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बिहार शिक्षा सेवा अधिकारियों के लिए B.Ed की अनिवार्यता खत्म, निजी स्कूलों की मनमानी पर लगेगी रोक

शिक्षा विभाग ने बिहार शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए बिहार शिक्षा सेवा नियमावली 2020 लागू किया है. पहले अधिकारियों को 2 साल के प्रोफेशन पीरियड में विभिन्न ट्रेनिंग के साथ ही बीएड कोर्स करना अनिवार्य किया गया था, लेकिन अब शिक्षा विभाग ने बिहार शिक्षा सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों की मांग को देखते हुए फैसला किया है कि इन्हें 2 साल का शिक्षा विभाग कोर्स करना अनिवार्य नहीं होगा.

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Published : Aug 27, 2020, 11:42 AM IST

पटनाः शिक्षा विभाग ने बिहार के शिक्षा सेवा से जुड़े अधिकारियों को बड़ी राहत दी है. अब उनके लिए प्रोफेशन अवधि में बीएड की ट्रेनिंग लेना जरूरी नहीं होगा. वहीं विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी शिकायत निवारण नियमावली के अंतर्गत राज्य के सभी 38 जिलों में कार्यरत अपीलीय प्राधिकार के 58 प्राचीन प्राधिकारी 31 दिसंबर तक कार्यरत रहेंगे.

शिक्षा सेवा से जुड़े अधिकारियों को बड़ी राहत
शिक्षा विभाग ने बिहार शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए बिहार शिक्षा सेवा नियमावली 2020 लागू किया है. पहले अधिकारियों को 2 साल के प्रोफेशन पीरियड में विभिन्न ट्रेनिंग के साथ ही बीएड कोर्स करना अनिवार्य किया गया था. लेकिन अब शिक्षा विभाग ने बिहार शिक्षा सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों की मांग को देखते हुए फैसला किया है कि इन्हें 2 साल का शिक्षा विभाग कोर्स करना अनिवार्य नहीं होगा. इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने एक और बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत अब 58 पीठासीन पदाधिकारियों का कार्यकाल 31 दिसंबर तक रहेगा, जो जिला अपीलीय प्राधिकार से जुड़े हैं.

बिहार शिक्षा सेवा नियमावली संशोधन
शिक्षा विभाग ने इसे लेकर एक संकल्प जारी किया है. जिसके तहत सभी 38 जिला अपीलीय प्राधिकार में 76 पद सृजित किए गए हैं. लेकिन नई नियुक्ति होने में काफी वक्त लगेगा. इसे देखते हुए जिला अपीलीय प्राधिकार के 58 पीठासीन पदाधिकारियों का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है. जिला अपीलीय प्राधिकार में दो पदाधिकारी होते हैं. इसमें एक न्यायिक सेवा के रिटायर्ड ऑफिसर होते हैं, जबकि दूसरे बिहार प्रशासनिक सेवा या बिहार शिक्षा सेवा के रिटायर्ड ऑफिसर होते हैं. उनका कार्यकाल 5 साल है और अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष है. अपीलीय प्राधिकार में बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी शिकायत निवारण नियमावली के तहत सुनवाई होती है.

राज्य अपीलीय प्राधिकार में सुनवाई
तीसरा महत्वपूर्ण फैसला निजी स्कूलों की शिकायत से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने बिहार राज्य शिक्षण संस्थान शिक्षक एवं कर्मचारी (शिकायत निवारण एवं अपील) नियमावली 2020 जारी कर दी है. इसके तहत अब राज्य और जिला अपीलीय प्राधिकार के दायरे में निजी स्कूलों की प्रबंधन समिति की गतिविधियां और उनकी फीस की मनमानी की शिकायत भी लाई गई है. इसके तहत प्रमंडल स्तरीय शुल्क विनिमय समिति के निर्णय के खिलाफ राज्य अपीलीय प्राधिकार में सुनवाई हो सकेगी.

50 हजार तक आर्थिक दंड देने का अधिकार
सजा के मामले में सिविल कोर्ट की शक्तियों के अलावा उसे 50 हजार तक आर्थिक दंड देने का अधिकार भी होगा. पहले सिर्फ 25 हजार तक आर्थिक दंड देने का अधिकार था. अधिसूचित नई नियमावली के अनुसार अब जिला स्तरीय अपीलीय प्राधिकार के दायरे में पहली बार निजी, अल्पसंख्यक और अनुदानित स्कूल और कॉलेजों को भी लाया गया है. इससे निजी और अनुदानित स्कूलों की प्रबंधन समिति की मनमानी पर रोक लगेगी. 2013 की नियमावली में यह प्रावधान शामिल नहीं थे. पिछले कई सालों से लगातार निजी स्कूलों और स्कूलों की मनमानी से परेशान अभिभावकों को इस नई नियमावली का बड़ा फायदा मिलेगा.

