पटना: बिहार में सदियों से राह बाबा की पूजा की परंपरा है. मान्यता है कि अंगारों पर नंगे पांव चलकर बाबा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. वहीं मसौढ़ी में आस्था के नाम पर चल रहे इस अंधविश्वास के खेल ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. वैज्ञानिक युग में भी आस्था के नाम पर कई तरह की रूढ़िवादिता को आगे बढ़ाया जाता है.यहां लोग मन की मुराद पूरी करने के लिए अंगारों पर चलते नहीं बल्कि भागते हैं और कहा जाता है कि राह बाबा की पूजा करने पर उनकी मुरादें पूरी होती हैं. मैदान में कई टोटके भी किए जाते हैं. बाबा में आस्था व्यक्त करते हुए पतले बांस पर भी लोग चढ़कर करतब करते हैं.
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दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं श्रद्धालु: श्रद्धालुओं की मानें तो सदियों से राह बाबा की पूजा की परंपरा सुख समृद्धि के लिए कायम है. राह बाबा की पूजा में श्रद्धालु अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए विशेष वाद्य यंत्र हुड़का के साथ भक्ति गीतों का अनोखे अंदाज में गायन करते हैं. गायन वादन से राह का आह्वान कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. श्रद्धालुओं के अनुसार दुसाध जाति के लोगों के घर जब भी कोई शुभ कार्य होना होता है तो यज्ञ से पूर्व राह बाबा की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है.
राह बाबा की पूजा करने उमड़े लोग: इस अनुष्ठान को लेकर कुछ लोक मान्यताएं हैं. पूजा में राह बाबा के भगत भागते हैं, यदि उन्हें यज्ञकर्ता द्वारा पकड़ लिया जाता है तो पूजा सफल मानी जाती है. मसौढ़ी में ग्रामीणों में गजब का उत्साह देखा गया. सैकड़ों की संख्या में लोगो की भारी भीड जुटी रही. सदियों से चली आ रही है एक पुरानी परंपरा के अनुसार राह बाबा के पूजा पर श्रद्धालु अंगारों पर चलते हैं.कहा जाता है कि अंगारों पर चलने से मन की मुराद पूरी होती है.
पूरी होती है सभी मनोकामनाएं!: प्रत्येक साल मई महीने में मसौढ़ी में कई जगहों पर राह बाबा की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है. हालांकि कई जगहों पर इस पूजा-अर्चना की तस्वीरें लेने की मनाही है. आयोजकों की मानें तो राह बाबा की पूजा प्रत्येक साल लोग पूरे धूमधाम से मनाते हैं. जिन जिन श्रद्धालुओं की मन की मुराद पूरी करनी होती है वह अंगारों पर चलते हैं.