पटना: बिहार में केंद्र सरकार की कई योजनाएं वर्षों से लटकी हुई है. एनएच की योजनाओं पर एक तरह से ग्रहण लगा हुआ है. कुछ योजनाएं तो 2011 से लटकी पड़ी है और अभी तक आधी अधूरी है. आधा दर्जन बड़ी योजनाएं 7 साल से 12 साल विलंब से चल रही है. इस साल जनवरी में गंगा नदी पर बनने वाले जेपी सेतु के समानांतर दीघा-सोनपुर सिक्स लेन पुल (Digha Sonpur Six Lane Bridge Project ) का टेंडर निकला था. 17 मार्च को टेंडर खोला जाना था, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य किस एजेंसी को दिया गया है. यह तय नहीं हो पाया है. इसका बड़ा कारण केंद्रीय कैबिनेट में अभी तक इस पर मुहर नहीं लगी है.
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योजनाओं में देरी से बढ़ता है काॅस्टः योजनाओं के पूरा नहीं होने के पीछे बड़ा कारण जमीन अधिग्रहण, पर्याप्त राशि का नहीं होना और एजेंसी का बीच में काम छोड़ देना भी रहा है. विशेषज्ञ योजनाओं के विलंब होने से कॉस्ट पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की बात कर रहे हैं. साथ ही लोगों को इससे कई तरह से मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है. पटना के दीघा से सोनपुर तक बनने वाली गंगा नदी पर सिक्स लेन पुल के टेंडर की प्रक्रिया केंद्रीय कैबिनेट से अब स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे बढ़ाई जाएगी. संभव है टेंडर की अवधि बढ़ा दी जाए और एजेंसी जो भी शामिल होंगे उन्हें भी इसकी प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलेगा .
दीघा-सोनपुर सिक्स लेन पुल केंद्रीय कैबिनेट के कारण लटकाः बिहार एनएचएआई के क्षेत्रीय पदाधिकारी अवधेश कुमार ने फोन से बातचीत में कहा कि दीघा-सोनपुर सिक्स लेन ब्रिज का टेंडर अलॉट हो गया है, लेकिन इसकी जानकारी मेरे पास नहीं दिल्ली मुख्यालय से ही मिलेगी. बिहार में कई परियोजनाओं पर असर पड़ रहा है. बिहार के पहले एक्सप्रेसवे दरभंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण भी इसी साल शुरू होना था, लेकिन उस पर से भी ग्रहण समाप्त नहीं हो रहा है. वहीं ताजपुर-बख्तियारपुर पुल 2011 से बन रहा है और अभी भी काम आधा अधूरा है.
दीघा-सोनपुर सिक्स लेन पुल के लिए तय नहीं हो पाई है एजेंसीः पटना के दीघा से सोनपुर गंगा नदी पर बनने वाले 6.92 किलोमीटर लंबी पुल पर 2635 करोड़ की राशि केंद्र सरकार खर्च करने वाली है. 22 माह में पुल पूरा होना है. पहले इस पुल पर बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने डीपीआर पर काम शुरू किया था, लेकिन डबल इंजन की सरकार में केंद्र सरकार ने इस पुल के निर्माण पर अपनी सहमति दी और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इसके डीपीआर पर काम शुरू किया. 31 जनवरी को निविदा भी इस साल जारी कर दी गई. 17 मार्च को एजेंसी तय होना था लेकिन अब कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार हो रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि 42 महीने में इस पुल का निर्माण पूरा होना संभव नहीं होगा.
बीच में काम छोड़ दे रही एजेंसियांः एनएचएआई के अधिकारियों की माने तो बिहार में जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी समस्या है. प्रोजेक्ट के लिए फंड की कमी नहीं है. कुछ योजनाओं में एजेंसी ने बीच में काम छोड़ दिया था. उस कारण भी परेशानी हुई है. बार बार टेंडर करवाना पड़ रहा है. वहीं बिहार सरकार के मंत्री जयंत कुमार का कहना है कि केंद्र से जितना सहयोग मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. हर विभाग की एक जैसी स्थिति बन गई है. जहां तक जमीन अधिग्रहण का मामला है, तो यह एक लंबी प्रक्रिया है. उसके कारण परेशानी हो जरूर होती है.
"केंद्र से जितना सहयोग मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. हर विभाग की एक जैसी स्थिति बन गई है. जहां तक जमीन अधिग्रहण का मामला है, तो यह एक लंबी प्रक्रिया है. उसके कारण परेशानी हो जरूर होती है" -जयंत राज कुशवाहा, मंत्री, जदयू
जमीन अधिग्रहण के कारण फंस रही योजनाएंः इधर बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि केंद्र की कई योजनाओं में इसलिए विलंब हो रहा है. क्योंकि समय पर बिहार सरकार अपने हिस्से की राशि दे नहीं पा रही है. ऐसे नरेंद्र मोदी बिहार को लेकर हमेशा सोचते रहते हैं और बिहार को कई बड़ी योजनाएं दी है. एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है कि योजनाओं के विलंब होने के कारण उसका कॉस्ट काफी बढ़ जाता है. कई योजनाओं में केंद्र से पर्याप्त राशि उसके कारण नहीं दी जाती है. जमीन अधिग्रहण की भी समस्या है, लेकिन उसमें भी बड़ा कारण किसानों को उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है और उससे विलंब होता है. लेकिन योजनाओं के विलंब होने का सबसे ज्यादा असर लोगों पर पड़ता है. क्योंकि जिस क्षेत्र में निर्माण कार्य होता है. लोगों को पोल्यूशन से भी लंबे समय तक जूझना पड़ता है और यातायात को लेकर भी परेशानी झेलनी पड़ती है. व्यवसायिक गतिविधियों पर भी उन इलाकों में असर पड़ता है.
"केंद्र की कई योजनाओं में इसलिए विलंब हो रहा है. क्योंकि समय पर बिहार सरकार अपने हिस्से की राशि दे नहीं पा रही है. ऐसे नरेंद्र मोदी बिहार को लेकर हमेशा सोचते रहते हैं और बिहार को कई बड़ी योजनाएं दी है" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
बिहार सरकार से जमीन को लेकर सहयोग की अपेक्षा: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी कई बार कह चुके हैं कि बिहार सरकार जमीन को लेकर सहयोग करे तो योजनाओं को तेज गति से पूरा किया जा सकता है. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सियासत भी हो रही है. पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लंबित परियोजनाओं की लिस्ट भेजी थी और योजनाओं को समय पर पूरा करने का आग्रह किया था, लेकिन सबसे अधिक परेशानी लोग झेल रहे हैं.
" योजनाओं के विलंब होने के कारण उसका कॉस्ट काफी बढ़ जाता है. कई योजनाओं में केंद्र से पर्याप्त राशि उसके कारण नहीं दी जाती है. जमीन अधिग्रहण की भी समस्या है, लेकिन उसमें भी बड़ा कारण किसानों को उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है और उससे विलंब होता है. लेकिन योजनाओं के विलंब होने का सबसे ज्यादा असर लोगों पर पड़ता है"-डॉक्टर विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ सिन्हा इंस्टीट्यूट