पटनाः बिहार राज्य आपदा विभाग ने बाढ़ पूर्व तैयारी के लिए कमर कस लिया है. विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने बताया कि बाढ़ पूर्व तैयारी जिला स्तर और मुख्यालय स्तर पर शुरू कर दी गई है. हालांकि अभी सभी लोग कोरोना वायरस से बचाव में लगे हुए हैं. लेकिन मानसून नजदीक आने वाला है. इसलिए बाढ़ पूर्व तैयारी भी शुरू कर दी गई है.
जिस तरीके से पिछले साल बाढ़ के पूर्व तैयारी की गई थी और लोगों की सहायता भी बेहतर तरीके से की गई थी. उसी तरह इस वर्ष की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है.
लोगों को नहीं होगी कोई असुविधा
मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने कहा कि इस वर्ष बिहार में बाढ़ की तैयारी इस रूप में होगी कि लोगों को किसी तरह की कोई असुविधा या कठिनाई नहीं हो. हर स्तर पर विभाग ने पूरी तैयारी कर रखा है और तत्पर है. पिछले वर्ष विभाग ने बाढ़ पीड़ितों को राहत कैंप में रखा था.
काफी मुस्तैदी के साथ काम कर रही टीम
इस बार विभाग और सतर्कता के साथ कार्य करेगा और लोगों तक राहत पहुंचाने का काम करेगा. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी पूरी तरीके से मुस्तैद रहेगी. एनडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम करोना संक्रमण के समय से ही काफी मुस्तैदी के साथ काम कर रही है. इस साल भी हर जिले में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को भेज दिया गया है. कुछ जिलों में टीमें पहले से ही तैनात हैं.
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2019 में थी कैसी व्यवस्था
बता दें कि वर्ष 2019 में आपदा प्रबंधन विभाग ने 1,468 रिलीफ कैंप बनाए थे. जिसमें 80 लाख 6 हजार चार सौ 99 लोगों को रखा गया था. प्रभावित लोगों की सहायता के लिए रिलीफ सेंटर बनाए गए थे, जहां उनके आश्रय और भोजन की व्यवस्था की गई थी.
- बिहार में लगभग 2,229 कमेटी किचन कार्य कर रहे थे.
- साल 2019 में बाढ़ के कारण 133 लोगों की मृत्यु हुई थी.
- एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की 27 टीमों को लगाया गया था.
- 1,201 नाव के संचालन के साथ राहत कार्य किया गया था.
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 9,390 फूड पैकेट्स गिराए गए थे.
- बाढ़ के कारण 8,318 आंशिक और 2,441 कच्चे मकान ध्वस्त हुए थे.
- प्रभावित परिवारों को 25 करोड़ 87 लाख 56 लाख सात सौ रुपये दिए गए थे.
- बाढ़ के कारण 5818 पशु शेड ध्वस्त हो गए थे. इसके लिए एक करोड़ 22 लाख 17 हजार आठ सौ रुपये दिए गए थे.
- विभाग ने 397 पशु कैंपस स्थापित किए थे.
आपदा विभाग ने 10 बाढ़ प्रभावित जिलों सीतामढ़ी, मधुबनी, मधेपुरा, पूर्णिया, वैशाली, खगड़िया मुजफ्फरपुर, सहरसा, भागलपुर और पटना में एसडीआरएफ को प्रतिनियुक्त किया था. बाढ़ के कारण 133 लोगों की मृत्यु हुई थी, जिनके परिवार को चार लाख प्रति व्यक्ति के अनुसार अनुदान दिया गया था.