ETV Bharat / state

'बिहार के व्यंजन' पुस्तक का विमोचन, बोले हरिवंश- किताब से बिहारियों के मन में गौरव का भाव बढ़ेगा

author img

By

Published : Dec 4, 2022, 7:32 AM IST

पुस्तक मेले के दौरान हरिवंश ने बिहार के व्यंजन पुस्तक का विमोचन किया (Harivansh inaugurated Bihar ke Vyanjan Book). इस दौरान उन्होंने कहा कि किताब में 65 प्रकार के व्यंजनों की चर्चा की है. लेखक ने बहुत परिश्रम से लिखा है. सिर्फ मिथिला में 150 प्रकार के किस्मे हैं. बिहार में पेड़े की चालीस किस्म है. यह किताब लाखों बिहारियों के मन में गौरव का भाव बढ़ाएगी.

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश

पटना: पटना पुस्तक मेला (Patna Book Fair) में युवा लेखक रविशंकर उपाध्याय की पुस्तक 'बिहार के व्यंजन : संस्कृति और इतिहास' का लोकार्पण किया गया. लोकार्पण कर्ता थे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश (Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh). खुदा बक्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक इम्तेयाज अहमद और आईपीएस अधिकारी सुशील कुमार भी इस दौरान मौजूद रहे. पुस्तक का प्रकाशन 'इस्माद प्रकाशन' की ओर से किया गया है. सर्वप्रथम अनिल उपाध्याय ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया.

ये भी पढ़ें: गांधी मैदान में पुस्तक मेला पर बोले हरिवंश- 'मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त पुस्तक होता है'

बिहार के व्यंजन पुस्तक का विमोचन: सर्व प्रथम पुस्तक लेखक रविशंकर उपाध्याय ने अपने संबोधन मे कहा कि बिहार के व्यंजनों को लेकर एक स्टीरिरोटाइप छवि रही है. जब मैं 'प्रभात खबर' अखबार में था तो 'टेस्ट ऑफ बिहार' कार्यक्रम चला करता था. इस कार्यक्रम के दौरान मुझे लोगों का व्यापक समर्थन मिला. फिर मैंने प्राचीन ग्रंथो जैसे रामायण, वेदपुराण आदि का अध्ययन किया. बिहार के हर क्षेत्र में अलग-अलग व्यंजन है. बिहार मगध साम्राज्य का केंद्र रहा है. तुलसीदास के रामचरित मानस में चार प्रकार के व्यंजन की चर्चा की गई है. भगवान राम के लिए इतना आदर रहा है कि भिन्डी को रामतोरई कहते हैं, नमक को रामरस कहा जाता है. राम जी जब बारात जाती है तो उन्हें दही चूड़ा खिलाया जाता है. बिहार के चार पकवान को जी आई टैग मिला हुआ है जैसे मगही पान कतरनी चावल आदि.

आईपीएस अधिकारी सुशील कुमार ने पुस्तक के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि रविशंकर उपाध्याय की किताब पढ़ते हुए हर इलाके के व्यंजन से खानपान, लोकजीवन से परिचित कराते हैं. जैसे पिट्ठा कब खाया जाता है, यह नई फसल का पकवान है. व्यंजन के धार्मिक प्रयोजन क्या है, इन सब चीजों के बारे में किताब बताती है. कई ऐसे व्यंजन हैंं जो बिहार के बाहर जन्म हुआ था जैसे काला जामुन तो बाहर का है लेकिन पंटुआ के बारे में किताब बताती है. भूंजा के बारे में बताया गया है महाराष्ट्रीयन डिश से पहले भूंजा बिहार में खाया जाता था. ऐसे ही ठेकुआ, लटठो, सोनाचूर, चिरौरी, तिसॉरी के बारे में बताया गया है. कई बार व्यंजन की चर्चा करते हुए जैसे मुंह में पानी आ जाता है.

