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एक्शन में तेजस्वी यादव: बोले- बिहार के अस्पतालों में नहीं आते हैं 700 डॉक्टर.. लेकिन उठाते हैं सैलरी - Deputy CM Tejashwi Yadav

एक तरफ बिहार में डॉक्टर्स बायोमेट्रिक अटेंडेंस के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं तो दूसरी तरफ डिप्टी सीएम बार बार चिकित्सकों के अस्पतालों से गायब रहने पर नाराजगी (Deputy CM Tejashwi Yadav angry) जाहिर कर रहे हैं.तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पास 705 डॉक्टरों की सूची है जो 6 महीने से ज्यादा समय से अस्पताल नहीं आए हैं लेकिन हर महीने अपना वेतन उठा रहे हैं. पढ़ें.

Deputy CM Tejashwi Yadav angry
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Published : Oct 7, 2022, 8:03 PM IST

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री और पांच विभाग का जिम्मा संभाल रहे तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav ) प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों पर गरम हैं. एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में 700 से ज्यादा ऐसे डॉक्टर हैं जो 6 महीने से लेकर 12 साल से तैनाती वाले अस्पताल में ना तो ड्यूटी (absence of doctors from hospitals) करने जाते हैं और ना ही किसी का इलाज करते हैं. लेकिन हर महीने सरकारी खजाने से वेतन उठाते हैं.

पढ़ें- बिहार में डॉक्टर्स की हड़ताल, बायोमेट्रिक अटेंडेंस और 11 सूत्री मांगों को लेकर करेंगे स्ट्राइक

'अस्पताल से गायब रहते हैं डॉक्टर': तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पास 705 डॉक्टरों की सूची है जो 6 महीने से ज्यादा समय से अस्पताल नहीं आए हैं लेकिन हर महीने अपना वेतन उठा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि एक डॉक्टर ऐसा भी है जो 12 साल से अपने तैनाती वाले अस्पताल में ड्यूटी नहीं किया है लेकिन वेतन उठा रहा है. कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो 5 साल और कुछ डॉक्टर 2 साल से अस्पताल नहीं गए हैं और यह फाइल अब मेरे पास आ गयी है. मैंने कड़ा एक्शन लेने का फैसला लिया है.

"मुझे इस बात का दुख है कि ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग वाले डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं जाते हैं और शहर में निजी क्लीनिक में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. स्वास्थ्य विभाग एक रेफरल नीति बना रहा है जिससे मरीजों का समुचित इलाज जिलों में ही हो सके और उन्हें रूटीन में पटना रेफर ना किया जा सके. इससे पटना में मरीजों की संख्या भी घटेगी और कोशिश है कि हर जिले में ऐसी व्यवस्था हो ताकि छोटी मोटी बीमारी के इलाज के लिए लोगों को पटना नहीं आना पड़े."- तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम, बिहार

होगी गैरहाजिर डॉक्टरों पर कार्रवाई: तेजस्वी यादव का गैरहाजिर डॉक्टरों पर कार्रवाई करने का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य के सरकारी डॉक्टर बायोमेट्रिक हाजिरी का विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को बिहार के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत लगभग 7000 डॉक्टरों ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस के विरोध में ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार किया. डॉक्टर हर दिन और सप्ताह की ड्यूटी फिक्स करने और 45 परसेंट खाली पदों को भरने और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. कहीं ना कहीं डॉक्टरों की इस रवैया से उन पर नैतिक प्रश्न भी खड़ा हो रहा है कि आखिर वह बायोमेट्रिक लगाने से क्यों डर रहे हैं कहीं उनकी ड्यूटी की जवाबदेही तो नहीं बढ़ेगी.

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री और पांच विभाग का जिम्मा संभाल रहे तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav ) प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों पर गरम हैं. एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में 700 से ज्यादा ऐसे डॉक्टर हैं जो 6 महीने से लेकर 12 साल से तैनाती वाले अस्पताल में ना तो ड्यूटी (absence of doctors from hospitals) करने जाते हैं और ना ही किसी का इलाज करते हैं. लेकिन हर महीने सरकारी खजाने से वेतन उठाते हैं.

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'अस्पताल से गायब रहते हैं डॉक्टर': तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पास 705 डॉक्टरों की सूची है जो 6 महीने से ज्यादा समय से अस्पताल नहीं आए हैं लेकिन हर महीने अपना वेतन उठा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि एक डॉक्टर ऐसा भी है जो 12 साल से अपने तैनाती वाले अस्पताल में ड्यूटी नहीं किया है लेकिन वेतन उठा रहा है. कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो 5 साल और कुछ डॉक्टर 2 साल से अस्पताल नहीं गए हैं और यह फाइल अब मेरे पास आ गयी है. मैंने कड़ा एक्शन लेने का फैसला लिया है.

"मुझे इस बात का दुख है कि ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग वाले डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं जाते हैं और शहर में निजी क्लीनिक में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. स्वास्थ्य विभाग एक रेफरल नीति बना रहा है जिससे मरीजों का समुचित इलाज जिलों में ही हो सके और उन्हें रूटीन में पटना रेफर ना किया जा सके. इससे पटना में मरीजों की संख्या भी घटेगी और कोशिश है कि हर जिले में ऐसी व्यवस्था हो ताकि छोटी मोटी बीमारी के इलाज के लिए लोगों को पटना नहीं आना पड़े."- तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम, बिहार

होगी गैरहाजिर डॉक्टरों पर कार्रवाई: तेजस्वी यादव का गैरहाजिर डॉक्टरों पर कार्रवाई करने का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य के सरकारी डॉक्टर बायोमेट्रिक हाजिरी का विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को बिहार के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत लगभग 7000 डॉक्टरों ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस के विरोध में ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार किया. डॉक्टर हर दिन और सप्ताह की ड्यूटी फिक्स करने और 45 परसेंट खाली पदों को भरने और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. कहीं ना कहीं डॉक्टरों की इस रवैया से उन पर नैतिक प्रश्न भी खड़ा हो रहा है कि आखिर वह बायोमेट्रिक लगाने से क्यों डर रहे हैं कहीं उनकी ड्यूटी की जवाबदेही तो नहीं बढ़ेगी.

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