पटनाः बिहार में जातिगत गणना हो रही है, जिसमें सभी जाति के लिए कोड जारी किया जा रहा है. ऐसे में एक मांग उठने लगी है, जिसमें साधु संत को अलग कोड जारी करने की मांग है. षड्दर्शन विश्व अखाड़ा परिषद के बैनर तले बिहार के साधु संत समाज ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को 1 महीने का अल्टीमेटम दिया. कहा कि मांग पूरी नहीं हुई तो एक महीने के बाद सड़क से लेकर सदन तक प्रदर्शन किया जाएगा. बुधवार को शेखपुरा मोड़ स्थित अखाड़ा परिसर में षड्दर्शन विश्व अखाड़ा परिषद की ओर से प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन को हटाकर नए सिरे से साधु संतों द्वारा धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के चयन की भी मांग की गई.
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धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष को ज्ञान नहींः षड्दर्शन विश्व अखाड़ा परिषद के महाराष्ट्र के प्रभारी योगी अखिलेश्वर दास ने कहा कि बिहार में साधु संतों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है. भारत के हर राज्य में अपना धार्मिक न्यास बोर्ड है और सभी के अलग नियम कानून है. जिस प्रकार जुडिशल सिस्टम में सुनवाई होती है, उसी प्रकार महाराष्ट्र के धार्मिक न्यास परिषद में साधु संत समाज के लोगों की सुनवाई होती है. बिहार में एक ही जगह पर धार्मिक न्यास परिषद है और यह साधु संत समाज से गुरु शिष्य परंपरा को खत्म करने के लिए तुला हुआ है. धार्मिक न्यास परिषद के जो वर्तमान अध्यक्ष हैं अखिलेश कुमार जैन उन्हें हिंदू धर्म के धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के बारे में अधिक जानकारी नहीं है.
अखिलेश कुमार जैन को हटाया जाएः बिहार में 13 अखाड़ा है और 360 संप्रदाय है, साधु संत में कौन सन्यासी हैं, वैरागी है, उदासीन है, कबीरपंथी हैं, रैदासी है और इन परंपराओं में महंत कौन बनेंगे और महंत की नियुक्ति किस प्रकार की जाती है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि गांव में भूमाफिया किसी महंत के खिलाफ कोई आवेदन देता है तो बिना जांच के धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष महंत के खिलाफ कार्रवाई कर देते हैं. उनकी मांग है कि बिहार सरकार अखिलेश कुमार जैन को धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष पद से हटाए और हिंदू समाज के किसी साधु संत को चुनाव करवा कर अध्यक्ष बनाया जाए.
अलग कोड जारी करे सरकारः 13 अखाड़ा और 360 संप्रदाय के लगभग 10,000 से अधिक साधु संत हैं. विरक्त साधुओं की जाति गणना में अलग से एक कोड जारी कर गिनती की जाए. ऐसा इसलिए ताकि भविष्य में अगर सरकार की कोई योजनाएं आती है तो साधु संत उससे अछूता ना रहे. इसके अलावा उनकी मांग यह भी है कि बिहार राज्य स्थित सभी हिंदू मठ मंदिर धर्म स्थान और उसमें रहने वाले साधु संत और महंतों को सरकार अनुदान प्रदान करें. जिस प्रकार से मुसलमान समुदाय के मदरसा तथा संपत्ति के मूल्यांकन के आधार पर मासिक खर्च सरकार तय करती है.
2024 में अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनेगाः योगी अखिलेश्वर दास ने कहा कि बिहार को साधु संतों की भूमि कहा जाता था और यहां जानकी जन्म भूमि पुनौरा धाम सीतामढ़ी में स्थित है. उन्होंने कहा कि 2024 में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हो जाएगा ऐसे में उनकी मांग है कि जान की जन्मभूमि पुनौरा धाम को शक्ति स्थल घोषित किया जाए. इस जगह को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में सरकार विकसित करने का निर्णय ले. जनकपुर में जानकी महल है और तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है लेकिन जहां माता सीता का जन्म है वहां ही शक्ति स्थल नहीं माना जाता जो दुर्भाग्यपूर्ण है. 2006 के बाद बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने जो निर्णय लिए हैं, उसकी समीक्षा की जाए, इस नियम को हटाया जाए कि कोई संप्रदाय में किसी को उत्तराधिकारी बनाना है तो उसे धार्मिक न्यास बोर्ड से अनुमति लेना अनिवार्य है.
"सरकार को 1 महीने का समय देते हैं और यदि सरकार इस दौरान उनकी मांगों को नहीं मानती है तो आने वाले समय में सड़क से सदन तक प्रदेश के साधु महात्मा और महंत आंदोलन करेंगे. साधु संत आंदोलन इसलिए करेंगे क्योंकि गुरु शिष्य परंपरा और साधु संतों की परंपरा बिहार में खतरे में है. साधु संत के लिए अलग से कोड जारी किया जाए, ताकि सरकार योजना बनाए तो साधु लोग वंचित नहीं रहे. साथ ही बिहार सरकार अखिलेश कुमार जैन को धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष पद से हटाया जाए." - योगी अखिलेश्वर दास, महाराष्ट्र के प्रभारी, षड्दर्शन विश्व अखाड़ा परिषद