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सीना तान खड़ा है पटना का सुल्तान पैलेस, आज लड़ रहा वजूद की लड़ाई, जानिए 19वीं सदी से अबतक की पूरी कहानी

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Published : Sep 29, 2022, 9:31 PM IST

राजधानी पटना में दर्जनभर ऐतिहासिक इमारत बचे रह गए हैं. पटना सचिवालय विधानसभा, पटना विश्वविद्यालय और पटना म्यूजियम के अलावा सुल्तान पैलेस की ऐतिहासिकता 100 साल पुरानी है. ब्रिटिश काल में बनी इमारत पटना की खूबसूरती में चार चांद लगाती है. बिहार सरकार के एक फैसले में सुल्तान पैलेस के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा दिया. जिसे तोड़कर पांच सितारा होटल बनाए जाने की तैयारी की जा रही है. लेकिन हाईकोर्ट ने फिलहाल तोड़फोड़ से रोक लगा दी है. सवाल ये उठता है कि क्या इसे बिना तोड़े होटल में नहीं बदला जा सकता? अगर हां तो फिर दिक्कत कहां है?

पटना के ऐतिहासिक इमारत सुल्तान पैलेस
पटना के ऐतिहासिक इमारत सुल्तान पैलेस

पटना : 100 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत सुल्तान पैलेस पटना (Sultan Palace of Patna) की आन बान शान है. सुल्तान पैलेस की खूबसूरती को निहारने देश-विदेश से लोग आते हैं. 1922 में निर्मित सुल्तान पैलेस आजादी का भी गवाह रहा है. 22 लाख की लागत से बनी ये भव्य इमारत स्थापत्य कला की अनूठी मिसाल है. सुल्तान पैलेस भारतीय यूरोपीय मुगल और राजपूत स्थापत्य कला का बेमिसाल नमूना है. अंग्रेजी शासन काल में विकसित इस कला को मिश्रित कला का नाम दिया जाता है. इसकी अद्भुद नक्काशी प्रसिद्ध कारीगर मंजुल हसन काजमी ने की थी. इंडो-सारसेनिक शैली में बनी इस हवेली में सुल्तान अहमद ने मुगल व राजपूत शैलियों को खास जगह दी.

ये भी पढ़ें- नहीं टूटेगा पटना का सुल्तान पैलेस: हाईकोर्ट ने लगाई रोक, बिहार सरकार से 8 हफ्ते में मांगा जवाब

22 लाख में बनी थी ऐतिहासिक इमारत सुल्तान पैलेस: जानकार बताते है कि सुल्तान पैलेस के निर्माण में करीब 22 लाख रुपये खर्च हुए थे. 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में ब्रिटिश वास्तु कारों ने राजास्थानी, मुगल, मराठा और प्राचीन उत्कृष्ट भारतीय वास्तु कला को संयोजित कर एक नई और महान वास्तुकला को जन्म दिया था, जो इंडो सेरसेनिक वास्तुकला के नाम से जाना गया. इस कला को मुगल राजपूत स्थापत्य कला के नाम से भी जाना जाता है.

मुगल और ब्रिटिश वास्तु कला का मिश्रित उदाहरण: मुगल और ब्रिटश वास्तुविदों ने मिश्रित कला के जरिए कई इमारतों का निर्माण कराया. मिश्रित कला में मुगल वास्तु शैली में गोथिक पुच्छल में हरा गुंबद, मीनार और रंगीन शीशों का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया. रॉबर्ट फेलोज चीजम, हेनरी इरविन, चार्ल्स मेंट और गिलबर्ट स्कॉट जैसे ब्रिटिश वास्तु विद को इसमें महारत हासिल था.

सोने के पानी से दीवारों और छत की नक्काशी: हवेली के पिछले हिस्‍से में महिलाओं के लिए जनाना महल, आगे का भाग पुरुषों के लिए बनाया गया. निर्माण में सफेद संगमरमर का प्रयोग किया गया. मुख्य हॉल और डाइनिंग रूम की छत और दीवारों की नक्काशी में 18 कैरेट सोने का उपयोग किया गया. बताया जाता है कि ऊपर की मंजिल पर जाने के लिए बनाई गई नक्काशीदार सीढ़ी के लिए वर्मा(म्यांमार) से लकड़ी मंगवाई गई थी. दीवारों पर फूल-पत्तियों की चित्रकारी, दरवाजों और रोशनदानों में रंगीन शीशे विदेशों से मंगवाए गये थे.

