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IGIMS: 10 दिन में नहीं आए Black Fungus के एक भी मरीज

बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार घटने के साथ ही ब्लैक फंगस (Black Fungus) के रोगियों की संख्या भी घटी है. पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में पिछले 10 दिन में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुए. यहां 30 मरीजों का इलाज चल रहा है.

IGIMS patna
आईजीआईएमएस पटना
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Published : Jul 16, 2021, 6:02 PM IST

पटना: कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गई थी. कोरोना के शिकार हुए लोगों की इम्यूनिटी काफी घट गई थी, जिसके चलते उनमें से कई ब्लैक फंगस के शिकार हो गए थे. स्थिति यह थी कि ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए न दवा मिल रही थी और न अस्पताल में बेड. कोरोना संक्रमण की रफ्तार घटने के साथ ही अब ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या भी कम हो गई है.

यह भी पढ़ें- हाय-री-किस्मत! कोरोना से हुई पति की मौत तो 3 दिन बाद खुद किया था संस्कार, अब दर-दर भटक रही

कोरोना और ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए डेडिकेटेड सेंटर बनाए गए पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या घट गई है. यहां पिछले 10 दिन में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुए. आईजीआईएमएस के अधीक्षक मनीष मंडल ने कहा, "ब्लैक फंगस के संक्रमण के पीक के समय यहां 120 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा था. अब सिर्फ 30 मरीज भर्ती हैं. ये वैसे मरीज हैं जो ऑपरेशन के बाद एम्फोटेरिसिन बी दवा के लिए भर्ती हैं. इन्हें कोई नई शिकायत नहीं है."

देखें वीडियो

मनीष मंडल ने कहा, "कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को लेकर हमलोग तैयार हैं. मरीजों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो इसके लिए ऑक्सीजन बेड से लेकर आईसीयू बेड तक बढ़ाए जा रहे हैं. हमारे यहां डेडिकेटेड सेंटर फॉर कोविड और ब्लैक फंगस था. इसके साथ ब्लैक फंगस के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी बनाया गया था. अब कोरोना और ब्लैक फंगस के संक्रमण के मामले में स्थिति सामान्य हो रही है.

"पिछले 10 दिन में ब्लैक फंगस के एक भी मरीज भर्ती नहीं हुए हैं. इससे पता चलता है कि कोरोना संक्रमण तो कम हुआ ही है इसके साथ ही ब्लैक फंगस के संक्रमण में भी कमी आई है. इसके बाद भी हमें सावधानियां बरतनी है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है और मास्क लगाना है. मरीजों के लिए दवा की कमी नहीं है. पीक के समय जरूर दवा की दिक्कत थी. अब दवा उपलब्ध है."- मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस

गौरतलब है कि म्यूकरमायकोसिस को ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है. म्यूकर फफूंद आमतौर पर मिट्टी, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस, दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करता है. डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए यह जानलेवा हो सकता है. कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा गया.

ब्लैक फंगस से बचाव के लिए रहने की जगह के आसपास सफाई रखनी चाहिए. कोरोना मरीज के आसपास नमी वाली जगह नहीं रहनी चाहिए. जहां नमी होगी, वहां फंगस पनपेगा. इससे फंगल बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा. कोरोना मरीज और जो लोग कोरोना से हाल में ही ठीक हुए हैं उन्हें सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. घर पर इलाज करा रहे कोरोना मरीज को बिना चिकित्सीय परामर्श के स्टेरॉयड का सेवन नहीं करना चाहिए.

यह भी पढ़ें- बोले लालू यादव- सत्ताधारी ही हैं शराब के कारोबारी, चला रहे 20 हजार करोड़ का कारोबार

पटना: कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गई थी. कोरोना के शिकार हुए लोगों की इम्यूनिटी काफी घट गई थी, जिसके चलते उनमें से कई ब्लैक फंगस के शिकार हो गए थे. स्थिति यह थी कि ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए न दवा मिल रही थी और न अस्पताल में बेड. कोरोना संक्रमण की रफ्तार घटने के साथ ही अब ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या भी कम हो गई है.

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कोरोना और ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए डेडिकेटेड सेंटर बनाए गए पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या घट गई है. यहां पिछले 10 दिन में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुए. आईजीआईएमएस के अधीक्षक मनीष मंडल ने कहा, "ब्लैक फंगस के संक्रमण के पीक के समय यहां 120 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा था. अब सिर्फ 30 मरीज भर्ती हैं. ये वैसे मरीज हैं जो ऑपरेशन के बाद एम्फोटेरिसिन बी दवा के लिए भर्ती हैं. इन्हें कोई नई शिकायत नहीं है."

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मनीष मंडल ने कहा, "कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को लेकर हमलोग तैयार हैं. मरीजों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो इसके लिए ऑक्सीजन बेड से लेकर आईसीयू बेड तक बढ़ाए जा रहे हैं. हमारे यहां डेडिकेटेड सेंटर फॉर कोविड और ब्लैक फंगस था. इसके साथ ब्लैक फंगस के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी बनाया गया था. अब कोरोना और ब्लैक फंगस के संक्रमण के मामले में स्थिति सामान्य हो रही है.

"पिछले 10 दिन में ब्लैक फंगस के एक भी मरीज भर्ती नहीं हुए हैं. इससे पता चलता है कि कोरोना संक्रमण तो कम हुआ ही है इसके साथ ही ब्लैक फंगस के संक्रमण में भी कमी आई है. इसके बाद भी हमें सावधानियां बरतनी है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है और मास्क लगाना है. मरीजों के लिए दवा की कमी नहीं है. पीक के समय जरूर दवा की दिक्कत थी. अब दवा उपलब्ध है."- मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस

गौरतलब है कि म्यूकरमायकोसिस को ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है. म्यूकर फफूंद आमतौर पर मिट्टी, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस, दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करता है. डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए यह जानलेवा हो सकता है. कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा गया.

ब्लैक फंगस से बचाव के लिए रहने की जगह के आसपास सफाई रखनी चाहिए. कोरोना मरीज के आसपास नमी वाली जगह नहीं रहनी चाहिए. जहां नमी होगी, वहां फंगस पनपेगा. इससे फंगल बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा. कोरोना मरीज और जो लोग कोरोना से हाल में ही ठीक हुए हैं उन्हें सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. घर पर इलाज करा रहे कोरोना मरीज को बिना चिकित्सीय परामर्श के स्टेरॉयड का सेवन नहीं करना चाहिए.

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