ETV Bharat / state

पहचान खोता जा रहा 'पूर्व का ऑक्सफोर्ड', गिरता शैक्षणिक स्तर चिंताजनक

बिहार में उच्च शिक्षा दम तोड़ रही है. पूर्व का ऑक्सफोर्ड माना जाने वाला पटना विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली अतीत को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है. विश्वविद्यालय में कुछ विभाग ऐसे हैं जहां शिक्षक हैं, लेकिन छात्र नहीं. जहां छात्र हैं, वहां शिक्षकों का घोर अभाव है. ऐसे में छात्र बिहार से बाहर पलायन को मजबूर हैं.

पटना विश्वविद्यालय
पटना विश्वविद्यालय
author img

By

Published : Feb 27, 2021, 7:36 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 11:55 PM IST

पटना: 100 साल बाद भी पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिला. नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी, सरीखे नेता देश की राजनीति के चमकते सितारे हैं. इन नेताओं के राजनीतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि पटना विश्वविद्यालय रही है. छात्र राजनीति से ही तीनों नेता राजनीति के पटल पर धूमकेतु की तरह चमक रहे हैं. पटना विश्वविद्यालय ने स्थापना काल के बाद, 100 साल से अधिक का समय पूरा कर लिया है. फिर भी पटना विश्वविद्यालय की पहचान खत्म होती जा रही है. शिक्षकों और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते छात्र दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- पटना जंक्शन पर बना है देश का सबसे बड़ा AC वेटिंग हॉल, लेकिन शौचालय की सुविधाएं नदारद

पटना कॉलेज पर संकट के बादल
पटना कॉलेज को 2022 तक का अल्टीमेटम दिया गया है. तब तक कॉलेज अपग्रेड नहीं हुए तो मान्यता भी खत्म हो सकती है. फिलहाल पटना कॉलेज को ग्रेड-C मिला हुआ है. पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों के 854 पद स्वीकृत हैं. फिलहाल मात्र 325 शिक्षकों की बदौलत विश्व विद्यालय में पठन-पाठन चल रहा है. कर्मचारियों की संख्या 1586 स्वीकृत है जबकि मात्र 620 कर्मचारियों के भरोसे ही कार्यालयी काम काज हो रहा है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX


'कर्मचारियों का विश्वविद्यालय में घोर अभाव है. एक स्टाफ को तीन-तीन टेबल का काम देखना पड़ता है. ऐसे में कार्यों के निपटारे में अनावश्यक विलंब होता है'- सुबोध कुमार, अध्यक्ष, कर्मचारी यूनियन, पीयू

बिना शिक्षक के बीएन कॉलेज
सबसे पहले बात बी एन कॉलेज की. बी एन कॉलेज में 3000 के आसपास छात्र अध्ययनरत हैं. 3000 छात्रों पर मात्र 42 शिक्षक हैं. जबकि शिक्षकों के लिए सैंक्शन पोस्ट 138 है. राजनीति शास्त्र, भूगोल, हिंदी, उर्दू, दर्शनशास्त्र और मैथिली विभाग में एक-एक शिक्षक हैं तो इतिहास विभाग बिना शिक्षक के ही चल रहा है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

'दिन प्रतिदिन पटना विश्वविद्यालय के स्तर में गिरावट आ रही है. शिक्षकों की संख्या जहां घटती जा रही है वहीं छात्र भी अब दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं.'- बिट्टू भारद्वाज, छात्र, पीयू

पहचान खोता जा रहा साइंस कॉलेज
ज्ञान विज्ञान हो या फिर आईएएस की परीक्षा साइंस कॉलेज के छात्रों का बोलबाला रहता था. पटना विश्वविद्यालय की पहचान साइंस कॉलेज से हुआ करती थी. लेकिन आज कॉलेज में शिक्षकों का घोर अभाव है. रसायन शास्त्र में 90 के दशक में जहां 35 प्राध्यापक हुआ करते थे, वहीं आज प्राध्यापकों की संख्या मात्र 9 रह गई है. जिसमें पोस्टग्रेजुएट के लिए 5 और अंडर ग्रेजुएट के लिए चार है. कुल 350 से 400 छात्र रसायन शास्त्र विभाग में अध्ययनरत हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

