पटना: बिहार में चुनावी परिणाम घोषित होने के बाद दिवाली की तैयारियां शुरू हो गई है. एक ओर जहां प्रशासन की ओर से दिवाली सेलिब्रेशन और काली पूजा के जश्न को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है. वहीं बाजारों में भी सामान सजा दिए गए हैं. कोरोना के कारण इस बार पर्व की रौनक कम देखने को मिल रही है.
दीपावली पर्व में एक ओर जहां रंग-बिरंगी इलेक्ट्रॉनिक बल्ब और सजावटी लाइटों की भरमार रहती है वहीं मिट्टी से बने दीये का भी अगल महत्व माना जाता है. लोग अपने घरों में कितनी ही चाइनीज लाइटें क्यों न लगा लें, इक्का-दुक्का दीये जरूर जलाते हैं. इसका पौराणिक महत्व है. वहींं ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो दीपावली पर्व में डायन दीया अधिक डिमांड में रहता है.
ग्रामीण इलाकों में डायन दीया की मांग
डायन दीया नाम भले ही सुनने में अजीब लग रहा हो लेकिन दिवाली के दिन इसकी खास महत्ता है. डायन दीया की डिमांड ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बहुत ज्यादा है. बाजारों में मिट्टी के दीये खरीदने वक्त डायन दीया हर कोई खरीदना चाहता है. बताया जाता है कि डायन दीया घर के बाहर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा घरों में प्रवेश नहीं करती है. इसलिए हर कोई डायन दीया खरीदना चाहता है. बता दें कि डायन दीया में एक भयानक प्रतिमा पर पांच छोटे-छोटे दीयेनुमा बने हुए रहते हैं.