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कब दूर होगी शिक्षकों की वेतन विसंगति, 15% वृद्धि के लिए भी करना पड़ रहा है इंतजार

बिहार के विभिन्न विद्यालयों में तैनात शिक्षक वेतन विसंगति और घोषित 15% वेतन वृद्धि काे लेकर आवाज बुलंद करने लगे हैं. उनका कहना है कि सरकार अपने वादे को भूल गयी है. अब विपक्ष भी इसे मुद्दा बनाने लगा है. कांग्रेस ने कहा कि यदि सरकार शिक्षकों की इन समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं करती है तो आंदोलन किया जायेगा.

teachers in bihar
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Published : Jul 28, 2021, 7:10 AM IST

पटना: बिहार के विभिन्न स्कूलों में तैनात लाखों नियोजित शिक्षकों की वेतन विसंगति (Discrepancy in the Salary of Teachers) का मामला हो या फिर घोषित 15% वेतन वृद्धि का मामला, तमाम बातें सरकार जैसे भूल ही गई है. एक तरफ जहां शिक्षक लगातार सरकार से वेतन वृद्धि लागू करने और विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने इसे लेकर सवाल खड़े किए हैं. विपक्ष का कहना है कि अगर इस मुद्दे पर जल्द निर्णय नहीं होता है तो हम सरकार को घेरेंगे.

ये भी पढ़ें: Bihar Education: बिहार के स्कूल और कॉलेज गेस्ट टीचर्स के भरोसे, नियमित शिक्षकों का टोटा

आपको बता दें कि शिक्षा विभाग के विभागीय संकल्प संख्या 1157 दिनांक 20 सितंबर 2020 द्वारा पंचायती राज संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के वर्तमान वेतन में 1 अप्रैल 2021 को मूल वेतन में 15% वृद्धि करने का निर्णय लिया गया था. पिछले सत्र में ही बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री ने यह घोषणा की थी कि अप्रैल महीने में सरकार शिक्षकों की सैलरी के लिए एक नये सॉफ्टवेयर के जरिए ना सिर्फ वेतन वृद्धि लागू करेगी बल्कि उनकी तमाम वेतन विसंगतियों को दूर कर देगी. लेकिन इस घोषणा को भी अब 4 महीने हो चुके हैं.

दरअसल, वेतन विसंगति दूर करने के मामले में माध्यमिक शिक्षक संघ (Secondary Teachers Association) का कहना है कि मूल रूप से नियोजित माध्यमिक शिक्षक, उच्च माध्यमिक शिक्षक और लाइब्रेरियन की वेतन विसंगति दूर करते हुए 15% वृद्धि करने और पे मैट्रिक्स की मांग हो रही है. वरीय शिक्षकों को प्रतिवर्ष वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं कर 3 वर्ष में एक बार वेतन वृद्धि करने के फैसले पर भी शिक्षकों में असंतोष है. वहीं वरीय शिक्षकों को 2 वर्ष तक ग्रेड पे से वंचित कर देने से उनका वेतन जूनियर टीचर से भी कम हो जाएगा.

देखें रिपोर्ट

सेवानिवृत्त शिक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि सातवें वेतन पुनरीक्षण में वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में मूल वेतन और ग्रेड पे में विसंगति होने की वजह से प्राथमिक शिक्षकों का वेतन माध्यमिक शिक्षकों से अधिक हो रहा है. सभी शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से 2 वर्ष तक ग्रेड पे से वंचित करने से वरीय और कनीय शिक्षकों के बीच ग्रेड पे का लाभ देने के समय भारी विसंगति पैदा हो रही है. वरीय शिक्षकों का वेतन कनीय शिक्षकों से कम हो गया है. इसके कारण सभी जिलों में वेतन निर्धारण में एकरूपता भी नहीं है.

सरकार के संकल्प को भी लागू नहीं करने पर कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा (Premchand Mishra) ने कहा कि इसमें नया कुछ भी नहीं है. सरकार लगातार अपने किए वायदे भूलते जा रही है. विशेष रूप से शिक्षा और शिक्षकों के मामले में सरकार की नीति अत्यंत दयनीय है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द शिक्षकों की वेतन वृद्धि लागू नहीं करती है और विसंगति दूर नहीं करती है तो हम इसे लेकर आंदोलन करेंगे.

