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पटना: कार्तिक अष्टमी को पुण्य स्नान के लिए गंगा तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

कार्तिक माह के अष्टमी के दिन सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने काफी महत्व होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. जो आषाढ़ महीने के अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.

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Published : Oct 21, 2019, 7:57 AM IST

अलखनाथ घाट

पटना: आज कार्तिक माह का अष्टमी है. गंगा घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. दिन-ब-दिन लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है. महिलाएं अलखनाथ घाट पर गंगा स्नान कर पूजा-पाठ कर रही हैं. यहां भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया है. पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है.

हिन्दू धर्म में कार्तिक महीने का बहुत महत्व होता है. शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो जाती है, जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर जारी रहता है.

जानकारी देते पुजारी

कार्तिक माह में देवी-देवताओं का पृथ्वी पर होता है पदार्पण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. इस महीने में सारे देवी-देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है. मतलब एक महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते हैं. कई महिलाएं लगातार एक महीने तक गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं.

पटना: आज कार्तिक माह का अष्टमी है. गंगा घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. दिन-ब-दिन लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है. महिलाएं अलखनाथ घाट पर गंगा स्नान कर पूजा-पाठ कर रही हैं. यहां भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया है. पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है.

हिन्दू धर्म में कार्तिक महीने का बहुत महत्व होता है. शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो जाती है, जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर जारी रहता है.

जानकारी देते पुजारी

कार्तिक माह में देवी-देवताओं का पृथ्वी पर होता है पदार्पण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. इस महीने में सारे देवी-देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है. मतलब एक महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते हैं. कई महिलाएं लगातार एक महीने तक गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं.

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Body:शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो जाती है जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है।कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। क्योंकि इस महीने में सारे देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है मतलब 1 महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते हैं। इस महीने को त्यौहार को का महीना भी कहा जाता है लक्ष्मी पूजा छठ पूजा, दीपा पूजा, सूर्य पूजा, विष्णु पूजा जैसे उत्सव मनाए जाते।

कार्तिक माह के अष्टमी के दिन आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी जैसे-जैसे कार्तिक माह बढ़ रही हो और श्रद्धालुओं की भीड़ भी बढ़ती जा रही है सुबह-सुबह दूर-दूर से महिलाएं आकर अलखनाथ घाट में गंगा स्नान कर पूजा करती हैं और अपने परिवार के लिए सुख और समृद्धि की कामना करती हैं वह स्थानीय लोगों द्वारा पूजा-पाठ सिंगार सहित कई तरह के दुकान लगाए गए वही परसों से भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया है। जैसे-जैसे कार्तिक माह के दिन बीत रहे और छठ नजदीक आ रही है वैसे उसे पूरा माहौल भक्तिमय होता जा रहा है। वही महिला श्रद्धालुओं ने गंगा नदी के किनारे माता गंगा की पूजा अर्चना की गीत गाए।

सुबह से ही गंगा स्नान करने के लिए महिलाओं की भीड़ अलखनाथ घाट,उमानाथ घाट और बाढ़ के विभिन्न घाटों में उमड़ पड़ी है।वहीं महिलाएं स्नान कर पूजा पाठ की और अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। कई महिलाएं लगातार एक महीने तक गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं।

उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने में इतना महत्व है कि लोग 1 महीने के लिए बनारस सिमरिया बाढ़ के उमा नाथधाम बाढ़ के अलखनाथ धाम चले आते हैं और 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान पूजा पाठ करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है जो आषाढ़ महीने का अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।

वाइट- सोनू पांडे lअलखनाथ घाट के पुजारी)




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