पटनाः बिहार में अब तक हुए उपचुनाव (Bihar By Election) में एनडीए का ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं रहा है. एनडीए (NDA) के कब्जा वाली अधिकांश सीटें भी उपचुनाव में घटक दलों के हाथ से निकल गई हैं. साल 2019 में पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में से चार सीटों पर विपक्षी दलों ने बाजी मार ली थी. 2018 का रिकॉर्ड भी कुछ ऐसा ही था. लेकिन ऐसा लगता है जैसे इस बार महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के बीच मतभेद ने जेडीयू (JDU) के लिए जीत की राह आसान कर दी है.
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याद कीजिए साल 2019 में पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का. नाथ नगर, सिमरी बख्तियारपुर, बेलहर, दरौंदा और किशनगंज में उप चुनाव हुए थे. उस वक्त जदयू को 4 में से 3 सीटें गंवानी पड़ी थी. आरजेडी ने दो और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. वहीं किशनगंज सीट को एआईएमआईएम ने जीत लिया ता. इस चुनाव में जेडीयू सिर्फ नाथनगर सीट बचा पाई थी, बाकी की अन्य सीटें हाथ से निकल गई थी.
इसी तरह वर्ष 2018 में जोकीहाट, जहानाबाद और भभुआ विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए थे. अररिया लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव हुए थे. तब अररिया लोकसभा सीट पर राजद के सरफराज आलम, जहानाबाद और जोकीहाट से आरजेडी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी जबकि भभुआ सीट बीजेपी के खाते में गई थी.
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इस बारे में राजद विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा कि हमारा ट्रैक रिकॉर्ड उपचुनाव के मामले में बेहतर रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी हम सबसे बड़ी पार्टी बने. अगर कांग्रेस ने बढ़िया साथ दिया होता तो आज बिहार में हमारी सरकार होती. राजद नेता ने दावा किया कि इस बार दोनों सीटों पर राजद की जीत तय है. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष में हमारे लिए यह दो सीटें अत्यंत जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि इन 2 सीटों से बात बन भी सकती है और बिगड़ भी सकती है.
वहीं, कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि महागठबंधन से राजद और कांग्रेस अलग-अलग जरूर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे हर हाल में एनडीए को ही नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार से बिहार की जनता बेहद नाराज है. जाहिर है हम इस बार चुनाव जीतेंगे.
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बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह टाइगर ने कहा कि पिछले चुनाव में तो महागठबंधन एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. इस बार दोनों अलग-अलग लड़ रहे हैं. ऐसे में एनडीए के लिए इस बार मुकाबला आसान है. संजय टाइगर ने दावा किया कि इस बार लोगों की दिलचस्पी इस बात में है कि एनडीए उम्मीदवार कितने बड़े मार्जिन से जीतेंगे.
लेकिन तमाम राजनीतिक दलों के दावों के बीच उपचुनाव की सियासत के बीच वरिष्ठ समालोचक रवि उपाध्याय कहते हैं कि उपचुनाव के ट्रैक रिकॉर्ड के मामले में बीजेपी-जेडीयू का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. खास तौर पर जदयू ने हर बार उपचुनाव में ज्यादातर सीटें गवाई है. इस बार भी जेडीयू के लिए दोनों सीटों को सुरक्षित रखा काफी चुनौती है. हालांकि, इस बार जेडीयू को महागठबंधन में दरार का कुछ फायदा जरूर मिल सकता है. लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि एलजेपी एक बार फिर जेडीयू का खेल खराब सकती है.