''सुल्तान पैलेस बिहार के खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों में एक है मिश्रित स्थापत्य कला का यह बेमिसाल नमूना है. सर सैयद सुल्तान अहमद ने अपने खर्चे से इमारत का निर्माण कराया था. इमारत में लगने वाले लकड़ी जहां वर्मा से मंगाए गए थे वहीं से इटली से मंगवाए गए थे''- दानिश, इतिहासकार

क्या ऐतिहासिक इमारत को तोड़कर ही बनेगा होटल: सुल्तान पैलेस की सीढ़ियों में लगे लकड़ी 100 साल बीत जाने के बाद भी कमजोर नहीं पढ़े हैं. निर्माण काल के दौरान लकड़ी को म्यांमार से मंगवाया गया था और खिड़कियों में लगे शीशे इटली से मंगवाए गए थे. दीवारों पर 18 कैरेट गोल्ड से नक्काशी की गई थी. राजधानी पटना में बिहार सरकार ने तीन पांच सितारा होटल बनाने का निर्णय लिया, जिसमें सुल्तान पैलेस को भी ध्वस्त कर एक पांच सितारा होटल बनाने की योजना थी. सरकार की योजना के मुताबिक सुल्तान पैलेस में 4.8 एकड़ भूमि पर 400 कमरे बनाए जाने हैं. सरकार के फैसले पर हाई कोर्ट ने फिलहाल विराम लगा दिया है. अगले आदेश तक के लिए यथास्थिति बनाकर रखने को कहा गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तोड़कर ही पांचसितारा होटल बनेगा? या राजस्थान की तर्ज पर विरासतों को सहेजने का भी काम होगा?

''सुल्तान पैलेस एक ऐतिहासिक इमारत है और पूरे विश्व में ऐतिहासिक इमारत को बचाने की कवायद चल रही है. हम चाहते हैं कि सुल्तान पैलेस के अस्तित्व को बचाया जाए और इसे हेरिटेज होटल के रूप में तब्दील किया जाए''- अमरजीत, शिकायतकर्ता

पर्यटन मंत्री का बयान कोर्ट में रखेंगे सरकार का पक्ष: पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री राम कृष्णा ने कहा कि सुल्तान पैलेस के अस्तित्व को बचाने के लिए हमने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. 23 सितंबर को हुए सुनवाई में न्यायालय ने तोड़फोड़ पर रोक लगा दिया है. अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होनी है. पर्यटन मंत्री कुमार सर्वजीत (Bihar Tourism Minister Kumar Sarvjeet) ने ईटीवी संवाददाता से बातचीत के दौरान कहा कि सुल्तान पैलेस मामला न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन हम सरकार का पक्ष न्यायालय में मजबूती से रखेंगे. हम चाहते हैं कि पटना में पांच सितारा होटल का निर्माण हो.

पटना : 100 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत सुल्तान पैलेस पटना (Sultan Palace of Patna) की आन बान शान है. सुल्तान पैलेस की खूबसूरती को निहारने देश-विदेश से लोग आते हैं. 1922 में निर्मित सुल्तान पैलेस आजादी का भी गवाह रहा है. 22 लाख की लागत से बनी ये भव्य इमारत स्थापत्य कला की अनूठी मिसाल है. सुल्तान पैलेस भारतीय यूरोपीय मुगल और राजपूत स्थापत्य कला का बेमिसाल नमूना है. अंग्रेजी शासन काल में विकसित इस कला को मिश्रित कला का नाम दिया जाता है. इसकी अद्भुद नक्काशी प्रसिद्ध कारीगर मंजुल हसन काजमी ने की थी. इंडो-सारसेनिक शैली में बनी इस हवेली में सुल्तान अहमद ने मुगल व राजपूत शैलियों को खास जगह दी.

ये भी पढ़ें- नहीं टूटेगा पटना का सुल्तान पैलेस: हाईकोर्ट ने लगाई रोक, बिहार सरकार से 8 हफ्ते में मांगा जवाब

22 लाख में बनी थी ऐतिहासिक इमारत सुल्तान पैलेस: जानकार बताते है कि सुल्तान पैलेस के निर्माण में करीब 22 लाख रुपये खर्च हुए थे. 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में ब्रिटिश वास्तु कारों ने राजास्थानी, मुगल, मराठा और प्राचीन उत्कृष्ट भारतीय वास्तु कला को संयोजित कर एक नई और महान वास्तुकला को जन्म दिया था, जो इंडो सेरसेनिक वास्तुकला के नाम से जाना गया. इस कला को मुगल राजपूत स्थापत्य कला के नाम से भी जाना जाता है.