रविशंकर उपाध्याय की किताब नए ढंग की: इम्तेयाज़ अहमद ने लोकार्पण समारोह में टिप्पणी करते हुए कहा कि हमलोग इतिहास में राजा रानी के बारे में पढ़ते रहे हैं लेकिन रविशंकर उपाध्याय की किताब नए ढंग की किताब है. किताब में रिडीबिलूटी है यानी किताब को को एक बार पढ़े तो आप पढ़ते चले जाएंगे. बिहार के इतिहास के अनदेखे गोशे, कोने को सामने लाती है. बिहार की चटनी, अचार को जोड़ दिया जाये किताब और अच्छी हो जाएगी. ऐसे ही बाक़रखानी बिहार को छोड़ कहीं नहीं पाई जाती है.

इस मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने किताब के बारे में विचार प्रकट करते हुए कहा कि मैं युवा साथी रविशंकर उपाध्याय ने बहुत ही महत्वपूर्ण काम किया है. पत्रकारिता में हमारे युवा साथी रहे हैं. बिहारी खानपान का इतिहास समाज की बुनावट के बारे में बताता है. मगध साम्राज्य का राज्यश्रय मिला है यहां. सिलाव का खाजा, खुरचन, उड़वंतनगर का खुरमा, थावे की खुरचन, बोधगया में बुद्ध को सुजाता के खीर खिलाया, पांचवी शताब्दी में फाहयान व सातवी शताब्दी के ह्वेन्तसांग के यात्रा वृतांत से बिहार के खान पान के बारे में पता चलता है.

किताब में 65 प्रकार के व्यंजनों की चर्चा: हरिवंश ने कहा कि पहले के इतिहास के बारे में बताया गया है. किताब में 65 प्रकार के व्यंजनों की चर्चा की है. लेखक ने बहुत परिश्रम से लिखा है. सिर्फ मिथिला में 150 प्रकार के किस्मे हैं. बिहार में पेड़े की चालीस किस्म है. इस किताब से लाखों बिहारियो के मन में गौरव का भाव बढ़ेगा. सांस्कृतिक पहचान सिर्फ कला -साहित्य से ही नहीं बल्कि खान पान से भी बनता है. पहले हमारे समाज विलक्षणता थीं कि बड़ी वाली पूरी बगैर फ्रिज के इककीस दिनों तक रह सकती थीं. लोकार्पण समारोह का संचालन युवा संस्कृतिकर्मी जयप्रकाश था धन्यवाद ज्ञापन सुनील कुमार ने किया. अंत में सभी अतिथियों तथा मौजूद श्रोताओं को सिलाव का खाजा वितरित किया गया.

पटना: पटना पुस्तक मेला (Patna Book Fair) में युवा लेखक रविशंकर उपाध्याय की पुस्तक 'बिहार के व्यंजन : संस्कृति और इतिहास' का लोकार्पण किया गया. लोकार्पण कर्ता थे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश (Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh). खुदा बक्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक इम्तेयाज अहमद और आईपीएस अधिकारी सुशील कुमार भी इस दौरान मौजूद रहे. पुस्तक का प्रकाशन 'इस्माद प्रकाशन' की ओर से किया गया है. सर्वप्रथम अनिल उपाध्याय ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया.

ये भी पढ़ें: गांधी मैदान में पुस्तक मेला पर बोले हरिवंश- 'मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त पुस्तक होता है'

बिहार के व्यंजन पुस्तक का विमोचन: सर्व प्रथम पुस्तक लेखक रविशंकर उपाध्याय ने अपने संबोधन मे कहा कि बिहार के व्यंजनों को लेकर एक स्टीरिरोटाइप छवि रही है. जब मैं 'प्रभात खबर' अखबार में था तो 'टेस्ट ऑफ बिहार' कार्यक्रम चला करता था. इस कार्यक्रम के दौरान मुझे लोगों का व्यापक समर्थन मिला. फिर मैंने प्राचीन ग्रंथो जैसे रामायण, वेदपुराण आदि का अध्ययन किया. बिहार के हर क्षेत्र में अलग-अलग व्यंजन है. बिहार मगध साम्राज्य का केंद्र रहा है. तुलसीदास के रामचरित मानस में चार प्रकार के व्यंजन की चर्चा की गई है. भगवान राम के लिए इतना आदर रहा है कि भिन्डी को रामतोरई कहते हैं, नमक को रामरस कहा जाता है. राम जी जब बारात जाती है तो उन्हें दही चूड़ा खिलाया जाता है. बिहार के चार पकवान को जी आई टैग मिला हुआ है जैसे मगही पान कतरनी चावल आदि.

