पटना : जिसे कचरा समझकर लोग घरों से बाहर फेक देते हैं, उसी कबाड़ से योगेन्द्र कुमार अपना घर और किस्मत (Best out of waste craft in Patna) दोनों संवार रहे हैं. अभी तक हम सुनते आए हैं कि कोई भी चीज बेकार नहीं होती. उसी कहावत को आज पटना के दिव्यांग योगेन्द्र ने जीवन का आधार बना लिया. इन्होंने अपने हुनर और जुगाड़ से रद्दी सामान (Artwork From Garbage in Patna) में भी जान फूंक दी है. आज इनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों से लोग अपने घर सजा रहे हैं.
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योगेन्द्र ने अपने कलाकृतियों में उन चीजों को अहमियत दी जो अनुपयोगी हैं. पुराना न्यूज पेपर, बेकार प्लास्टिक, बादाम का छिलका, थर्माकोल, पौधों की टहनियां को अपने हुनर के दम पर आकर्षक रूप देकर सबका मन मोह रहे हैं. साथ ही लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश भी दे रहे हैं. योगेन्द्र का मानना है कि अनुपयोगी सामान का इस्तेमाल करके फिर से उपयोग में लाना ही रिसाइकिलिंग है. इससे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण जैसी परेशानियों से बचा जा सकता है.
'जिसे आदमी बेकार समझ कर फेंक देता है, उससे हम नया नया आर्ट बनाते हैं. उसे हम नया रूप देते हैं ताकि लोग उसे अपने घरों में सजावट के रूप में रख सकें, इससे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी साथ ही घरों को भी सुंदर बनाया जा सकता है '- योगेन्द्र, वेस्ट से बेस्ट बनाने वाले कलाकार
योगेंद्र ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि बचपन से ही पेंटिंग और कलाकृतियां बनाने का शौक था. पेंटिंग और घर में बेकार सामान को इस्तेमाल करते थे उसी दरमियान उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान के बारे में जानकारी मिली, वहां एडमिशन करवाया और फिर ट्रेंनिंग के बाद और अच्छा कलाकृति तैयार करने लगे. योगेंद्र वेस्ट समानों को नया रूप देते हैं तथा किसी की शादी, बर्थडे पर इसको गिफ्ट करते हैं.
योगेंद्र का कहना है कि सबसे ज्यादा हानिकारक प्लास्टिक की बोतल होतीं हैं, ऐसे में लोग खुले में प्लास्टिक की बोतल को फेंक देते हैं. यही प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक है. ऐसे में इस प्लास्टिक को एक नया रूप देकर घर में सजा दिया जाए तो घर काफी खूबसूरत दिखने लगता है. यही सोचकर वह तरह-तरह के व्यर्थ सामानों को नया रूप देकर घरों में सजाते हैं और लोगों को गिफ्ट कर पर्यावरण संरक्षण की संदेश देते हैं.
योगेंद्र भले हैं दिव्यांग है लेकिन इनके हौसले बुलंद हैं. योगेंद्र ने ये ठान रखा है कि वो तब तक वेस्ट सामानों को बेस्ट कलाकृतियों में तब्दील करते (Artwork from Garbage by Yogendra Kuma) रहेंगे, जब तक उनकी कला को एक पहचान न मिल जाए. योगेंद्र चाहते हैं कि सरकार उनके द्वारा बनाई गई अनूठी कलाकृतियों को बाजार उपलब्ध करवाए, ताकि उनके लिए दो वक्त की रोटी का भी जुगाड़ हो सके.
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