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अब दारोगा नहीं DSP स्तर के अधिकारी करेंगे पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या की जांच, गृह विभाग का निर्देश

बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर से 13 बिंदुओं पर पुलिस विभाग को निर्देश दिया गया है. जिसमें मुखिया की हत्या होने पर एसआईटी का गठन कर दोषी व्यक्ति को 1 साल तक जमानत नहीं मिलने देने के लिए सीसीए लगाने के साथ-साथ पुलिस प्रशासन को 6 माह में स्पीड ट्रायल करके त्वरित सजा दिलाने का निर्देश दिया गया है.

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Published : Feb 23, 2022, 3:43 PM IST

पटना: पंचायत चुनाव के समय और चुनाव के परिणाम के बाद बिहार में सात पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या (Panchayat Representatives Murder) हुई थी. इन मामलों में घटित घटना के बाद अब इस मामलों का स्पीडी ट्रायल चलाकर दोषियों को सजा दिलवाई जाएगी. बिहार सरकार के गृह विभाग (Home Department) ने निर्देश दिया है कि पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या की जांच दारोगा लेवल के अधिकारी से नहीं, बल्कि डीएसपी लेवल के अधिकारी से करवायी जाएगी. साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों की हुई हत्या मामले में एसआईटी का गठन होगा, जिसकी जिम्मेवारी डीएसपी लेवल के अधिकारी की होगी.

ये भी पढ़ें: सूबे में 5 नवनिर्वाचित मुखिया की हत्या ने बढ़ाई चिंता, अब पंचायत के प्रतिनिधियों को दी जाएगी सुरक्षा

पंचायत प्रतिनिधियों पर लगातार हो रहे हमले के बाद कहीं ना कहीं पंचायत प्रतिनिधि खुद की सुरक्षा की मांग लगातार करते आ रहे हैं. यहां तक कि उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को लाइसेंसी हथियार तक देने की बात की है. इसके बाद गृह विभाग ने पुलिस प्रशासन को इन मामलों में एसआईटी गठित कर अगले 3 महीने में जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, ताकि अपराधियों के खिलाफ ट्रायल चलाकर उन्हें सजा दिलाई जा सके.

ये भी पढ़ें: पंचायत चुनाव परिणाम के बाद सूबे में 'खूनी खेल', बिहार के 4 नवनिर्वाचित मुखिया की हत्या से खौफ

आपको बता दें कि पंचायत चुनाव के बाद अब तक पांच मुखिया, एक सरपंच और एक वार्ड सदस्य समेत कुल 7 जनप्रतिनिधियों की राजनीतिक रंजिश के चक्कर में हत्या हो चुकी है.

दरअसल साल 2021 के अंत में राज्य में हुए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत 8067 पंचायतों में नए मुखिया और 113307 वार्ड सदस्य चुने गए थे. इसके बाद कहीं ना कहीं जनप्रतिनिधियों पर हमला और हत्या की घटनाएं सामने आने लगी. जिसके बाद पंचायती राज मंत्री और विपक्ष ने भी कई तरह के सवाल राज्य सरकार पर खड़े किये थे. पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा लगातार यह मांग की गई कि जब पंचायती राज व्यवस्था के तहत चुने गए जनप्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, उनकी ही हत्या रंजिश के कारण हो रही है तो ऐसे में आम जनता कैसे सुरक्षित रहेगी

ये भी पढ़ें: मुंगेर में 'लाल आतंक': कहा था चुनाव मत लड़ो.. बावजूद बना मुखिया तो नक्सलियों ने गर्दन काटकर किया अलग

इसके बाद बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर से 13 बिंदुओं पर पुलिस विभाग को निर्देश दिया गया है. जिसमें मुखिया की हत्या होने पर एसआईटी का गठन कर दोषी व्यक्ति को 1 साल तक जमानत नहीं मिलने देने के लिए सीसीए लगाने के साथ-साथ पुलिस प्रशासन को 6 माह में स्पीड ट्रायल करके त्वरित सजा दिलाने का निर्देश दिया गया है.

ये भी पढ़ें: भोजपुर में चुनावी रंजिश में गई नव निर्वाचित मुखिया की जान, एंबुलेंस की हुई पहचान

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पटना: पंचायत चुनाव के समय और चुनाव के परिणाम के बाद बिहार में सात पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या (Panchayat Representatives Murder) हुई थी. इन मामलों में घटित घटना के बाद अब इस मामलों का स्पीडी ट्रायल चलाकर दोषियों को सजा दिलवाई जाएगी. बिहार सरकार के गृह विभाग (Home Department) ने निर्देश दिया है कि पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या की जांच दारोगा लेवल के अधिकारी से नहीं, बल्कि डीएसपी लेवल के अधिकारी से करवायी जाएगी. साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों की हुई हत्या मामले में एसआईटी का गठन होगा, जिसकी जिम्मेवारी डीएसपी लेवल के अधिकारी की होगी.

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पंचायत प्रतिनिधियों पर लगातार हो रहे हमले के बाद कहीं ना कहीं पंचायत प्रतिनिधि खुद की सुरक्षा की मांग लगातार करते आ रहे हैं. यहां तक कि उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को लाइसेंसी हथियार तक देने की बात की है. इसके बाद गृह विभाग ने पुलिस प्रशासन को इन मामलों में एसआईटी गठित कर अगले 3 महीने में जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, ताकि अपराधियों के खिलाफ ट्रायल चलाकर उन्हें सजा दिलाई जा सके.

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आपको बता दें कि पंचायत चुनाव के बाद अब तक पांच मुखिया, एक सरपंच और एक वार्ड सदस्य समेत कुल 7 जनप्रतिनिधियों की राजनीतिक रंजिश के चक्कर में हत्या हो चुकी है.

दरअसल साल 2021 के अंत में राज्य में हुए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत 8067 पंचायतों में नए मुखिया और 113307 वार्ड सदस्य चुने गए थे. इसके बाद कहीं ना कहीं जनप्रतिनिधियों पर हमला और हत्या की घटनाएं सामने आने लगी. जिसके बाद पंचायती राज मंत्री और विपक्ष ने भी कई तरह के सवाल राज्य सरकार पर खड़े किये थे. पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा लगातार यह मांग की गई कि जब पंचायती राज व्यवस्था के तहत चुने गए जनप्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, उनकी ही हत्या रंजिश के कारण हो रही है तो ऐसे में आम जनता कैसे सुरक्षित रहेगी

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इसके बाद बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर से 13 बिंदुओं पर पुलिस विभाग को निर्देश दिया गया है. जिसमें मुखिया की हत्या होने पर एसआईटी का गठन कर दोषी व्यक्ति को 1 साल तक जमानत नहीं मिलने देने के लिए सीसीए लगाने के साथ-साथ पुलिस प्रशासन को 6 माह में स्पीड ट्रायल करके त्वरित सजा दिलाने का निर्देश दिया गया है.

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