इधर, शिक्षक नेता और भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव (MLC Naval Kishore Yadav) ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई है. जैसे ही स्थितियां सामान्य होंगी, सरकार अपने वादे को पूरा करेगी. एक बार जब वेतन वृद्धि होगी तो सभी शिक्षकों की वेतन विसंगति भी दूर हो जाएगी.

पटना: बिहार के विभिन्न स्कूलों में तैनात लाखों नियोजित शिक्षकों की वेतन विसंगति (Discrepancy in the Salary of Teachers) का मामला हो या फिर घोषित 15% वेतन वृद्धि का मामला, तमाम बातें सरकार जैसे भूल ही गई है. एक तरफ जहां शिक्षक लगातार सरकार से वेतन वृद्धि लागू करने और विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने इसे लेकर सवाल खड़े किए हैं. विपक्ष का कहना है कि अगर इस मुद्दे पर जल्द निर्णय नहीं होता है तो हम सरकार को घेरेंगे.

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आपको बता दें कि शिक्षा विभाग के विभागीय संकल्प संख्या 1157 दिनांक 20 सितंबर 2020 द्वारा पंचायती राज संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के वर्तमान वेतन में 1 अप्रैल 2021 को मूल वेतन में 15% वृद्धि करने का निर्णय लिया गया था. पिछले सत्र में ही बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री ने यह घोषणा की थी कि अप्रैल महीने में सरकार शिक्षकों की सैलरी के लिए एक नये सॉफ्टवेयर के जरिए ना सिर्फ वेतन वृद्धि लागू करेगी बल्कि उनकी तमाम वेतन विसंगतियों को दूर कर देगी. लेकिन इस घोषणा को भी अब 4 महीने हो चुके हैं.

दरअसल, वेतन विसंगति दूर करने के मामले में माध्यमिक शिक्षक संघ (Secondary Teachers Association) का कहना है कि मूल रूप से नियोजित माध्यमिक शिक्षक, उच्च माध्यमिक शिक्षक और लाइब्रेरियन की वेतन विसंगति दूर करते हुए 15% वृद्धि करने और पे मैट्रिक्स की मांग हो रही है. वरीय शिक्षकों को प्रतिवर्ष वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं कर 3 वर्ष में एक बार वेतन वृद्धि करने के फैसले पर भी शिक्षकों में असंतोष है. वहीं वरीय शिक्षकों को 2 वर्ष तक ग्रेड पे से वंचित कर देने से उनका वेतन जूनियर टीचर से भी कम हो जाएगा.

देखें रिपोर्ट

सेवानिवृत्त शिक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि सातवें वेतन पुनरीक्षण में वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में मूल वेतन और ग्रेड पे में विसंगति होने की वजह से प्राथमिक शिक्षकों का वेतन माध्यमिक शिक्षकों से अधिक हो रहा है. सभी शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से 2 वर्ष तक ग्रेड पे से वंचित करने से वरीय और कनीय शिक्षकों के बीच ग्रेड पे का लाभ देने के समय भारी विसंगति पैदा हो रही है. वरीय शिक्षकों का वेतन कनीय शिक्षकों से कम हो गया है. इसके कारण सभी जिलों में वेतन निर्धारण में एकरूपता भी नहीं है.

सरकार के संकल्प को भी लागू नहीं करने पर कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा (Premchand Mishra) ने कहा कि इसमें नया कुछ भी नहीं है. सरकार लगातार अपने किए वायदे भूलते जा रही है. विशेष रूप से शिक्षा और शिक्षकों के मामले में सरकार की नीति अत्यंत दयनीय है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द शिक्षकों की वेतन वृद्धि लागू नहीं करती है और विसंगति दूर नहीं करती है तो हम इसे लेकर आंदोलन करेंगे.

इधर, शिक्षक नेता और भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव (MLC Naval Kishore Yadav) ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई है. जैसे ही स्थितियां सामान्य होंगी, सरकार अपने वादे को पूरा करेगी. एक बार जब वेतन वृद्धि होगी तो सभी शिक्षकों की वेतन विसंगति भी दूर हो जाएगी.

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