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साल दर साल बढ़ रहा है बिहार का बजट, एक Click में पढ़ें पिछले 5 सालों का ब्योरा

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Published : Feb 24, 2020, 6:49 AM IST

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके चलते आम से लेकर खास तक. सभी की नजर 25 मार्च को पेश होने वाले बिहार बजट पर है. यह बजट वर्तमान की नीतीश सरकार का अंतरिम बजट है.

बिहार बजट 2020-21
बिहार बजट 2020-21

पटना: 25 फरवरी को बिहार सरकार अपना बजट पेश करेगी. चुनावी साल होने के कारण इस बार का बजट लोकलुभावन होने की उम्मीद है. बिहार के बजट का आकार साल-दर-साल बड़ा होता जा रहा है. बिहार सरकार ने 2019-20 में 2 लाख करोड़ से ज्यादा का बजट पेश किया. वहीं, इस साल भी इसके आकार में और वृद्धि होने की संभावना है.

साल 2005 में जहां बिहार का बजट 23,885 करोड़ रुपये का था, वहीं 2019-20 का बिहार का बजट 9 गुना बढ़कर 2 लाख 501 करोड़ रुपये का हो गया. पिछले 15 सालों में बिहार सरकार ने विकास के कई कार्य किये. बिहार के विकास के लिये नीतीश सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास के लिये लगातार ज्यादा से ज्यादा धनराशि आवंटित कर रही है.

पिछले 5 सालों के बजट में अलग-अलग विभागों को आवंटित की गई राशि पर आइये डालते हैं एक नजर:

(सभी आंकड़े हजार करोड़ में)
(सभी आंकड़े हजार करोड़ में)

पिछले पांच साल के बजट के लिए सांख्यिकीय डेटा की रूपरेखा:

कुल व्यय: सरकार द्वारा पेश किये गये बजट का कुल आकार ही कुल व्यय होता है, यानी सरकार एक वित्तीय वर्ष में विकास के लिये अलग-अलग योजनाओं पर कितान खर्च करने का अनुमान लगा रही है.
उदाहरण: वित्त वर्ष 2019-20 के लिये सरकार ने 2,00,501.01 करोड़ का बजट पेश किया. ये राशि ही कुल व्यय है.

कुल व्यय
कुल व्यय

(2)कुल प्राप्तियां: एक वित्त वर्ष में अलग-अलग मदों से सरकार द्वारा प्राप्त की जाने वाली अनुमानित कुल राशि ही कुल प्राप्तियां होती है. इसमें राज्य का अपना राजस्व, केंद्र के तरफ से राज्य को मिलने वाला कर इत्यादी शामिल होता है.
उदाहरण: वित्त वर्ष 2019-20 के लिये सरकार ने 2,01,584.76 करोड़ रुपये की राशि अलग-अलग मदों से मिलने का लक्ष्य रखा है.

कुल प्राप्तियां
कुल प्राप्तियां

(3) राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटा: कुल व्यय में से राजस्व प्राप्तियां, ऋणों की वसूल और ऋणों की वापसी को घटाने के बाद जो राशि बचती है उसे राजकोषिय घाटा कहा जाता है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा 16,101.05 करोड़ रुपये का है, जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 5,72,827 करोड़ रुपये का 2.81 प्रतिशत है.

राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा

(4) राजस्व घाटा

राजस्व घाटा: राजस्व व्यय से राजस्व प्राप्ति को घटाने के बाद बची हुई राशि राजस्व बचत होती है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में राजस्व बचत 21,516.99 करोड़ रुपये का है. इस राजस्व अधिशेष का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश जैसे सड़क, भवन, बिजली, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, सिंचाई योजनाएं आदि उत्पादक पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये किया जाता है.

राजस्व घाटा
राजस्व घाटा

BE(Budget Estimate): बजट पेश करते समय सरकार द्वारा कुल खर्च का अनुमान ही बजट एस्टीमेट(BE) होता है.
उदाहरण- साल 2017-18 का बजट का आकार 1,60,086 करोड़ रुपये का है. वित्त वर्ष 2017-18 का बजट एस्टीमेट यानी BE 1,60,086 करोड़ रुपये हुआ.

RE(Revised Estimate): बजट पेश होने के कुछ समय बाद इस आंकड़े यानी BE को फिर से रिवाईज़ किया जाता है. इसे रिवाइज़ एस्टीमेट(RE) कहते हैं.
उदाहरण- साल 2017-18 के लिये रिवाइज एस्टीमेट यानी RE 1,72,884 करोड़ रुपये रहा.

