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कई महीनों से बंद पड़ा है बांस घाट का विद्युत शवदाह गृह, लोगों को हो रही परेशानी - पटना न्यूज

विशेषज्ञों के मुताबिक विद्युत शवदाह गृह स्क्रबर टेक्नोलॉजी से लैस होता है, जो शव को जलने के दौरान निकलने वाली खतरनाक गैस और बॉडी के बर्न पार्टिकल को सोख लेता है.

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Published : May 25, 2020, 4:40 PM IST

पटना: राजधानी के बांस घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह का मशीन पिछले 20 मई से बंद पड़ा है. जिससे शव को लकड़ी से जलाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. यहां एक मौत पर एक पेड़ भी चिता की आग में जल रहा है. जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है. साथ ही चिता जलाने के लिए पैसे भी ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं.

लकड़ी पर जलाया जा रहा शव
बांसघाट स्थित विद्युत शवदाह गृह की एक मशीन छः महीने और दूसरी मशीन 5 दिन से खराब है. यहां के जानकार बताते हैं कि एक महीने में लगभग 300 शवों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में होता था. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इसके बंद रहने से रोजाना कितने शवों को लकड़ी पर जलाया जा रहा है.

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खराब पड़ी मशीनें

खर्च होते हैं ज्यादा रुपये
विशेषज्ञों के मुताबिक विद्युत शवदाह गृह स्क्रबर टेक्नोलॉजी से लैस होता है, जो शव को जलने के दौरान निकलने वाली खतरनाक गैस और बॉडी के बर्न पार्टिकल को सोख लेता है. एक शव को लकड़ी पर जलाने में कम से कम दस से बारह हजार रुपये का खर्च आता है और तीन से चार घंटे का वक्त लगता है, जबकि मशीन से शव जलाने में मात्र तीन सौ रुपये का खर्च आता है और एक घंटे समय लगता है.

देखें रिपोर्ट

गरीबों को हो रही परेशानी
बांसघाट में मौजूद कर्मचारी राजकुमार ने बताया कि मशीन खराब होने के कारण एक भी शव यहां नहीं जलाया जा रहा है. सभी शव लकड़ी पर ही जलाए जा रहे हैं. स्थानीय दुकानदार वकील राय ने बताया कि मशीन खराब रहने से गरीब लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पटना: राजधानी के बांस घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह का मशीन पिछले 20 मई से बंद पड़ा है. जिससे शव को लकड़ी से जलाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. यहां एक मौत पर एक पेड़ भी चिता की आग में जल रहा है. जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है. साथ ही चिता जलाने के लिए पैसे भी ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं.

लकड़ी पर जलाया जा रहा शव
बांसघाट स्थित विद्युत शवदाह गृह की एक मशीन छः महीने और दूसरी मशीन 5 दिन से खराब है. यहां के जानकार बताते हैं कि एक महीने में लगभग 300 शवों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में होता था. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इसके बंद रहने से रोजाना कितने शवों को लकड़ी पर जलाया जा रहा है.

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खराब पड़ी मशीनें

खर्च होते हैं ज्यादा रुपये
विशेषज्ञों के मुताबिक विद्युत शवदाह गृह स्क्रबर टेक्नोलॉजी से लैस होता है, जो शव को जलने के दौरान निकलने वाली खतरनाक गैस और बॉडी के बर्न पार्टिकल को सोख लेता है. एक शव को लकड़ी पर जलाने में कम से कम दस से बारह हजार रुपये का खर्च आता है और तीन से चार घंटे का वक्त लगता है, जबकि मशीन से शव जलाने में मात्र तीन सौ रुपये का खर्च आता है और एक घंटे समय लगता है.

देखें रिपोर्ट

गरीबों को हो रही परेशानी
बांसघाट में मौजूद कर्मचारी राजकुमार ने बताया कि मशीन खराब होने के कारण एक भी शव यहां नहीं जलाया जा रहा है. सभी शव लकड़ी पर ही जलाए जा रहे हैं. स्थानीय दुकानदार वकील राय ने बताया कि मशीन खराब रहने से गरीब लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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