मुगल और ब्रिटिश वास्तु कला का मिश्रित उदाहरण: मुगल और ब्रिटश वास्तुविदों ने मिश्रित कला के जरिए कई इमारतों का निर्माण कराया. मिश्रित कला में मुगल वास्तु शैली में गोथिक पुच्छल में हरा गुंबद, मीनार और रंगीन शीशों का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया. रॉबर्ट फेलोज चीजम, हेनरी इरविन, चार्ल्स मेंट और गिलबर्ट स्कॉट जैसे ब्रिटिश वास्तु विद को इसमें महारत हासिल था.

सोने के पानी से दीवारों और छत की नक्काशी: हवेली के पिछले हिस्‍से में महिलाओं के लिए जनाना महल, आगे का भाग पुरुषों के लिए बनाया गया. निर्माण में सफेद संगमरमर का प्रयोग किया गया. मुख्य हॉल और डाइनिंग रूम की छत और दीवारों की नक्काशी में 18 कैरेट सोने का उपयोग किया गया. बताया जाता है कि ऊपर की मंजिल पर जाने के लिए बनाई गई नक्काशीदार सीढ़ी के लिए वर्मा(म्यांमार) से लकड़ी मंगवाई गई थी. दीवारों पर फूल-पत्तियों की चित्रकारी, दरवाजों और रोशनदानों में रंगीन शीशे विदेशों से मंगवाए गये थे.

''सुल्तान पैलेस बिहार के खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों में एक है मिश्रित स्थापत्य कला का यह बेमिसाल नमूना है. सर सैयद सुल्तान अहमद ने अपने खर्चे से इमारत का निर्माण कराया था. इमारत में लगने वाले लकड़ी जहां वर्मा से मंगाए गए थे वहीं से इटली से मंगवाए गए थे''- दानिश, इतिहासकार

क्या ऐतिहासिक इमारत को तोड़कर ही बनेगा होटल: सुल्तान पैलेस की सीढ़ियों में लगे लकड़ी 100 साल बीत जाने के बाद भी कमजोर नहीं पढ़े हैं. निर्माण काल के दौरान लकड़ी को म्यांमार से मंगवाया गया था और खिड़कियों में लगे शीशे इटली से मंगवाए गए थे. दीवारों पर 18 कैरेट गोल्ड से नक्काशी की गई थी. राजधानी पटना में बिहार सरकार ने तीन पांच सितारा होटल बनाने का निर्णय लिया, जिसमें सुल्तान पैलेस को भी ध्वस्त कर एक पांच सितारा होटल बनाने की योजना थी. सरकार की योजना के मुताबिक सुल्तान पैलेस में 4.8 एकड़ भूमि पर 400 कमरे बनाए जाने हैं. सरकार के फैसले पर हाई कोर्ट ने फिलहाल विराम लगा दिया है. अगले आदेश तक के लिए यथास्थिति बनाकर रखने को कहा गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तोड़कर ही पांचसितारा होटल बनेगा? या राजस्थान की तर्ज पर विरासतों को सहेजने का भी काम होगा?

''सुल्तान पैलेस एक ऐतिहासिक इमारत है और पूरे विश्व में ऐतिहासिक इमारत को बचाने की कवायद चल रही है. हम चाहते हैं कि सुल्तान पैलेस के अस्तित्व को बचाया जाए और इसे हेरिटेज होटल के रूप में तब्दील किया जाए''- अमरजीत, शिकायतकर्ता

पर्यटन मंत्री का बयान कोर्ट में रखेंगे सरकार का पक्ष: पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री राम कृष्णा ने कहा कि सुल्तान पैलेस के अस्तित्व को बचाने के लिए हमने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. 23 सितंबर को हुए सुनवाई में न्यायालय ने तोड़फोड़ पर रोक लगा दिया है. अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होनी है. पर्यटन मंत्री कुमार सर्वजीत (Bihar Tourism Minister Kumar Sarvjeet) ने ईटीवी संवाददाता से बातचीत के दौरान कहा कि सुल्तान पैलेस मामला न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन हम सरकार का पक्ष न्यायालय में मजबूती से रखेंगे. हम चाहते हैं कि पटना में पांच सितारा होटल का निर्माण हो.

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