'विश्वविद्यालय अपनी पहचान खोता जा रहा है. बी एन कॉलेज के इतिहास और राजनीतिक शास्त्र विभाग में कोई शिक्षक नहीं है. शिक्षा मंत्री पटना विश्वविद्यालय के ही पूर्ववर्ती छात्र रहे हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्री से काफी उम्मीदें हैं'- नीतीश टनटन, सिंडिकेट के सदस्य

भौतिकी विभाग में भी टीचर्स का टोटा
साइंस कॉलेज के भौतिकी विभाग की चर्चा देशभर में थी. फिजिक्स डिपार्टमेंट के छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. 90 के दशक में भौतिकी विभाग में 36 प्राध्यापक कार्यरत थे, आज इनकी संख्या घटकर 10 रह गई है. पोस्ट ग्रेजुएट में जहां 7 शिक्षक हैं, वही अंडर ग्रेजुएट में मात्र 3 शिक्षक हैं. कुल 1000 छात्र यहां अध्यनरत हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

दरभंगा हाउस की धाक खत्म !
दरभंगा हाउस की पहचान उच्च शिक्षा से है. स्नातकोत्तर के लिए दूर-दूर से छात्र दरभंगा हाउस में नामांकन के लिए आते हैं. लेकिन आज की तारीख में व्यवस्था ने छात्रों को भी दरभंगा हाउस से दूर कर दिया. एक और विभाग में शिक्षकों का अभाव है वहीं दूसरी तरफ छात्र भी दरभंगा हाउस की तरफ कम मुखातिब हो रहे हैं. ऐसे में सीटें खाली रह जा रहीं हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

इतिहास विभाग में महज एक शिक्षक !
दरभंगा हाउस के इतिहास विभाग में विद्यार्थियों की संख्या तो 120 है, लेकिन शिक्षक मात्र एक है. वह भी मई में रिटायर होने वाले हैं. अर्थशास्त्र में मात्र 4 शिक्षक हैं जबकि छात्रों की संख्या 80 है. भूगोल में 23 शिक्षकों का स्ट्रैंथ है जबकि मात्र 4 शिक्षक अभी कार्यरत हैं.

ये भी पढ़ें- नवादा में 4 लोगों को कुचलने के बाद गया पहुंचा हाथी, वन विभाग की कई टीमें काबू पाने की कर रही कोशिश

भाषा के शिक्षकों की भी कमी
संस्कृत में शिक्षकों के संख्या जहां पांच है वहीं छात्र मात्र 14 हैं. जबकि क्षमता 40 की है हिंदी में मात्र 2 शिक्षक हैं जबकि छात्र 80 हैं. शिक्षकों का स्ट्रैंथ 13 है. पर्शियन में 2 शिक्षक हैं, जबकि छात्र मात्र 12 हैं. मैथिली में तीन प्राध्यापक हैं, जबकि छात्रों की संख्या 15 है. मैथिली विभाग में क्षमता 40 छात्रों की है. बांग्ला विभाग की स्थिति तो बदतर है विभाग में आज की तारीख में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं. जबकि 3 छात्र अध्ययनरत हैं कुल 23 छात्रों की क्षमता विभाग में है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

क्या कहते हैं पीयू के पूर्व छात्र
पटना विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र डॉ संजय कुमार भी वर्तमान व्यवस्था से व्यथित हैं. संजय कुमार का कहना है कि जब तक पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त नहीं होगी तब तक स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है. संजय कुमार का मानना है कि पटना विश्वविद्यालय में इंटर की परीक्षा खत्म किए जाने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है.

अब भी कुलपति को उम्मीद है
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चौधरी का कहना है कि सरकार अगर हमें सहयोग करें तो हम पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर तक ले जा सकते हैं. बशर्ते पटना विश्वविद्यालय को ऑटोनॉमी मिले. इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सरकार हमें सहयोग करें. हमने मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग के प्रोजेक्ट सरकार को भेजे हैं. अगर प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो पटना विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली अतीत को हासिल कर सकेगा.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- तेजस्वी के सामने डिफेंसिव मोड में नीतीश, 15 साल में पहली बार सीएम को मिल रही कड़ी चुनौती

सरकार मदद को तैयार- शिक्षा मंत्री
बिहार के नए शिक्षा मंत्री विजय चौधरी पटना विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं विजय चौधरी का कहना है कि हमारी कोशिश होगी एक बार फिर पटना विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली अतीत को हासिल कर सके. इसके लिए जरूरी है कि अच्छे शिक्षक बहाल किए जाएं. जहां तक सरकार का सवाल है तो इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सरकार मदद करने के लिए तैयार है.

