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पटना में अवैध बालू खनन से नदी बनी मौत का कुआं, पर्यावरण का भी हो रहा है नुकसान - etv bharat news

पटना में अवैध बालू खनन (Sand Mining In patna) के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. खनन के कारण नदी गड्ढे में तब्दील हो रही हैं. जिससे मछली पालन जैसे रोजगार खत्म होने के कगार पर आ गया है. पर्यावरणविद् का मानना है कि नदी से रेत के अत्यधिक निष्कर्षण से प्राकृतिक संतुलन के लिए एक बड़ा खतरा हो जाता है. इससे जलीय पौधे और सूक्ष्म जीवों के साथ-साथ नदी तंत्र की खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है.

पटना में अवैध बालू खनन
पटना में अवैध बालू खनन
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Published : Dec 5, 2022, 12:32 PM IST

पटना: राजधानी पटना में अवैध बालू का खनन (Illegal Sand Mining In patna) जारी है. बालू के खनन के कारण जिले में छोटी-बड़ी नदियां गड्ढे में तब्दील हो गई है. जिससे नदियां और तालाब मौत का कुआं बन गया है. मामला जिले के भगवानगंज क्षेत्र का है. जहां नदियों में 8 से 10 फीट बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बालू माफिया लगातार बालू का अवैध खनन कर रहे हैंं. जिससे सरकार को राजस्व की भी हानि हो रही है और पर्यावरण (environmental damage due to sand mining) को भी नुकसान पहुंच रहा है.

ये भी पढ़ें- पटना में अवैध बालू खनन के आरोप में 18 गिरफ्तार, एक बालू लदी नाव जब्त.

पटना में लगातार बढ़ रहे हैं खनन के मामले: राजधानी पटना के कई इलाकों में इन दिनों बालू के अवैध खनन के मामले में तेजी देखी गई है. जिले के मसौढी, धनरूआ एवं पुनपुन में मोरहर नदी, पुनपुन नदी, कररूआ नदी, भुतही नदी में अवैध बालू का खनन धड़ल्ले से चल रहा है. इन इलाकों में माफियाओं का इतना खौफ है कि स्थानीय लोग उसके खिलाफ कुछ भी बोलने से बचते है. अवैध खनन को लेकर जिले में कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई है. इलाके में इस तरह की घटनाएं पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है.

बालू खनन से बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन: जिले में बालू के खनन के कारण न सिर्फ राजस्व की हानि हो रही है बल्कि जैव विविधता भी नष्ट होती जा रही है. अवैध बालू निकासी के कारण कई नदियों का अस्तित्व खत्म हो रहा है. नदियों में बने गड्ढे मौत के कुआं में तब्दील हो गए हैं. जिसका सीधा असर पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है. नदियों के गड्ढे में तब्दील होने से मछली पालन का व्यापार भी खत्म हो गया है. जिससे मछुआरे बेरोजगार हो रहे हैं. पर्यावरणविद् मानते हैं कि नदी से रेत के अत्यधिक निष्कर्षण से प्राकृतिक संतुलन के लिए एक बड़ा खतरा हो जाता है. इससे जलीय पौधे और सूक्ष्म जीवों के साथ-साथ नदी तंत्र की खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है. जिसके कारण जीवो की भोजन आपूर्ति में कमी से इनकी संख्या में कमी आ जाती है.

"एक टास्क फोर्स का गठन कर जिन-जिन इलाकों से बालू निकासी की खबर आ रही है. वहां पर पुलिस की टीम छापेमारी कर रही है, ऐसे में मसौढी धनरूआ एवं पुनपुन में भी कई तरह की सूचनाएं मिली है. लगातार हम सभी इसे रोकने में जुटे हुए हैं".-सुधांशु श्रीवास्तव, खनन पदाधिकारी, पटना


ये भी पढ़ें- बिहार के पटना में बालू उठाव को लेकर दनादन फायरिंग, 4 की मौत

पटना: राजधानी पटना में अवैध बालू का खनन (Illegal Sand Mining In patna) जारी है. बालू के खनन के कारण जिले में छोटी-बड़ी नदियां गड्ढे में तब्दील हो गई है. जिससे नदियां और तालाब मौत का कुआं बन गया है. मामला जिले के भगवानगंज क्षेत्र का है. जहां नदियों में 8 से 10 फीट बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बालू माफिया लगातार बालू का अवैध खनन कर रहे हैंं. जिससे सरकार को राजस्व की भी हानि हो रही है और पर्यावरण (environmental damage due to sand mining) को भी नुकसान पहुंच रहा है.

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पटना में लगातार बढ़ रहे हैं खनन के मामले: राजधानी पटना के कई इलाकों में इन दिनों बालू के अवैध खनन के मामले में तेजी देखी गई है. जिले के मसौढी, धनरूआ एवं पुनपुन में मोरहर नदी, पुनपुन नदी, कररूआ नदी, भुतही नदी में अवैध बालू का खनन धड़ल्ले से चल रहा है. इन इलाकों में माफियाओं का इतना खौफ है कि स्थानीय लोग उसके खिलाफ कुछ भी बोलने से बचते है. अवैध खनन को लेकर जिले में कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई है. इलाके में इस तरह की घटनाएं पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है.

बालू खनन से बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन: जिले में बालू के खनन के कारण न सिर्फ राजस्व की हानि हो रही है बल्कि जैव विविधता भी नष्ट होती जा रही है. अवैध बालू निकासी के कारण कई नदियों का अस्तित्व खत्म हो रहा है. नदियों में बने गड्ढे मौत के कुआं में तब्दील हो गए हैं. जिसका सीधा असर पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है. नदियों के गड्ढे में तब्दील होने से मछली पालन का व्यापार भी खत्म हो गया है. जिससे मछुआरे बेरोजगार हो रहे हैं. पर्यावरणविद् मानते हैं कि नदी से रेत के अत्यधिक निष्कर्षण से प्राकृतिक संतुलन के लिए एक बड़ा खतरा हो जाता है. इससे जलीय पौधे और सूक्ष्म जीवों के साथ-साथ नदी तंत्र की खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है. जिसके कारण जीवो की भोजन आपूर्ति में कमी से इनकी संख्या में कमी आ जाती है.

"एक टास्क फोर्स का गठन कर जिन-जिन इलाकों से बालू निकासी की खबर आ रही है. वहां पर पुलिस की टीम छापेमारी कर रही है, ऐसे में मसौढी धनरूआ एवं पुनपुन में भी कई तरह की सूचनाएं मिली है. लगातार हम सभी इसे रोकने में जुटे हुए हैं".-सुधांशु श्रीवास्तव, खनन पदाधिकारी, पटना


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