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PHQ में बैठक के बाद DGP का सख्त निर्देश- 'सभी जिलों में बढ़ाएं गश्ती, रोको..टोको..फोटो पर हो अमल'

बिहार पुलिस मुख्यालय में अंतर प्रभागीय समन्वय समिति की बैठक (Inter Divisional Coordination Committee Meeting in Patna) हुई. डीजीपी संजीव कुमार सिंघल की अध्यक्षता में यह बैठक हुई. जिसमें सभी जिले के एसपी को निर्देश दिया गया है कि अपराध की घटनाओं का स्वरूप तय करने के बाद जिन जगहों पर अपराध की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं उन जगहों को हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित कर वहां गश्ती बढ़ा दी जाए. पढ़ें पूरी खबर..

Bihar DGP Sanjeev Kumar Singhal
Inter Divisional Coordination CommitteeInter Divisional Coordination Committee Meeting in Patna Meeting in Patna
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Published : Apr 8, 2022, 8:09 AM IST

पटना: बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) में बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल (Bihar DGP Sanjeev Kumar Singhal) की अध्यक्षता में अंतर प्रभागीय समन्वय समिति की बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में राज्य के सभी जिले के एसपी समेत बिहार पुलिस के कई प्रभावों के वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे. बैठक में डीजीपी संजीव कुमार सिंघल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिले के एसपी (DGP Meeting With All SP) को निर्देश दिया कि पुलिस गश्ती कारगर होनी चाहिए, किसी भी परिस्थिति में इसकी खानापूर्ति नहीं की जाए और सड़क पर पुलिस की उपस्थिति दिखनी चाहिए. पुलिस गश्ती दल को गश्त के क्रम में सजग और सतर्क रहना है.

यह भी पढ़ें - बिहार पुलिस मुख्यालय में अंतर विभागीय समन्वय समिति की बैठक, DGP ने लंबित मामलों को जल्द निपटाने के दिए निर्देश

डीजीपी ने सभी एसपी को दिया निर्देश: बैठक में डीजीपी ने सभी एसपी को निर्देश किया है कि गश्ती वाहन से सड़कों पर उतर कर संदिग्धों की चेकिंग करनी है. राज्य के सभी एसपी को निर्देश दिया गया है कि अपराध की घटनाओं का स्वरूप तय करने के बाद जिन जगहों पर अपराध की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं उन जगहों को हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित कर वहां गश्ती बढ़ा दी जाए. इन स्थानों पर पुलिस गश्त निर्धारित समय पर नहीं, बल्कि यहां अधिक से अधिक गश्ती की जानी चाहिए. पुलिस गश्ती के क्रम में यदि अपराध प्रतिनिधित्व होता है तो इसकी जिम्मेदारी तय की जाए. पुलिस भर्ती में प्रत्येक स्तर पर व्यक्तिगत प्रदर्शन को आकाश जाएगा और पुलिस कर्मियों के द्वारा व्यक्तिगत रूप से अपराध नियंत्रण में उनका क्या योगदान है यह देखा जाएगा.

वहीं, बैठक के दौरान डीजीपी ने गंभीर कांडों में गिरफ्तारी हेतु गठित राज्य के कार्य की समीक्षा की. इस दौरान पुलिस महानिदेशक ने क्षेत्रीय वरीय पदाधिकारियों और जिले के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि एक अंतराल तत्पर थानों में जाकर थानों से संबंधित अपराध निर्देशिका को देखा जाए. खासकर भूमि विवाद से संबंध से जुड़े मामलों को ज्यादा जोर दिया जाए.

बैठक में पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार के द्वारा क्षेत्रीय पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस गस्त को कारगर बनाने हेतु रोको, टोको और फोटो का सिद्धांत अपनाया जाए. इस स्लोगन का तात्पर्य है कि पुलिस गश्त के दौरान गश्ती अधिकारियों द्वारा संदिग्ध वाहनों को रोका जाए, उनसे पूछताछ की जाए और उनके वाहन की फोटो मोबाइल में ली जाए. ताकि अगर उनके इलाके में कोई घटना घटती है तो उन तस्वीरों के जरिए अपराधी की पहचान की जा सके.

