पटना: दिवाली (Diwali 2021) की धूम पूरे देश के साथ ही बिहार (Diwali In Bihar) में भी देखने को मिल रही है. कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान (Lakshmi Puja Vidhi) से पूजा करने से धन धान्य की कभी कमी नहीं होती है. अगर शुभ मुहूर्त (Laxmi Puja Muhurat) में पूजा की जाए तो इसका दोगुना लाभ मिलता है. दिवाली त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अन्याय पर न्याय का विजय का प्रतीक है. इस दिन लक्ष्मी माता को पूजा जाता है. लक्ष्मी प्रकाश, धन और सौंदर्य की देवी हैं.
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क्यों मनाई जाती है दिवाली? इसके पीछे अलग-अलग कहानियां हैं. माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या नगरी लौटे थे, तब उनकी प्रजा ने मकानों की सफाई की और दीप जलाकर उनका स्वागत किया. आज भी लोग दिवाली के दिन हर्षोल्लास के साथ घरों की सफाई करते हैं, पूजा करते हैं और पूरे घर को दीयों की रोशनी से सजाया जाता है.
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दूसरी कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके प्रजा को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई तो द्वारका की प्रजा ने दीपक जलाकर उनको धन्यवाद दिया था. एक और किवदंती के अनुसार सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ तो धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी के प्रकट होने पर दीप जलाकर आनंद व्यक्त किया गया.
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शुभ मुहूर्त: दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. अमावस्या तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 06:03 बजे से हो गई है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को सुबह 02:44 पर होगी. लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:09 बजे से शुरू होकर रात 08:04 बजे तक रहेगा. यानी इस मुहूर्त की कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की है. दिवाली की शाम को प्रदोष काल के समय लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है.
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पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री: माता लक्ष्मी को लाल रंग काफी प्रिय माना जाता है. पूजा में गुड़हल का फूल चढ़ाना विशेष फलदायक माना जाता है. इसके साथ ही लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां या चित्र, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा जरूरी है. कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल के साथ ही पान और सुपारी भी पूजा में जरूर रखें.
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लक्ष्मी पूजा विधि: दिवाली के लिए लोग कई दिन पहले से ही घरों के साफ सफाई में लग जाते हैं, लेकिन दिवाली के दिन सबसे पहले सुबह उठकर एक बार फिर से घर के हर कोनों की साफ-सफाई करनी चाहिए. इसके बाद स्नान करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर घर को पवित्र करना चाहिए. घर को अच्छे तरीके से सजाना और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना भी शुभ होता है. घर के मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार लगाना चाहिए, और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए.
शाम के लक्ष्मी पूजा के दौरान भी कई बातों का ख्याल रखना चाहिए. पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर गंगाजल का छिड़काव करते हुए देवी लक्ष्मी,भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ मां सरस्वती और कुबेर देवता की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. चौकी पर लाल कपड़ी रखकर उसमें थोड़ा चावल संकल्प के साथ रखना चाहिए. कलश में जल भरकर इसे चावल के ऊपर स्थापित करना चाहिए. आम के पत्ते भी रखने चाहिए, माना जाता है कि इसमें देवी का वास होता है. इसलिए दरवाजे में आम के पत्ते लगाना बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है. शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा आरंभ करनी चाहिए,ताकि माता प्रसन्न हो और दोगुना लाभ की प्राप्ति हो. महालक्ष्मी की पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और पुस्तकों की पूजा करनी चाहिए. अंत में माता लक्ष्मी की आरती करके घर के सभी हिस्सों में दीये जलाने चाहिए.