पटना: यूं तो कोविड काल के बाद पूरे देश भर में साइबर अपराध में तेजी से बढ़ोतरी हुई है लेकिन बिहार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. कोविड काल के बाद पूरे प्रदेश में साइबर अपराध के मामले में तीस फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है और ये बढ़ोत्तरी लगातार जारी है. आर्थिक अपराध के अपर पुलिस महानिदेशक नैयर हसनैन खान की मानें तो साइबर अपराध बिहार के लिए बड़ी समस्या बनते जा रही है और कोविड काल के बाद 22 हजार इससे जुड़ी शिकायतें आ चुकी हैं.
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बोले नैयर हसनैन खान-'साइबर क्राइम बड़ी चुनौती': बिहार में बढ़ते साइबर क्राइम को लेकर एडीजी नैयर हसनैन खान ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि साइबर अपराध एक बहुत बड़ी चुनौती है. कोविड के बाद साइबर क्षेत्र के अपराधों में काफी वृद्धि आई है. बिहार में भी 2021 से लेकर 2022 तक में केसेस में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
"आर्थिक अपराध इकाई नोडल एजेंसी है बिहार सरकार की. हमारा साइबर सेल पूरी तरह से इसे हैंडल करने के लिए तैयार है. इस चुनौती पर हमने काफी काम किया है. इस पर हमारा तीन तरह का रोल है. लोगों को जागरूक करना और पुलिस अधिकारियों को प्रोपर ट्रेनिंग देने के काम में हम लगे हैं."- नैयर हसनैन खान,एडीजी, आर्थिक अपराध इकाई, बिहार
आर्थिक अपराध में साइबर क्राइम की भूमिका : बता दें कि बिहार में आर्थिक अपराध की वजह से सामान्य अपराध बढ़ गया था. उस समय के तत्कालीन डीजीपी अभयानंद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति से आर्थिक अपराध इकाई का गठन किया था. इस इकाई को अतिरिक्त शक्ति और साधन दिये गये थे ताकि आर्थिक अपराध पर अंकुश लग सके.वक्त गुजरता गया और कोविड काल में ऑनलाइन व्यवस्था ने आर्थिक अपराध के स्वरूप को ही बदल दिया. बिहार में साइबर ठगी के मामले बढ़ने लगे और कोविड काल के बाद बिहार साइबर क्राइम के मामले चिंताजनक स्थिति में आ गया. सरकार और पुलिस की परेशानी बढ़ी और अलग से एक साइबर सेल बना दिया गया.
कहां है साइबर सेल: पटना के बेली रोड स्थित आर्थिक अपराध इकाई और सीबीआई दफ्तर के बीच साइबर अपराध रोकने के साइबर सेल बनाया गया है. यहां करीब 200 पुलिसकर्मी शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं. पढ़े लिखे सिपाहियों से लेकर एसपी रैंक तक के अधिकारियों को यहां लगाया गया है जो 24 घंटे काम करते हैं. यहां कार्यरत पुलिसकर्मी पूरे बिहार से आने वाले मामले का निपटारा करते हैं.
अनट्रेंड पुलिसकर्मियों को दी जाती है ट्रेनिंग: साइबर अपराध के मामले बिहार के तमाम हिस्सों से आ रहे हैं. ज्यादात्तर थानेदारों को कंप्यूटर,इंटरनेट और साइबर अपराध के बारे में जानकारी कम है या नहीं के बराबर है.ऐसी स्थिति में पीड़ितों को न्याय मिल सके इसके लिए तमाम पुलिसकर्मियों के लिए साइबर अपराध की ट्रेनिंग अनिवार्य कर दिया गया है. इसी नियम के तहत अब तक 2200 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी चुकी है जिसमें करीब 1000 थानेदार हैं. पुलिस मुख्यालय से अगले छह माह में सभी पुलिसकर्मियों को ट्रेंड करने का लक्ष्य दिया गया है.
ट्रेंड पुलिसकर्मियों के अभाव: बिहार के थानों में ट्रेंड पुलिसकर्मियों की कमी की वजह से पटना का साइबर सेल पर काम का दबाव अधिक है. पीड़ितों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके मद्देनजर हेल्पलाइन नम्बर 1930 जारी किया गया है. यदि कोई साइबर अपराध का शिकार होता है तो 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है .इसके अलावा www.cybercrime.gov.in पर भी पीडित अपनी शिकात दर्ज कर सकते हैं.
जल्दी शिकायत दर्ज कराने के फायदे: यदि आप साइबर अपराध के शिकार हो जाते हैं और दो घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करा देते हैं तो आपके पैसे की रिकवरी तय है. ऐसा इसलिए संभव हो पाता है कि सेल की पहल पर बैंक आपके पैसे को उस खाते से बाहर जाने से अवरोध करता है और आपके पैसे उस ठग के अकाउंट में ही रह जाते हैं. साइबर सेल की मदद से वह पैसा आपके अकाउंट में वापस प्राप्त हो जाता है. इसलिए यदि आप ठगी के शिकार होते हैं तो तत्काल इसकी शिकायत करें.
बिहार जैसे राज्य के लिए साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती है. सरकार अपने स्तर से प्रयास तो कर रही है लेकिन साइबर अपराधी रोज नये नये तरीके निकाल रहे हैं. सारा खेल मोबाइल फोन से होता है. कभी बिजली बिल के नाम पर तो कभी प्रलोभन देकर तो कभी सेक्सटॉर्शन के जरिए साइबर अपराधी बिहार के भोले भाले लोगों को शिकार बना रहे है. बिहार में साइबर अपराध सड़क दुर्घटना से भी बदत्तर स्थिति में है. सावधानी हटी दुर्घटना घटी के हालात में जी रहे हैं. प्रतिदिन ऐसे ठगी के मामलों में इजाफा हो रहा है.