पटना: सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि 70 साल में संविधान की आत्मा के ऊपर इतना बड़ा हमला पहले कभी नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि संविधान के प्रस्तावना के अनुसार धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा चाहिए. लेकिन सीएए और एनआरसी के जरिए एक समुदाय विशेष के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
सीएए की क्या जरूरत
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि पुराना कानून नागरिकता देने के लिए काफी था लेकिन सीएए को माध्यम से सरकार हिंदू-मुस्लिम करके देश को धर्म के नाम पर बांटना चाहती है. उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार पिछले 6 सालों में पाकिस्तान से आए 4000 लोगों को नागरिकता दी है, जिसमें मुसलमान भी शामिल हैं. तो सरकार के आंकड़े के अनुसार जो बचे हुए 31,313 लोग हैं, उन्हें भी नागरिकता दे दें. इसके लिए अलग से सीएए लाने की क्या जरूरत है?
'मूल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है सरकार'
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार के मंत्री गोली मारने की बात करते हैं. तो एक युवक जो खुद को रामभक्त बताता है, शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला देता है. उन्होंने कहा कि जब वह युवक बंदूक लेकर आगे बढ़ रहा था उस वक्त पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी थी. वही पुलिस जेएनयू और जामिया में घुसकर छात्रों पर लाठियां बरसा रही थी. बेरोजगारी, महंगाई और गिरते विकास दर जैसे मूल मुद्दों से देश का ध्यान भटकाने के लिए सरकार सीएए और एनआरसी पर हंगामा चाहती है.