पटना: 100 साल बाद भी पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिला. नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी, सरीखे नेता देश की राजनीति के चमकते सितारे हैं. इन नेताओं के राजनीतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि पटना विश्वविद्यालय रही है. छात्र राजनीति से ही तीनों नेता राजनीति के पटल पर धूमकेतु की तरह चमक रहे हैं. पटना विश्वविद्यालय ने स्थापना काल के बाद, 100 साल से अधिक का समय पूरा कर लिया है. फिर भी पटना विश्वविद्यालय की पहचान खत्म होती जा रही है. शिक्षकों और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते छात्र दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- पटना जंक्शन पर बना है देश का सबसे बड़ा AC वेटिंग हॉल, लेकिन शौचालय की सुविधाएं नदारद

पटना कॉलेज पर संकट के बादल
पटना कॉलेज को 2022 तक का अल्टीमेटम दिया गया है. तब तक कॉलेज अपग्रेड नहीं हुए तो मान्यता भी खत्म हो सकती है. फिलहाल पटना कॉलेज को ग्रेड-C मिला हुआ है. पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों के 854 पद स्वीकृत हैं. फिलहाल मात्र 325 शिक्षकों की बदौलत विश्व विद्यालय में पठन-पाठन चल रहा है. कर्मचारियों की संख्या 1586 स्वीकृत है जबकि मात्र 620 कर्मचारियों के भरोसे ही कार्यालयी काम काज हो रहा है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX


'कर्मचारियों का विश्वविद्यालय में घोर अभाव है. एक स्टाफ को तीन-तीन टेबल का काम देखना पड़ता है. ऐसे में कार्यों के निपटारे में अनावश्यक विलंब होता है'- सुबोध कुमार, अध्यक्ष, कर्मचारी यूनियन, पीयू

बिना शिक्षक के बीएन कॉलेज
सबसे पहले बात बी एन कॉलेज की. बी एन कॉलेज में 3000 के आसपास छात्र अध्ययनरत हैं. 3000 छात्रों पर मात्र 42 शिक्षक हैं. जबकि शिक्षकों के लिए सैंक्शन पोस्ट 138 है. राजनीति शास्त्र, भूगोल, हिंदी, उर्दू, दर्शनशास्त्र और मैथिली विभाग में एक-एक शिक्षक हैं तो इतिहास विभाग बिना शिक्षक के ही चल रहा है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

'दिन प्रतिदिन पटना विश्वविद्यालय के स्तर में गिरावट आ रही है. शिक्षकों की संख्या जहां घटती जा रही है वहीं छात्र भी अब दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं.'- बिट्टू भारद्वाज, छात्र, पीयू

पहचान खोता जा रहा साइंस कॉलेज
ज्ञान विज्ञान हो या फिर आईएएस की परीक्षा साइंस कॉलेज के छात्रों का बोलबाला रहता था. पटना विश्वविद्यालय की पहचान साइंस कॉलेज से हुआ करती थी. लेकिन आज कॉलेज में शिक्षकों का घोर अभाव है. रसायन शास्त्र में 90 के दशक में जहां 35 प्राध्यापक हुआ करते थे, वहीं आज प्राध्यापकों की संख्या मात्र 9 रह गई है. जिसमें पोस्टग्रेजुएट के लिए 5 और अंडर ग्रेजुएट के लिए चार है. कुल 350 से 400 छात्र रसायन शास्त्र विभाग में अध्ययनरत हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

'विश्वविद्यालय अपनी पहचान खोता जा रहा है. बी एन कॉलेज के इतिहास और राजनीतिक शास्त्र विभाग में कोई शिक्षक नहीं है. शिक्षा मंत्री पटना विश्वविद्यालय के ही पूर्ववर्ती छात्र रहे हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्री से काफी उम्मीदें हैं'- नीतीश टनटन, सिंडिकेट के सदस्य

