पटनाः किसान विधेयक को लेकर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है. आरजेडी ने इस बिल का पुरजोर विरोध कर रही है. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस और आरजेडी को आड़े हाथों लिया है. बीजेपी का कहना है कि आरजेडी और कांग्रेस स्पष्ट करे कि वे किसानों या बिचौलियों के साथ हैं.
'किसानों के हक का दुरुपयोग'
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के अमर्यादित आचरण से बिहारवासी आहत हैं. उन्होंने कहा कि उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के साथ हुए दुर्व्यवहार से बिहार के लोगों का अपमान हुआ है. सुशील मोदी ने कहा कि बिहार बाजार समिति को खत्म करने वाला पहला राज्य था. बाजार समिति किसानों के हक का दुरुपयोग करने का काम करती थी इसलिए बिहार में इसे बंद किया गया था.
'उत्पाद के मिलेंगे उचित मूल्य'
बीजेपी नेता ने कहा कि आरजेडी को जवाब देना चाहिए कि क्या वह बाजार समिति कानून फिर से बिहार में लागू करना चाहते हैं? उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कांट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों के हितों का फायदा होगा. बड़ी-बड़ी कंपनियां किसानों से सीधा समझौता करेगी और उन्हें उत्पाद के उचित मूल्य मिलेंगे. अभी बिना समझौते के खरीदारी होती है. कानून बनने से किसानों को फायदा होगा.
'काला कानून है किसान विधेयक'
आरजेडी महासचिव और पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि एक किसान ही बचे थे लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें भी कॉरपोरेट के हाथों सौंपने की तैयारी कर ली है. इस बिल से किसानों की स्थिति और खराब होगी. यह काला कानून है और हम इसका विरोध हर स्तर पर करेंगे. बिल के जरिए किसानों को कॉरपोरेट के हाथों सौंपने की तैयारी कर ली गई है. अंग्रेजों के समय में ईस्ट इंडिया कंपनी जिस तरीके का काम कर रही थी वैसा ही काम केंद्र सरकार कर रही है.
हितों की रक्षा
केंद्र सरकार का कहना है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए विधेयक पारित किया गया है. बिल को लेकर बिहार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. आरजेडी ने बिल को किसान विरोधी और काला कानून करार दिया है. वहीं, बीजेपी ने आरजेडी और कांग्रेस को सवालों के जरिए कटघरे में खड़ा कर दिया है.