आईपीएस अधिकारी सुशील कुमार ने पुस्तक के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि रविशंकर उपाध्याय की किताब पढ़ते हुए हर इलाके के व्यंजन से खानपान, लोकजीवन से परिचित कराते हैं. जैसे पिट्ठा कब खाया जाता है, यह नई फसल का पकवान है. व्यंजन के धार्मिक प्रयोजन क्या है, इन सब चीजों के बारे में किताब बताती है. कई ऐसे व्यंजन हैंं जो बिहार के बाहर जन्म हुआ था जैसे काला जामुन तो बाहर का है लेकिन पंटुआ के बारे में किताब बताती है. भूंजा के बारे में बताया गया है महाराष्ट्रीयन डिश से पहले भूंजा बिहार में खाया जाता था. ऐसे ही ठेकुआ, लटठो, सोनाचूर, चिरौरी, तिसॉरी के बारे में बताया गया है. कई बार व्यंजन की चर्चा करते हुए जैसे मुंह में पानी आ जाता है.

रविशंकर उपाध्याय की किताब नए ढंग की: इम्तेयाज़ अहमद ने लोकार्पण समारोह में टिप्पणी करते हुए कहा कि हमलोग इतिहास में राजा रानी के बारे में पढ़ते रहे हैं लेकिन रविशंकर उपाध्याय की किताब नए ढंग की किताब है. किताब में रिडीबिलूटी है यानी किताब को को एक बार पढ़े तो आप पढ़ते चले जाएंगे. बिहार के इतिहास के अनदेखे गोशे, कोने को सामने लाती है. बिहार की चटनी, अचार को जोड़ दिया जाये किताब और अच्छी हो जाएगी. ऐसे ही बाक़रखानी बिहार को छोड़ कहीं नहीं पाई जाती है.

इस मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने किताब के बारे में विचार प्रकट करते हुए कहा कि मैं युवा साथी रविशंकर उपाध्याय ने बहुत ही महत्वपूर्ण काम किया है. पत्रकारिता में हमारे युवा साथी रहे हैं. बिहारी खानपान का इतिहास समाज की बुनावट के बारे में बताता है. मगध साम्राज्य का राज्यश्रय मिला है यहां. सिलाव का खाजा, खुरचन, उड़वंतनगर का खुरमा, थावे की खुरचन, बोधगया में बुद्ध को सुजाता के खीर खिलाया, पांचवी शताब्दी में फाहयान व सातवी शताब्दी के ह्वेन्तसांग के यात्रा वृतांत से बिहार के खान पान के बारे में पता चलता है.

किताब में 65 प्रकार के व्यंजनों की चर्चा: हरिवंश ने कहा कि पहले के इतिहास के बारे में बताया गया है. किताब में 65 प्रकार के व्यंजनों की चर्चा की है. लेखक ने बहुत परिश्रम से लिखा है. सिर्फ मिथिला में 150 प्रकार के किस्मे हैं. बिहार में पेड़े की चालीस किस्म है. इस किताब से लाखों बिहारियो के मन में गौरव का भाव बढ़ेगा. सांस्कृतिक पहचान सिर्फ कला -साहित्य से ही नहीं बल्कि खान पान से भी बनता है. पहले हमारे समाज विलक्षणता थीं कि बड़ी वाली पूरी बगैर फ्रिज के इककीस दिनों तक रह सकती थीं. लोकार्पण समारोह का संचालन युवा संस्कृतिकर्मी जयप्रकाश था धन्यवाद ज्ञापन सुनील कुमार ने किया. अंत में सभी अतिथियों तथा मौजूद श्रोताओं को सिलाव का खाजा वितरित किया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.