पटनाः शिक्षा विभाग ने बिहार के शिक्षा सेवा से जुड़े अधिकारियों को बड़ी राहत दी है. अब उनके लिए प्रोफेशन अवधि में बीएड की ट्रेनिंग लेना जरूरी नहीं होगा. वहीं विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी शिकायत निवारण नियमावली के अंतर्गत राज्य के सभी 38 जिलों में कार्यरत अपीलीय प्राधिकार के 58 प्राचीन प्राधिकारी 31 दिसंबर तक कार्यरत रहेंगे.

शिक्षा सेवा से जुड़े अधिकारियों को बड़ी राहत
शिक्षा विभाग ने बिहार शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए बिहार शिक्षा सेवा नियमावली 2020 लागू किया है. पहले अधिकारियों को 2 साल के प्रोफेशन पीरियड में विभिन्न ट्रेनिंग के साथ ही बीएड कोर्स करना अनिवार्य किया गया था. लेकिन अब शिक्षा विभाग ने बिहार शिक्षा सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों की मांग को देखते हुए फैसला किया है कि इन्हें 2 साल का शिक्षा विभाग कोर्स करना अनिवार्य नहीं होगा. इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने एक और बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत अब 58 पीठासीन पदाधिकारियों का कार्यकाल 31 दिसंबर तक रहेगा, जो जिला अपीलीय प्राधिकार से जुड़े हैं.

बिहार शिक्षा सेवा नियमावली संशोधन
शिक्षा विभाग ने इसे लेकर एक संकल्प जारी किया है. जिसके तहत सभी 38 जिला अपीलीय प्राधिकार में 76 पद सृजित किए गए हैं. लेकिन नई नियुक्ति होने में काफी वक्त लगेगा. इसे देखते हुए जिला अपीलीय प्राधिकार के 58 पीठासीन पदाधिकारियों का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है. जिला अपीलीय प्राधिकार में दो पदाधिकारी होते हैं. इसमें एक न्यायिक सेवा के रिटायर्ड ऑफिसर होते हैं, जबकि दूसरे बिहार प्रशासनिक सेवा या बिहार शिक्षा सेवा के रिटायर्ड ऑफिसर होते हैं. उनका कार्यकाल 5 साल है और अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष है. अपीलीय प्राधिकार में बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी शिकायत निवारण नियमावली के तहत सुनवाई होती है.

राज्य अपीलीय प्राधिकार में सुनवाई
तीसरा महत्वपूर्ण फैसला निजी स्कूलों की शिकायत से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने बिहार राज्य शिक्षण संस्थान शिक्षक एवं कर्मचारी (शिकायत निवारण एवं अपील) नियमावली 2020 जारी कर दी है. इसके तहत अब राज्य और जिला अपीलीय प्राधिकार के दायरे में निजी स्कूलों की प्रबंधन समिति की गतिविधियां और उनकी फीस की मनमानी की शिकायत भी लाई गई है. इसके तहत प्रमंडल स्तरीय शुल्क विनिमय समिति के निर्णय के खिलाफ राज्य अपीलीय प्राधिकार में सुनवाई हो सकेगी.

50 हजार तक आर्थिक दंड देने का अधिकार
सजा के मामले में सिविल कोर्ट की शक्तियों के अलावा उसे 50 हजार तक आर्थिक दंड देने का अधिकार भी होगा. पहले सिर्फ 25 हजार तक आर्थिक दंड देने का अधिकार था. अधिसूचित नई नियमावली के अनुसार अब जिला स्तरीय अपीलीय प्राधिकार के दायरे में पहली बार निजी, अल्पसंख्यक और अनुदानित स्कूल और कॉलेजों को भी लाया गया है. इससे निजी और अनुदानित स्कूलों की प्रबंधन समिति की मनमानी पर रोक लगेगी. 2013 की नियमावली में यह प्रावधान शामिल नहीं थे. पिछले कई सालों से लगातार निजी स्कूलों और स्कूलों की मनमानी से परेशान अभिभावकों को इस नई नियमावली का बड़ा फायदा मिलेगा.

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