Actuals : वित्त वर्ष पूरा होने के बाद कुल खर्च का अंतिम आंकड़ा एक्चुअल होता है.
उदाहरण- साल 2017-18 के लिये Actuals 1,36,427 करोड़ रुपये रहा.

पटना: 25 फरवरी को बिहार सरकार अपना बजट पेश करेगी. चुनावी साल होने के कारण इस बार का बजट लोकलुभावन होने की उम्मीद है. बिहार के बजट का आकार साल-दर-साल बड़ा होता जा रहा है. बिहार सरकार ने 2019-20 में 2 लाख करोड़ से ज्यादा का बजट पेश किया. वहीं, इस साल भी इसके आकार में और वृद्धि होने की संभावना है.

साल 2005 में जहां बिहार का बजट 23,885 करोड़ रुपये का था, वहीं 2019-20 का बिहार का बजट 9 गुना बढ़कर 2 लाख 501 करोड़ रुपये का हो गया. पिछले 15 सालों में बिहार सरकार ने विकास के कई कार्य किये. बिहार के विकास के लिये नीतीश सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास के लिये लगातार ज्यादा से ज्यादा धनराशि आवंटित कर रही है.

पिछले 5 सालों के बजट में अलग-अलग विभागों को आवंटित की गई राशि पर आइये डालते हैं एक नजर:

(सभी आंकड़े हजार करोड़ में)
(सभी आंकड़े हजार करोड़ में)

पिछले पांच साल के बजट के लिए सांख्यिकीय डेटा की रूपरेखा:

कुल व्यय: सरकार द्वारा पेश किये गये बजट का कुल आकार ही कुल व्यय होता है, यानी सरकार एक वित्तीय वर्ष में विकास के लिये अलग-अलग योजनाओं पर कितान खर्च करने का अनुमान लगा रही है.
उदाहरण: वित्त वर्ष 2019-20 के लिये सरकार ने 2,00,501.01 करोड़ का बजट पेश किया. ये राशि ही कुल व्यय है.

कुल व्यय
कुल व्यय

(2)कुल प्राप्तियां: एक वित्त वर्ष में अलग-अलग मदों से सरकार द्वारा प्राप्त की जाने वाली अनुमानित कुल राशि ही कुल प्राप्तियां होती है. इसमें राज्य का अपना राजस्व, केंद्र के तरफ से राज्य को मिलने वाला कर इत्यादी शामिल होता है.
उदाहरण: वित्त वर्ष 2019-20 के लिये सरकार ने 2,01,584.76 करोड़ रुपये की राशि अलग-अलग मदों से मिलने का लक्ष्य रखा है.

कुल प्राप्तियां
कुल प्राप्तियां

(3) राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटा: कुल व्यय में से राजस्व प्राप्तियां, ऋणों की वसूल और ऋणों की वापसी को घटाने के बाद जो राशि बचती है उसे राजकोषिय घाटा कहा जाता है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा 16,101.05 करोड़ रुपये का है, जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 5,72,827 करोड़ रुपये का 2.81 प्रतिशत है.

राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा

(4) राजस्व घाटा

राजस्व घाटा: राजस्व व्यय से राजस्व प्राप्ति को घटाने के बाद बची हुई राशि राजस्व बचत होती है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में राजस्व बचत 21,516.99 करोड़ रुपये का है. इस राजस्व अधिशेष का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश जैसे सड़क, भवन, बिजली, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, सिंचाई योजनाएं आदि उत्पादक पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये किया जाता है.

राजस्व घाटा
राजस्व घाटा

BE(Budget Estimate): बजट पेश करते समय सरकार द्वारा कुल खर्च का अनुमान ही बजट एस्टीमेट(BE) होता है.
उदाहरण- साल 2017-18 का बजट का आकार 1,60,086 करोड़ रुपये का है. वित्त वर्ष 2017-18 का बजट एस्टीमेट यानी BE 1,60,086 करोड़ रुपये हुआ.

RE(Revised Estimate): बजट पेश होने के कुछ समय बाद इस आंकड़े यानी BE को फिर से रिवाईज़ किया जाता है. इसे रिवाइज़ एस्टीमेट(RE) कहते हैं.
उदाहरण- साल 2017-18 के लिये रिवाइज एस्टीमेट यानी RE 1,72,884 करोड़ रुपये रहा.

Actuals : वित्त वर्ष पूरा होने के बाद कुल खर्च का अंतिम आंकड़ा एक्चुअल होता है.
उदाहरण- साल 2017-18 के लिये Actuals 1,36,427 करोड़ रुपये रहा.

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