भौतिकी विभाग में भी टीचर्स का टोटा
साइंस कॉलेज के भौतिकी विभाग की चर्चा देशभर में थी. फिजिक्स डिपार्टमेंट के छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. 90 के दशक में भौतिकी विभाग में 36 प्राध्यापक कार्यरत थे, आज इनकी संख्या घटकर 10 रह गई है. पोस्ट ग्रेजुएट में जहां 7 शिक्षक हैं, वही अंडर ग्रेजुएट में मात्र 3 शिक्षक हैं. कुल 1000 छात्र यहां अध्यनरत हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

दरभंगा हाउस की धाक खत्म !
दरभंगा हाउस की पहचान उच्च शिक्षा से है. स्नातकोत्तर के लिए दूर-दूर से छात्र दरभंगा हाउस में नामांकन के लिए आते हैं. लेकिन आज की तारीख में व्यवस्था ने छात्रों को भी दरभंगा हाउस से दूर कर दिया. एक और विभाग में शिक्षकों का अभाव है वहीं दूसरी तरफ छात्र भी दरभंगा हाउस की तरफ कम मुखातिब हो रहे हैं. ऐसे में सीटें खाली रह जा रहीं हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

इतिहास विभाग में महज एक शिक्षक !
दरभंगा हाउस के इतिहास विभाग में विद्यार्थियों की संख्या तो 120 है, लेकिन शिक्षक मात्र एक है. वह भी मई में रिटायर होने वाले हैं. अर्थशास्त्र में मात्र 4 शिक्षक हैं जबकि छात्रों की संख्या 80 है. भूगोल में 23 शिक्षकों का स्ट्रैंथ है जबकि मात्र 4 शिक्षक अभी कार्यरत हैं.

ये भी पढ़ें- नवादा में 4 लोगों को कुचलने के बाद गया पहुंचा हाथी, वन विभाग की कई टीमें काबू पाने की कर रही कोशिश

भाषा के शिक्षकों की भी कमी
संस्कृत में शिक्षकों के संख्या जहां पांच है वहीं छात्र मात्र 14 हैं. जबकि क्षमता 40 की है हिंदी में मात्र 2 शिक्षक हैं जबकि छात्र 80 हैं. शिक्षकों का स्ट्रैंथ 13 है. पर्शियन में 2 शिक्षक हैं, जबकि छात्र मात्र 12 हैं. मैथिली में तीन प्राध्यापक हैं, जबकि छात्रों की संख्या 15 है. मैथिली विभाग में क्षमता 40 छात्रों की है. बांग्ला विभाग की स्थिति तो बदतर है विभाग में आज की तारीख में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं. जबकि 3 छात्र अध्ययनरत हैं कुल 23 छात्रों की क्षमता विभाग में है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

क्या कहते हैं पीयू के पूर्व छात्र
पटना विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र डॉ संजय कुमार भी वर्तमान व्यवस्था से व्यथित हैं. संजय कुमार का कहना है कि जब तक पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त नहीं होगी तब तक स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है. संजय कुमार का मानना है कि पटना विश्वविद्यालय में इंटर की परीक्षा खत्म किए जाने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है.

अब भी कुलपति को उम्मीद है
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चौधरी का कहना है कि सरकार अगर हमें सहयोग करें तो हम पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर तक ले जा सकते हैं. बशर्ते पटना विश्वविद्यालय को ऑटोनॉमी मिले. इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सरकार हमें सहयोग करें. हमने मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग के प्रोजेक्ट सरकार को भेजे हैं. अगर प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो पटना विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली अतीत को हासिल कर सकेगा.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- तेजस्वी के सामने डिफेंसिव मोड में नीतीश, 15 साल में पहली बार सीएम को मिल रही कड़ी चुनौती

सरकार मदद को तैयार- शिक्षा मंत्री
बिहार के नए शिक्षा मंत्री विजय चौधरी पटना विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं विजय चौधरी का कहना है कि हमारी कोशिश होगी एक बार फिर पटना विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली अतीत को हासिल कर सके. इसके लिए जरूरी है कि अच्छे शिक्षक बहाल किए जाएं. जहां तक सरकार का सवाल है तो इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सरकार मदद करने के लिए तैयार है.

Last Updated : Feb 27, 2021, 11:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.