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हिंदी दिवस पर विशेष मांग: अंग्रेजों की बजाय हिंदी कवियों पर हो पटना की सड़कों का नाम - Patna News

स्टैंड रोड, सरपेंटाइन रोड और पोलो रोड में नेताओं के आवास हैं और तमाम नेताओं ने अपने घर के बाहर जो बोर्ड लगाए हैं उनमें अब भी यही नाम अंकित हैं. हिंदी के कई साहित्यकारों को अंग्रेजों के नाम पर ऐतराज है.

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Published : Sep 14, 2019, 6:06 PM IST

पटना: आज हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा की समृद्धि की बातें तो खूब हो रही है. लेकिन इसके विकास और प्रचार-प्रसार के लिये कोई ठोस कदम दिखाई नहीं देते. उदाहरण के तौर पर जहां हिंदी के सम्मान में सड़कों का नाम हिंदी साहित्यकारों और कवियों के नाम पर होना चाहिए, वहां राजधानी पटना की सड़कें आज भी अंग्रेजी हुकूमत की याद ताजा करा देती हैं. पटना के वीवीआईपी इलाके की कई सड़कें आज भी अंग्रेजों के नाम पर ही हैं.

अंग्रेजों के नाम से होती है सड़कों की पहचान
पटना जरूर बदल रहा है, लेकिन पहचान नहीं बदली है. पटना का लाइफ लाइन बेली रोड को कहा जाता है. जॉर्ज बेली अंग्रेजी शासन काल में शासक हुआ करता था और उसी के नाम पर आज भी बेली रोड है. इसके अलावा बोरिंग रोड और एग्जीबिशन रोड भी अंग्रेजों के नाम पर ही है. वीवीआईपी इलाके में भी कई ऐसी सड़कें हैं, जिनके नाम आज भी अंग्रेजों के नाम पर ही हैं. बिहार सरकार के कई मंत्रियों ने अपने बंगले के आगे जो बोर्ड लगा रखा है, उस पर अंग्रेजों के नाम से ही सड़कों की पहचान होती है.

संवाददाता रंजीत कुमार की रिपोर्ट

साहित्यकारों के नाम पर होने चाहिये सड़कों के नाम
स्टैंड रोड, सरपेंटाइन रोड और पोलो रोड में नेताओं के आवास हैं और तमाम नेताओं ने अपने घर के बाहर जो बोर्ड लगाए हैं उनमें अब भी यही नाम अंकित हैं. हिंदी के कई साहित्यकारों को अंग्रेजों के नाम पर ऐतराज है. प्रेम कुमार मणि ने कहा कि सड़कों का नाम नेताओं के अलावा साहित्यकारों या दूसरे क्षेत्रों से जुड़े महान लोगों के नाम पर भी होने चाहिए. सरकार अगर सड़कों के नाम बदलकर महान विभूतियों के नाम पर रखती है, तो अच्छा है.

'लोगों तक संदेश पहुंचना चाहिए'
साहित्यकार रत्नेश ने कहा कि समाज में दो तरह के लोग होते हैं. एक वह जो सिंबॉलिक तौर पर हिंदी का विकास करना चाहते हैं. कुछ लोगों की राय यह होती है कि संप्रेषण की भाषा कुछ भी हो लोगों तक संदेश पहुंचना चाहिए.

पटना: आज हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा की समृद्धि की बातें तो खूब हो रही है. लेकिन इसके विकास और प्रचार-प्रसार के लिये कोई ठोस कदम दिखाई नहीं देते. उदाहरण के तौर पर जहां हिंदी के सम्मान में सड़कों का नाम हिंदी साहित्यकारों और कवियों के नाम पर होना चाहिए, वहां राजधानी पटना की सड़कें आज भी अंग्रेजी हुकूमत की याद ताजा करा देती हैं. पटना के वीवीआईपी इलाके की कई सड़कें आज भी अंग्रेजों के नाम पर ही हैं.

