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Bihar News: 70 हजार सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग खुद बांटेगा किताबें, जानें वजह - ETV bharat News

शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के करीब 70 हजार सरकारी स्कूलों के लगभग एक करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा बच्चों के बीच किताबें में बांटी जाएंगी. पिछले चार वर्षों में केवल किताब खरीदने के लिए बच्चों के खाते में 16 सौ करोड़ रुपए भेजे गए थे.किताब की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने लिया छपवाने का निर्णय लिया है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना शिक्षा विभाग
पटना शिक्षा विभाग
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Published : Apr 11, 2023, 11:06 PM IST

पटना: राज्य में एक तरफ जहां 11 से 15 अप्रैल के बीच सरकारी स्कूलों के बच्चों में किताब वितरित करने के लिए 'पुस्तक उत्सव' मनाया जा रहा (Education department will print its own book) है. वहीं अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा अब शिक्षा विभाग खुद किताब छपवा कर बांटेगा.जिससे छात्रों के बीच किताब की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके.

ये भी पढ़ें: Bihar News: मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना से जुड़ेंगी वोकेशनल कोर्स में पास लड़कियां, शिक्षा मंत्री बोले- CM से करेंगे बात

आठवीं तक के बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री का वितरण : दरअसल पांच साल के बाद शिक्षा विभाग अपने स्तर से राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले क्लास एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों के बीच अपने स्तर से पाठ्य सामग्री का वितरण कर रहा है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि 2018 से लेकर 2322 तक छात्रों को पाठ्य सामग्री खरीदने के लिए राशि उनके खाते में दी जाती थी लेकिन 2018 के पहले भी किताबें छपती थी और उन्हें छात्रों के बीच में वितरित किया जाता था.

1 से 5 तक के बच्चों के लिए 250 रुपये की दर से राशि मिलती थी: जानकारी के अनुसार समग्र शिक्षा अभियान के तहत पुस्तक मध्य में केंद्र सरकार 60% और राज्य सरकार 40% राशि देती है। इसके तहत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए 250 रुपये और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 400 रुपये की दर से किताब खरीदने के लिए राशि दी जाती थी. हालांकि अवर मुख्य सचिव बताते हैं कि इन पांच सालों में कोरोना की दो- दो लहरें भी आई. जिसमें विभाग के को यह भी जानकारी मिली की कोराना के दौरान इन वर्गों में 40 से 50% बच्चों के पास ही पाठ्य सामग्री की उपलब्धता है.

एक ही टेंडर को भरने वाली एजेंसी करेगी पूरा काम: अपर मुख्य सचिव ने यह भी जानकारी दी कि इस बार सरकार ने जो पहल की है. इसे इसमें पूरी पारदर्शिता रखी गई है. सरकारी स्तर पर यह सुनिश्चित किया गया है कि एक ही टेंडर को भरने वाली एजेंसी सारा काम करेगी. यानी किताबों की छपाई से लेकर, कागज की उपलब्धता, कागज का बंदोबस्त, किताब का सेट बनाना और बीआरसी तक ले जाने की जिम्मेदारी उसी की होगी.

"राज्य के जितने भी स्कूल हैं, उनमें किताबों की उपलब्धता के लिए कुछ अहम पहल किए गए हैं. जैसे राज्य के हर हिस्से में एक साथ एक ही सेट की और एक ही क्लास की किताबों को भेजा जा रहा है. यानी राज्य के किसी एक जिले के स्कूल में क्लास एक के छात्रों को किताबें मिलेगी, वही दूसरे जिले के भी स्कूल में क्लास एक की छात्र को किताबें मिलेंगी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अप्रैल 2023 से सत्र के शुरू होने तक सभी बच्चों के पास किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाए."- दीपक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग

पटना: राज्य में एक तरफ जहां 11 से 15 अप्रैल के बीच सरकारी स्कूलों के बच्चों में किताब वितरित करने के लिए 'पुस्तक उत्सव' मनाया जा रहा (Education department will print its own book) है. वहीं अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा अब शिक्षा विभाग खुद किताब छपवा कर बांटेगा.जिससे छात्रों के बीच किताब की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके.

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आठवीं तक के बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री का वितरण : दरअसल पांच साल के बाद शिक्षा विभाग अपने स्तर से राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले क्लास एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों के बीच अपने स्तर से पाठ्य सामग्री का वितरण कर रहा है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि 2018 से लेकर 2322 तक छात्रों को पाठ्य सामग्री खरीदने के लिए राशि उनके खाते में दी जाती थी लेकिन 2018 के पहले भी किताबें छपती थी और उन्हें छात्रों के बीच में वितरित किया जाता था.

1 से 5 तक के बच्चों के लिए 250 रुपये की दर से राशि मिलती थी: जानकारी के अनुसार समग्र शिक्षा अभियान के तहत पुस्तक मध्य में केंद्र सरकार 60% और राज्य सरकार 40% राशि देती है। इसके तहत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए 250 रुपये और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 400 रुपये की दर से किताब खरीदने के लिए राशि दी जाती थी. हालांकि अवर मुख्य सचिव बताते हैं कि इन पांच सालों में कोरोना की दो- दो लहरें भी आई. जिसमें विभाग के को यह भी जानकारी मिली की कोराना के दौरान इन वर्गों में 40 से 50% बच्चों के पास ही पाठ्य सामग्री की उपलब्धता है.

एक ही टेंडर को भरने वाली एजेंसी करेगी पूरा काम: अपर मुख्य सचिव ने यह भी जानकारी दी कि इस बार सरकार ने जो पहल की है. इसे इसमें पूरी पारदर्शिता रखी गई है. सरकारी स्तर पर यह सुनिश्चित किया गया है कि एक ही टेंडर को भरने वाली एजेंसी सारा काम करेगी. यानी किताबों की छपाई से लेकर, कागज की उपलब्धता, कागज का बंदोबस्त, किताब का सेट बनाना और बीआरसी तक ले जाने की जिम्मेदारी उसी की होगी.

"राज्य के जितने भी स्कूल हैं, उनमें किताबों की उपलब्धता के लिए कुछ अहम पहल किए गए हैं. जैसे राज्य के हर हिस्से में एक साथ एक ही सेट की और एक ही क्लास की किताबों को भेजा जा रहा है. यानी राज्य के किसी एक जिले के स्कूल में क्लास एक के छात्रों को किताबें मिलेगी, वही दूसरे जिले के भी स्कूल में क्लास एक की छात्र को किताबें मिलेंगी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अप्रैल 2023 से सत्र के शुरू होने तक सभी बच्चों के पास किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाए."- दीपक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग

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