अपर पुलिस महानिदेशक मुख्यालय के द्वारा प्रत्येक जिले के पुलिस अधीक्षकों को अधिकतम तीन अथवा कम से कम एक महत्वपूर्ण कारणों की केस स्टडी पुलिस मुख्यालय को 28 अप्रैल तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. इसी प्रकार तीन क्षेत्रों में अपराध नियंत्रण अनुसंधान दूसरा जन उपयोगी पुलिस व्यवस्था और पुलिस कल्याण हेतु जो भी उल्लेखनीय कार्य योजना संचालित की गई हैं उन पर आधारित टिप्पणी भी 28 अप्रैल तक क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए.

यह भी पढ़ें - बिहार के 59 आईपीएस अधिकारियों ने नहीं दिया संपत्ति का ब्यौरा, 31 जनवरी थी डेड लाइन

यह भी पढ़ें - नालंदा जहरीली शराबकांड: सरगना समेत 6 गिरफ्तार, जब्त होगी अवैध धंधे से कमाई संपत्ति, ध्वस्त होंगे मकान

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डीजीपी ने सभी एसपी को दिया निर्देश: बैठक में डीजीपी ने सभी एसपी को निर्देश किया है कि गश्ती वाहन से सड़कों पर उतर कर संदिग्धों की चेकिंग करनी है. राज्य के सभी एसपी को निर्देश दिया गया है कि अपराध की घटनाओं का स्वरूप तय करने के बाद जिन जगहों पर अपराध की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं उन जगहों को हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित कर वहां गश्ती बढ़ा दी जाए. इन स्थानों पर पुलिस गश्त निर्धारित समय पर नहीं, बल्कि यहां अधिक से अधिक गश्ती की जानी चाहिए. पुलिस गश्ती के क्रम में यदि अपराध प्रतिनिधित्व होता है तो इसकी जिम्मेदारी तय की जाए. पुलिस भर्ती में प्रत्येक स्तर पर व्यक्तिगत प्रदर्शन को आकाश जाएगा और पुलिस कर्मियों के द्वारा व्यक्तिगत रूप से अपराध नियंत्रण में उनका क्या योगदान है यह देखा जाएगा.

वहीं, बैठक के दौरान डीजीपी ने गंभीर कांडों में गिरफ्तारी हेतु गठित राज्य के कार्य की समीक्षा की. इस दौरान पुलिस महानिदेशक ने क्षेत्रीय वरीय पदाधिकारियों और जिले के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि एक अंतराल तत्पर थानों में जाकर थानों से संबंधित अपराध निर्देशिका को देखा जाए. खासकर भूमि विवाद से संबंध से जुड़े मामलों को ज्यादा जोर दिया जाए.

बैठक में पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार के द्वारा क्षेत्रीय पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस गस्त को कारगर बनाने हेतु रोको, टोको और फोटो का सिद्धांत अपनाया जाए. इस स्लोगन का तात्पर्य है कि पुलिस गश्त के दौरान गश्ती अधिकारियों द्वारा संदिग्ध वाहनों को रोका जाए, उनसे पूछताछ की जाए और उनके वाहन की फोटो मोबाइल में ली जाए. ताकि अगर उनके इलाके में कोई घटना घटती है तो उन तस्वीरों के जरिए अपराधी की पहचान की जा सके.

अपर पुलिस महानिदेशक मुख्यालय के द्वारा प्रत्येक जिले के पुलिस अधीक्षकों को अधिकतम तीन अथवा कम से कम एक महत्वपूर्ण कारणों की केस स्टडी पुलिस मुख्यालय को 28 अप्रैल तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. इसी प्रकार तीन क्षेत्रों में अपराध नियंत्रण अनुसंधान दूसरा जन उपयोगी पुलिस व्यवस्था और पुलिस कल्याण हेतु जो भी उल्लेखनीय कार्य योजना संचालित की गई हैं उन पर आधारित टिप्पणी भी 28 अप्रैल तक क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए.

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