पटना: बिहार विधान परिषद में सोमवार को कई सदस्यों ने पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग की. उनका कहना था कि पंचायत स्तर पर सरकार की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत प्रतिनिधियों की अहम भूमिका होती है. लेकिन उनका मानदेय बहुत कम है. सरकार को ना सिर्फ उनका मानदेय बढ़ाना चाहिए बल्कि उनके लिए पेंशन भी लागू करनी चाहिए.
कई महीने से बकाया है मानदेय
एमएलसी का तर्क था कि एक तरफ जहां विधायकों और विधान पार्षदों को हजारों-लाखों रुपए प्रति महीने मिलते हैं और पेंशन भी दिया दाता है. वहीं, दूसरी तरफ पंचायत प्रतिनिधियों को महज 2000 से 5000 तक प्रति महीने मिलते हैं. उसपर भी कई पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय महीनों से बकाया है.
सरकार से मिला आश्वासन
विधान पार्षद राजन कुमार सिंह ने कहा कि ज्यादातर विकास कार्य पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों के ही माध्यम से ही होता है. ऐसे में यदि उसका मानदेय बढ़ाया जाएगा तो विकास कार्यों पर भी इसका सकारात्मक असर दिखेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है. वहीं, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि यह पॉलिसी मैटर है. सरकार इस पर पहले विचार करेगी.