पटना: प्रदेश में इन दिनों बेरोजगारी की समस्या चरम पर है. नौकरी के लिए प्रदेश के युवाओं का इंतजार हर साल लंबा होता जा रहा है. ऐसे में स्थानीय नीति लागू करने की मांग तेज हो गई है. आवेदकों का कहना है कि दूसरे राज्यों में डोमिसाइल पॉलिसी होने के कारण वे कहीं अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में जब उनके राज्य में भी उन्हें अधिकार नहीं मिलेगा तो वह कहां जाएंगे?
बिहार के युवाओं का कहना है कि उन्हें अपने राज्य की नौकरियों में प्राथमिकता मिले. गौरतलब है कि बिहार लोक सेवा आयोग से हो रही बहाली हो या फिर हाल में बिहार ज्यूडिशरी के लिए हुई बहाली, बिहार कर्मचारी चयन आयोग और बिहार शिक्षक नियोजन की बहाली, सभी क्षेत्रों में बिहार के युवा अपने ही राज्य में नौकरी के लिए तरस रहे हैं.
'अपने राज्य में नहीं मिल रही नौकरी'
बता दें कि हर वैकेंसी में बिहार से बाहर के युवाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. जिसका सीधा असर बिहार के युवा बेरोजगारों पर पड़ रहा है. हालत यह है कि उन्हें अपने राज्य में तो नौकरी मिल नहीं रही और दूसरे राज्यों में स्थानीय नीति लागू होने कारण वहां वे अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं.
क्या कहते हैं शिक्षक अभ्यर्थी?
शिक्षक अभ्यर्थी अशोक कुमार क्रांति का कहना है कि बिहार में भी अन्य राज्यों की तरह डोमिसाइल पॉलिसी लागू होनी चाहिए. ताकि यहां के युवकों को रोजगार में प्राथमिकता मिले. उन्हें भटकना ना पड़े. मौजूदा हालात में बिहार के युवाओं को बहुत परेशानी झेलनी पड़ रही है.
नेता भी कर रहे डोमिसाइल पॉलिसी का समर्थन
डोमिसाइल पॉलिसी लागू करने की मांग बिहार के युवाओं के साथ-साथ नेता भी कर रहे हैं. पूर्व सांसद और राजद के वरिष्ठ नेता तनवीर हसन ने भी कहा कि सरकार को इस बारे में गंभीरता से विचार करनी चाहिए. इससे प्रदेश में जो बेरोजगारी की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी.
बीजेपी दे रही बेतुका तर्क
वहीं, बीजेपी नेता अजफर शमशी ने बिहार के युवाओं की योग्यता पर ही सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि बिहार के युवकों को और बेहतर तरीके से अपनी तैयारी करनी चाहिए ताकि उन्हें ज्यादा अंक मिले. उन्होंने कहा कि यहां के युवा काफी प्रतिभाशाली हैं और उनके लिए नौकरियों की कमी नहीं है. हालांकि, उनके पास इस बात का जवाब नहीं था कि फिलहाल जो युवक परेशान हैं और जिनके पास अब सरकारी नौकरी के लिए उम्र नहीं बची उनका क्या होगा.