पटना: नीतीश कुमार के खिलाफ कोई भी नेता यदि बयान दिया हो तो उसके खिलाफ पार्टी एक्शन लेती रही है. लेकिन, उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ पार्टी किसी भी तरह की कार्रवाई करने से बच रही है. यहां तक की शो कॉज नोटिस भी अब तक नहीं भेजा गया है. उपेंद्र कुशवाहा खुलकर चुनौती दे रहे हैं. चर्चा यह भी है कि उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं, जिससे बिहार में लव-कुश समीकरण एक बार फिर से नए रूप में आ सकता है. जो स्थिति बन रही है, उपेंद्र कुशवाहा को लेकर कहा जाने लगा है कि कहीं बिहार के एकनाथ शिंदे ना (Upendra Kushwaha Eknath Shinde of Bihar ) बन जाए.
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पार्टी नेतृत्व पर निशाना: जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लेकर कई तरह की कयास लगाए जा रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा लगातार पार्टी नेतृत्व पर निशाना साध रहे हैं. ऐसे-ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जिससे पार्टी के नेताओं, मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष की मुश्किलें बढ़ा दी है. इसके बाद भी जदयू की तरफ से अभी तक कोई एक्शन होता दिख नहीं रहा है. पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा को लेकर खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय नेता हैं. यह मेरे क्षेत्र से बाहर का मामला है. वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि सबका चुनाव हुआ है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का प्रदेश अध्यक्ष का. अभी तक ना तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन हुआ है और ना ही प्रदेश कार्यकारिणी का. इसलिए मुझे कुछ बोलना नहीं है.
दो फाड़ हो जाएगी पार्टीः उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह की नजदीकियां बढ़ने की भी चर्चा हो रही है. उपेंद्र कुशवाहा ने संकेत भी दिए हैं कि लार्जर इंटरेस्ट में आरसीपी सिंह को लेकर मतभेद भुलाया भी जा सकता है. इस पर मंत्री अशोक चौधरी का कहना है उनके संपर्क में होंगे, इसलिए इस तरह का बयान दे रहे हैं. सूत्रों की मानें तो उपेंद्र कुशवाहा को जदयू के कई नेताओं का समर्थन मिल रहा है. हालांकि, खुलकर पार्टी के नेता नीतीश कुमार के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा बड़े लीडर हैं. जिस प्रकार से उनकी लोकप्रियता बढ़ी है, नीतीश कुमार को डर है कि यदि कार्रवाई करेंगे तो पार्टी दो भाग में बंट जाएगी.
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कुशवाहा की ताकतः उपेंद्र कुशवाहा के नजदीकी ठाकुर धर्मेंद्र का कहना है 2020 विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की ताकत जदयू देख चुका है. कुशवाहा वोट बैंक के कारण 40 सीटों पर हार जीत में कुशवाहा ने अकेले असर डाला था. उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ बड़ी साजिश हो रही है. यदि जदयू नेतृत्व नहीं चेता तो बड़ा नुकसान तय है. महात्मा फुले परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा का कहना है मुख्यमंत्री ने अगला चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने की बात कही है. लव कुश सात जन्म में भी यह कभी मानने वाला नहीं है. आरसीपी सिंह को जिस प्रकार से बाहर का रास्ता दिखाया गया उपेंद्र कुशवाहा को भी उसी तरह की कोशिश की जा रही है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा आरसीपी सिंह नहीं हैं.
बिहार के बड़े नेताः वहीं जदयू एमएलसी रामेश्वर महतो सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार उपेंद्र कुशवाहा के समर्थन में दिख रहे हैं. रामेश्वर महतो का कहना है कि 2020 के चुनाव में कई सीटों के रिजल्ट को देखा जा सकता है, जिसमें रालोसपा के कारण जदयू के उम्मीदवार की हार हुई थी. बिहार में आज कुशवाहा का जहां भी वोट है वह सब उपेंद्र कुशवाहा के साथ है. मुख्यमंत्री को कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं. ऐसे में जदयू को भारी नुकसान हो जाएगा. लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान के बाद उपेंद्र कुशवाहा बिहार के सबसे बड़े नेता हैं.
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"मुख्यमंत्री ने अगला चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने की बात कही है. लव कुश सात जन्म में भी यह कभी मानने वाला नहीं है. आरसीपी सिंह को जिस प्रकार से बाहर का रास्ता दिखाया गया उपेंद्र कुशवाहा को भी उसी तरह की कोशिश की जा रही है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा आरसीपी सिंह नहीं हैं" - सुभाष सिंह कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, महात्मा फुले परिषद