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पटनाः ब्लैक फंगस से डॉक्टर की मौत, 11 नए मरीज भी मिले

बिहार में ब्लैक फंगस से एक डॉक्टर की मौत हो गई है. वे रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती थे. रूबन हॉस्पिटल के अनुसार मृतक प्रोफेसर डॉ. उदय शंकर पांडे बेतिया राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पैथोलॉजी व माइक्रोलॉजी विभाग में थे. बिहार में ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या 50 के पार हो गई है.

ब्लैक फंगस का कहर
ब्लैक फंगस का कहर
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Published : May 18, 2021, 11:03 AM IST

Updated : May 18, 2021, 12:27 PM IST

पटना: कोरोना से स्वस्थ होने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस का मामला गहराता जा रहा है. सोमवार को प्रदेश में ब्लैक फंगस के 11 नए मामले सामने आए. जिसके बाद प्रदेश में ब्लैक फंगस से ग्रसित मरीजों की संख्या 50 के पार पहुंच गई है. इन 11 मरीजों में पटना एम्स में पांच और आईजीआईएमएस में 6 मरीज एडमिट हुए हैं. इससे एक डॉक्टर की भी मौत हो गई.

यह भी पढ़ें- 'ब्लैक फंगस' क्या है, कैसे पहचानें? एक्सपर्ट से जानिए हर सवाल का जवाब

रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में हुई मौत
सोमवार को ब्लैक फंगस से एक डॉक्टर की इलाज के दौरान रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में मौत हो गई. यह प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस से संक्रमित किसी चिकित्सक की पहली मौत है. इसके पहले भी ब्लैक फंगस से प्रदेश में 2 लोगों की मौत हो चुकी है. रूबन हॉस्पिटल के अनुसार बेतिया राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पैथोलॉजी व माइक्रो लॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. उदय शंकर पांडे की इलाज के दौरान मौत हो गई.

कोरोना से ठीक होने के बाद हुआ था ब्लैक फंगस
कोरोना से ठीक होने के बाद उन्हें ब्लैक फंगस हो गया था. 5 दिन पहले वे अस्पताल में एडमिट हुए थे. संक्रमण काफी ज्यादा फैल गया था. जिस वजह से सर्जरी कर दाहिनी आंख निकाल दी गयी थी. बाद में शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और सोमवार देर रात उनकी मौत हो गई.

50 बेड की हो रही है व्यवस्था
बताते चलें कि ब्लैक फंगस की चपेट में वे मरीज आ रहे हैं, जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हुए हैं. और जिनकी इम्यूनिटी काफी कम है. इसके साथ ही वे अगर शुगर से पीड़ित हैं और स्ट्राइड का प्रयोग भी इलाज के दौरान हुआ है. स्ट्राइड के प्रयोग से मरीज का शुगर लेवल बढ़ जाता है और इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. ऐसे में इन मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा काफी बढ़ जाता है. ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को देखते हुए पटना के आईजीआईएमएस हॉस्पिटल में इसके मरीजों के लिए अलग से 50 बेड की व्यवस्था की जा रही है.

क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

ब्लैक फंगस के इंफेक्शन से कैसे बचें
ब्लैक फंगस के इंफेक्शन से कैसे बचें

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

यह भी पढ़ें: कोरोना के बीच बढ़ा 'ब्लैक फंगस' का खतरा, पटना में 10 मरीजों में पुष्टि, बांका में 2 की मौत

यह भी पढ़ें- बिहार में ब्लैक फंगस के आठ नए मरीज मिले, संक्रमितों की संख्या हुई 42

पटना: कोरोना से स्वस्थ होने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस का मामला गहराता जा रहा है. सोमवार को प्रदेश में ब्लैक फंगस के 11 नए मामले सामने आए. जिसके बाद प्रदेश में ब्लैक फंगस से ग्रसित मरीजों की संख्या 50 के पार पहुंच गई है. इन 11 मरीजों में पटना एम्स में पांच और आईजीआईएमएस में 6 मरीज एडमिट हुए हैं. इससे एक डॉक्टर की भी मौत हो गई.

यह भी पढ़ें- 'ब्लैक फंगस' क्या है, कैसे पहचानें? एक्सपर्ट से जानिए हर सवाल का जवाब

रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में हुई मौत
सोमवार को ब्लैक फंगस से एक डॉक्टर की इलाज के दौरान रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में मौत हो गई. यह प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस से संक्रमित किसी चिकित्सक की पहली मौत है. इसके पहले भी ब्लैक फंगस से प्रदेश में 2 लोगों की मौत हो चुकी है. रूबन हॉस्पिटल के अनुसार बेतिया राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पैथोलॉजी व माइक्रो लॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. उदय शंकर पांडे की इलाज के दौरान मौत हो गई.

कोरोना से ठीक होने के बाद हुआ था ब्लैक फंगस
कोरोना से ठीक होने के बाद उन्हें ब्लैक फंगस हो गया था. 5 दिन पहले वे अस्पताल में एडमिट हुए थे. संक्रमण काफी ज्यादा फैल गया था. जिस वजह से सर्जरी कर दाहिनी आंख निकाल दी गयी थी. बाद में शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और सोमवार देर रात उनकी मौत हो गई.

50 बेड की हो रही है व्यवस्था
बताते चलें कि ब्लैक फंगस की चपेट में वे मरीज आ रहे हैं, जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हुए हैं. और जिनकी इम्यूनिटी काफी कम है. इसके साथ ही वे अगर शुगर से पीड़ित हैं और स्ट्राइड का प्रयोग भी इलाज के दौरान हुआ है. स्ट्राइड के प्रयोग से मरीज का शुगर लेवल बढ़ जाता है और इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. ऐसे में इन मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा काफी बढ़ जाता है. ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को देखते हुए पटना के आईजीआईएमएस हॉस्पिटल में इसके मरीजों के लिए अलग से 50 बेड की व्यवस्था की जा रही है.

क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

ब्लैक फंगस के इंफेक्शन से कैसे बचें
ब्लैक फंगस के इंफेक्शन से कैसे बचें

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

यह भी पढ़ें: कोरोना के बीच बढ़ा 'ब्लैक फंगस' का खतरा, पटना में 10 मरीजों में पुष्टि, बांका में 2 की मौत

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Last Updated : May 18, 2021, 12:27 PM IST
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