशि अब तक नहीं दी जा सकी है. हालांकि उच्च शिक्षा निदेशालय को वित्त विभाग से करीब 134 करोड़ रुपए की राशि मिल चुकी है. लेकिन जब तक विश्वविद्यालयों से उपलब्ध कराई गई लिस्ट का सत्यापन नहीं होगा, तब तक उन्हें फंड नहीं दिया जा सकता.

डॉ रेखा कुमारी ने स्पष्ट कहा कि सरकार के लिए तीन विश्वविद्यालय इस पूरी प्रक्रिया में बड़े बाधक बन रहे हैं. उन्होंने नाम लेते हुए कहा कि मगध विश्वविद्यालय गया, जेपी विश्वविद्यालय छपरा और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा की लिस्ट का सत्यापन अब तक नहीं हो पाया है, क्योंकि उन्होंने बार-बार कहने के बावजूद संबद्धता संबंधी सूची शिक्षा विभाग को उपलब्ध नहीं कराई है.

डॉ रेखा कुमारी ने कहा कि इन तीन विश्वविद्यालयों को छोड़कर बाकी सभी स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं का वेरिफिकेशन होकर पूरी जानकारी पोर्टल पर आ चुकी है और जिन छात्राओं की जानकारी आ गई है, उन्हें जल्द से जल्द राशि उनके अकाउंट में उपलब्ध कराई जाएगी. उच्च शिक्षा निदेशक ने कहा है कि राज्य में 25 अप्रैल 2018 के बाद स्नातक पास करने वाली लड़कियों को 25 हजार रुपये की राशि उनके अकाउंट में सरकार की तरफ से दी जाती है.

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पटना: शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के विभिन्न योजनाओं को लेकर अक्सर कॉलेज और विश्वविद्यालय सवाल उठाते हैं कि उन्हें सरकार से समय पर राशि नहीं मिलती है. लेकिन इस बारे में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि गलती विश्वविद्यालयों की है, जिसकी वजह से राशि उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जाती है.

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बिहार के कॉलेज (Colleges Of Bihar) और यूनिवर्सिटी (University Of Bihar) से अक्सर यह शिकायत आती है कि सरकार उन्हें समय पर ग्रांट नहीं देती या सरकार की घोषणा के अनुरूप खर्च करने पर भी उन्हें उस की प्रतिपूर्ति नहीं होती है. इसे लेकर बिहार के हायर एजुकेशन डायरेक्टर (Higher Education Director) ने ईटीवी भारत के जरिए स्थिति स्पष्ट की है.

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उच्चतर शिक्षा निदेशक (HED) डॉ रेखा कुमारी (Dr. Rekha Kumari) ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि फंड होने के बावजूद शिक्षा विभाग वैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय को उनकी मांग के अनुरूप आर्थिक सहायता नहीं कर पा रहा क्योंकि ज्यादातर कॉलेज और विश्वविद्यालय नियमानुसार व्यवहार नहीं कर रहे. डॉ रेखा कुमारी ने बताया कि कहीं ना कहीं उनके तरफ से ही परेशानी है, जिसकी वजह से उन्हें सरकार की तरफ से शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं हो पा रही है.

ईटीवी भारत की बिहार की हायर एजुकेशन डायरेक्टर से खास बातचीत

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आपको बता दें कि वर्ष 2015 में बिहार कैबिनेट ने लड़कियों को अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट एजुकेशन के लिए मुफ्त पढ़ाई की सुविधा शुरू की थी. इसके तहत चाहे ग्रेजुएशन हो या पोस्ट ग्रेजुएशन (Free Education Till PG) लड़कियों से किसी भी कॉलेज को शुल्क नहीं लेना था. लेकिन वर्ष 2015 से 2021 तक कॉलेजों को उस शुल्क की प्रतिपूर्ति शिक्षा विभाग की तरफ से नहीं हुई, जिसे लेकर कॉलेज हमेशा सवाल खड़े करते रहते हैं.

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"गलती शिक्षा विभाग की नहीं बल्कि उन कॉलेज और यूनिवर्सिटी की है, जो अब तक यह नहीं बता पाए हैं कि किस आधार पर वह लड़कियों से शुल्क लेते रहे हैं. विभिन्न कॉलेजों के शुल्क में एकरूपता नहीं है और यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने अब उनसे उस ऑर्डिनेंस की मांग की है जिसके तहत लड़कियों से कॉलेज अब तक शुल्क लेते रहे हैं. तभी उनके शुल्क की प्रतिपूर्ति शिक्षा विभाग की तरफ से हो पाएगी."- डॉ रेखा कुमारी, उच्च शिक्षा निदेशक, बिहार

वहीं कन्या उत्थान योजना को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना (Mukhyamantri Kanya Utthan Yojana) के तहत लड़कियों को स्नातक पास करने पर 25 हजार रुपये की राशि दी जाती है. यह राशि वर्ष 2021-22 से बढ़कर 50 हजार रुपये हो गई है. लेकिन विडंबना यह है कि वर्ष 2018 से ही कन्या उत्थान योजना की राशि करीब 200000 लड़कियों के खाते में नहीं गई है.

उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी का कहना है कि सरकार के अंगीभूत कॉलेजों की छात्राओं को यह राशि उपलब्ध कराई जा चुकी है. लेकिन विभिन्न विश्वविद्यालयों के संबंद्धता प्राप्त कॉलेजों से संबंधित लड़कियों को कोई राशि अब तक नहीं दी जा सकी है. हालांकि उच्च शिक्षा निदेशालय को वित्त विभाग से करीब 134 करोड़ रुपए की राशि मिल चुकी है. लेकिन जब तक विश्वविद्यालयों से उपलब्ध कराई गई लिस्ट का सत्यापन नहीं होगा, तब तक उन्हें फंड नहीं दिया जा सकता.

डॉ रेखा कुमारी ने स्पष्ट कहा कि सरकार के लिए तीन विश्वविद्यालय इस पूरी प्रक्रिया में बड़े बाधक बन रहे हैं. उन्होंने नाम लेते हुए कहा कि मगध विश्वविद्यालय गया, जेपी विश्वविद्यालय छपरा और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा की लिस्ट का सत्यापन अब तक नहीं हो पाया है, क्योंकि उन्होंने बार-बार कहने के बावजूद संबद्धता संबंधी सूची शिक्षा विभाग को उपलब्ध नहीं कराई है.

डॉ रेखा कुमारी ने कहा कि इन तीन विश्वविद्यालयों को छोड़कर बाकी सभी स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं का वेरिफिकेशन होकर पूरी जानकारी पोर्टल पर आ चुकी है और जिन छात्राओं की जानकारी आ गई है, उन्हें जल्द से जल्द राशि उनके अकाउंट में उपलब्ध कराई जाएगी. उच्च शिक्षा निदेशक ने कहा है कि राज्य में 25 अप्रैल 2018 के बाद स्नातक पास करने वाली लड़कियों को 25 हजार रुपये की राशि उनके अकाउंट में सरकार की तरफ से दी जाती है.

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