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कॉमन सिविल कोड पर क्या है JDU का स्टैंड? सुनिए नीतीश के मंत्री विजय कुमार चौधरी का जवाब

कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) पर जेडीयू के स्टैंड के बारे में सवाल पूछने पर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने कहा कि अभी इस पर कुछ भी बोलने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि जब मामला आएगा, तब देखा जाएगा.

कॉमन सिविल कोड पर जेडीयू का स्टैंड
कॉमन सिविल कोड पर जेडीयू का स्टैंड
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Published : Apr 26, 2022, 4:00 PM IST

Updated : Apr 26, 2022, 4:31 PM IST

पटना: कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) को लेकर बिहार एनडीए में मतभेद नजर आने लगा है. हालांकि नेता खुलकर बोलने से बच रहे हैं. जेडीयू नेता और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने कहा कि जब मामला सदन में आएगा तब पार्टी तय करेगी कि इस पर क्या निर्णय लेना है. उन्होंने कहा कि न तो हमलोग किसी से डरते हैं और न ही किसी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हैं.

ये भी पढ़ें: आसान नहीं NDA में एकजुटता! कॉमन सिविल कोड पर बिहार में BJP और JDU के बीच बढ़ सकता है तनाव

कॉमन सिविल कोड पर जेडीयू का स्टैंड: दरअसल, पटना में पत्रकारों ने जब विजय चौधरी से पूछा कि आप लोग कॉमन सिविल कोड पर प्रतिक्रिया देने से डरते हैं, क्या आप लोग बीजेपी से डरते हैं? इस पर शिक्षा मंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा कि हमलोग किसी से नहीं डरते हैं लेकिन किसी के बयान पर हम लोग कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि जब मामला सामने आएगा तब पार्टी इसको देखेगी. अभी इस पर कुछ भी बोलने का क्या मतलब है.

सीबीएसई पाठ्यक्रम में बदलाव पर ऐतराज: सीबीएसई पाठ्यक्रम में बदलाव पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव की अधिकारिक सूचना अब तक नहीं है. उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में जो बदलाव किया गया है, उसका कोई औचित्य नहीं है. इतिहास का मुगल शासन काल अविभाज्य हिस्सा है, यदि कोई देश का इतिहास समझना चाहेगा तो बीच में किसी काल को हटाया नहीं जा सकता है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इतिहास के अविभाज्य हिस्से को निकालने का कोई मतलब नहीं है.

क्या है समान नागरिक संहिता?: कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जो देश के हर समुदाय पर लागू होगा. वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो उसके लिए एक ही कानून होगा. अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े हुए कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 18 70, विशिष्ट राहत और अधिनियम 18 77 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया. लेकिन, शादी विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूह के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया था.

ये भी पढ़ें: कॉमन सिविल कोड पर बोले तेजस्वी- 'RSS संविधान की जगह लागू करना चाहता है अपना एजेंडा, हम संसद में करेंगे विरोध'

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पटना: कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) को लेकर बिहार एनडीए में मतभेद नजर आने लगा है. हालांकि नेता खुलकर बोलने से बच रहे हैं. जेडीयू नेता और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने कहा कि जब मामला सदन में आएगा तब पार्टी तय करेगी कि इस पर क्या निर्णय लेना है. उन्होंने कहा कि न तो हमलोग किसी से डरते हैं और न ही किसी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हैं.

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कॉमन सिविल कोड पर जेडीयू का स्टैंड: दरअसल, पटना में पत्रकारों ने जब विजय चौधरी से पूछा कि आप लोग कॉमन सिविल कोड पर प्रतिक्रिया देने से डरते हैं, क्या आप लोग बीजेपी से डरते हैं? इस पर शिक्षा मंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा कि हमलोग किसी से नहीं डरते हैं लेकिन किसी के बयान पर हम लोग कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि जब मामला सामने आएगा तब पार्टी इसको देखेगी. अभी इस पर कुछ भी बोलने का क्या मतलब है.

सीबीएसई पाठ्यक्रम में बदलाव पर ऐतराज: सीबीएसई पाठ्यक्रम में बदलाव पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव की अधिकारिक सूचना अब तक नहीं है. उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में जो बदलाव किया गया है, उसका कोई औचित्य नहीं है. इतिहास का मुगल शासन काल अविभाज्य हिस्सा है, यदि कोई देश का इतिहास समझना चाहेगा तो बीच में किसी काल को हटाया नहीं जा सकता है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इतिहास के अविभाज्य हिस्से को निकालने का कोई मतलब नहीं है.

क्या है समान नागरिक संहिता?: कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जो देश के हर समुदाय पर लागू होगा. वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो उसके लिए एक ही कानून होगा. अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े हुए कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 18 70, विशिष्ट राहत और अधिनियम 18 77 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया. लेकिन, शादी विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूह के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया था.

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Last Updated : Apr 26, 2022, 4:31 PM IST
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