पटना : डेंगू की चपेट में आने वाला पटना अब सफाई कर्मियों की हड़ताल के चलते पूरा शहर कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुका है. इससे बीमारी का खतरा भी काफी बढ़ गया है. दरअसल, पटना नगर निगम के आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत तैनात सफाई कर्मी अपनी मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर हैं. ऐसे में पटना शहर की स्थिति नारकीय होती जा रही है. 5 दिन से कूड़ा सड़कों के किनारे सड़ने लगा है. उससे उठने वाली दुर्गंध न सिर्फ राहगीरों को बल्कि आसपास रहने वालों के लिए भी मुसीबत बन गई है.
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पटना में सफाई कर्मियों की हड़ताल का असर : गंदगी के कारण पटना वासी अब त्राहिमाम कर रहे हैं. हड़ताल की वजह से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का कार्य पूरी तरह से ठप पड़ चुका है. ऐसे में स्थानीय लोग अपने घरों का कचरा सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर है. सड़क पर कचरे का अतिक्रमण होने की वजह से सड़कें संकीर्ण हो गई हैं और यह सड़क हादसों को निमंत्रण दे रही हैं. लेफ्ट ने नेता कुणाल ने सफाई कर्मियों पर दमन का विरोध किया है और कहा है कि सफाई कर्मियों के ऊपर दर्ज की गई एफआईआर वापस लिया जाय.
''अभी पूरे शहर में डेंगू का आतंक है. सफाइकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से यह खतरा कई गुना बढ़ गया है. इसलिए सरकार को इसमें तत्परता दिखानी चाहिए और आगे बढ़कर उनकी मांगों को सुनना चाहिए. FIR से मामला सुलझेगा नहीं बल्कि स्थिति और खराब होगी. सरकार को समझदारी से काम लेना चाहिए. सफाई कर्मियों के ऊपर हो रहे एफआईआर को वापस लिया जाए.''- कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा
सड़कों पर कूड़े ने जमाया डेरा : पटना के अशोक राजपथ की बात करें या बोरिंग रोड की बात करें, कचरा की वजह से सड़कें संकीर्ण हो गई हैं. राहगीरों को नाक बंद करके सड़क से गुजरना पड़ रहा है. पटनावासी अब चिंतित है की कहीं कचरे का यह अंबर किसी प्रकार के महामारी को निमंत्रण ना दे दें. हालांकि पटना नगर निगम के नगर आयुक्त अनिमेष पाराशर दावा कर रहे हैं की सफाई की टीम रात्रि में विशेष अभियान चलाकर कचरा उठाने का काम कर रही है. लेकिन यह दवा सड़क पर झूठा नजर आ रहा है.
राहगीर प्रभात कुमार ने कहा कि वह मैनपुरा से हैं, ''हमारे यहां कचरा उठाने वाला गाड़ी नहीं आ रहा है. जिस कारण लोग अपने घरों का कचरा नगर निगम के कचरा वाहन में ना डालकर मजबूरी में सड़क पर फेंकने को मजबूर हैं. सड़क पर भी कचरा का उठाव नहीं हो रहा है. दुर्गंध के कारण स्थानीय दुकानदारों को और राहगीरों को काफी समस्या हो रही है.''
राहगीर सीमा कुमारी ने बताया कि ''कोई कचरा उठाने वाला यहां नहीं आ रहा है. सभी लोग घर का कचरा सड़क पर फेंकने के लिए मजबूर हैं. सड़क पर पैदल चलना दूभर हो गया है और हर जगह कचरा का अंबार लगा हुआ है.''
स्थानीय व्यक्ति तुर्की प्रसाद ने कहा कि ''जब स्कूल की छुट्टी होती है तो बच्चों का सड़क पर चलना खतरनाक हो जाता है. 5 दिनों से कचरा नहीं उठ रहा है, जिस वजह से सड़क पर कचरा से अतिक्रमण हो गया है. सड़कें सिकुड़ गईं हैं. कचरे के चक्कर में ओवरटेकिंग करने वाले हादसे का शिकार हो रहे हैं. कई गाड़ियां आपस में ही लड़ जा रही हैं, ऊपर से डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का खतरा फैल रहा है.''
पटना नगर निगम संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सिंह का कहना है कि ''सफाई कर्मी अपनी वाजिब मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. छठे दिन भी हड़ताल पर बने हुए हैं. उनकी यही मांग है कि आउटसोर्सिंग व्यवस्था को नगर निगम से खत्म किया जाए. वर्षों से कार्यरत दैनिक सफाई कर्मियों को स्थाई किया जाए. दैनिक सफाई कर्मियों को भी स्थाई सफाई कर्मियों की तर्ज पर समान काम के बदले समान वेतन दिया जाए.''
मांगे नहीं हुई पूरी तो हड़ताल : गौरतलब है कि इन मुद्दों पर पिछली बार भी जब हड़ताल किया गया था तो नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने आकर उनकी मांगों पर सहमति जताते हुए हड़ताल तुड़वाया था. लेकिन अब तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया है. जिस वजह से सफाई कर्मियों में नाराजगी है.