अंग्रेजों के नाम से होती है सड़कों की पहचान
पटना जरूर बदल रहा है, लेकिन पहचान नहीं बदली है. पटना का लाइफ लाइन बेली रोड को कहा जाता है. जॉर्ज बेली अंग्रेजी शासन काल में शासक हुआ करता था और उसी के नाम पर आज भी बेली रोड है. इसके अलावा बोरिंग रोड और एग्जीबिशन रोड भी अंग्रेजों के नाम पर ही है. वीवीआईपी इलाके में भी कई ऐसी सड़कें हैं, जिनके नाम आज भी अंग्रेजों के नाम पर ही हैं. बिहार सरकार के कई मंत्रियों ने अपने बंगले के आगे जो बोर्ड लगा रखा है, उस पर अंग्रेजों के नाम से ही सड़कों की पहचान होती है.

संवाददाता रंजीत कुमार की रिपोर्ट

साहित्यकारों के नाम पर होने चाहिये सड़कों के नाम
स्टैंड रोड, सरपेंटाइन रोड और पोलो रोड में नेताओं के आवास हैं और तमाम नेताओं ने अपने घर के बाहर जो बोर्ड लगाए हैं उनमें अब भी यही नाम अंकित हैं. हिंदी के कई साहित्यकारों को अंग्रेजों के नाम पर ऐतराज है. प्रेम कुमार मणि ने कहा कि सड़कों का नाम नेताओं के अलावा साहित्यकारों या दूसरे क्षेत्रों से जुड़े महान लोगों के नाम पर भी होने चाहिए. सरकार अगर सड़कों के नाम बदलकर महान विभूतियों के नाम पर रखती है, तो अच्छा है.

'लोगों तक संदेश पहुंचना चाहिए'
साहित्यकार रत्नेश ने कहा कि समाज में दो तरह के लोग होते हैं. एक वह जो सिंबॉलिक तौर पर हिंदी का विकास करना चाहते हैं. कुछ लोगों की राय यह होती है कि संप्रेषण की भाषा कुछ भी हो लोगों तक संदेश पहुंचना चाहिए.

Intro:देश को स्वतंत्र हुए 72 साल बीत चुके हैं लेकिन अब भी राजधानी पटना की सड़कें अंग्रेजी शासन की याद ताजा कर आती है आज हिंदी दिवस मनाया जा रहा है लेकिन राजधानी पटना के वीवीआईपी इलाके की कई सड़कें ऐसी हैं जिसका नाम आज भी अंग्रेजों के नाम पर है


Body:राजधानी पटना जरूर बदल रही है लेकिन पहचान नहीं बदली है स्वतंत्रता के 72 साल बाद भी पटना की सड़कें अंग्रेजी हुकूमत की याद ताजा कराती है पटना का लाइफ लाइन बेली रोड को कहा जाता है जॉर्ज बेली अंग्रेजी शासन काल में शासक हुआ करता था और उसी के नाम पर आज भी बेली रोड है इसके अलावा बोरिंग रोड और एग्जीबिशन रोड भी अंग्रेजों के नाम पर ही है


Conclusion:वीवीआईपी इलाके में भी कई ऐसी सड़कें हैं जिसका नाम आज भी अंग्रेजों के नाम पर है बिहार सरकार के कई मंत्रियों ने अपने बंगले के आगे जो बोर्ड लगा रखे हैं उस पर अंग्रेजों के नाम से ही सड़कों के नाम की पहचान होती है स्टैंड रोड सरपेंटाइन रोड और पोलो रोड मैं नेताओं के आवास हैं और तमाम नेताओं ने अपने घर के बाहर जो बोर्ड लगाए हैं उसमें अब भी यही नाम अंकित है।
साहित्यकारों को अंग्रेजों के नाम पर ऐतराज है। प्रेम कुमार मणि ने साफ तौर पर कहा है कि सड़कों का नाम नेताओं के अलावा साहित्यकारों या दूसरे क्षेत्रों से जुड़े महान लोगों के नाम पर भी होने चाहिए सरकार अगर सड़कों के नाम बदलकर महान विभूतियों के नाम पर रखती है तो अच्छा है ।
साहित्यकार रत्नेश ने कहा है कि समाज में दो तरह के लोग होते हैं एक वह हैं जो सिंबॉलिक तार पर हिंदी का विकास करना चाहते हैं कुछ लोगों की राय यह होती है कि संप्रेषण की भाषा कुछ भी हो लोगों तक संदेश पहुंचना चाहिए
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