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कोरोना काल में घट रही जन्म दर, पढ़ें पहले लॉकडाउन से अब तक की Report

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सर्वे के अनुसार, कोरोना काल जनसंख्या में उछाल की बजाय गिरावट का कारण बनेगा और उसकी इस सर्वे की हकीकत सच साबित होते दिख रही है. ईटीवी भारत ने इस बाबत, जब पटना के बड़े अस्पतालों में जानकारी जुटाई, तो आंकड़े सामने आए... पढ़ें ये रिपोर्ट

बिहार में कोरोना वायरस
बिहार में कोरोना वायरस
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Published : Jul 21, 2020, 6:01 AM IST

पटना: कोरोना संक्रमण काल के दौरान देशभर में 22 मार्च से जनता कर्फ्यू और फिर 24 मार्च से 31 मई तक लॉकडाउन लागू कर दिया गया. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा मुसीबतें उठानी पड़ी. परिवहन पूरी तरह बंद होने की वजह से गर्भवती अपना रेगुलर चेकअप नहीं करा सकीं.

लॉकडाउन के दौरान सिर्फ आकास्मिक सेवाएं ही शुरू रहीं. मरीजों के लिए एंबुलेंस ही एक मात्र सहारा थी. लेकिन गर्भवती महिलाओं की परेशानियां इससे सॉल्व नहीं हुई. कोरोना संक्रमण के भय से निजी अस्पताल सिर्फ गंभीर स्थिति वाली गर्भवती मरीजों को ही एडमिट कर रहे थे. इस कारण सामान्य गर्भवती महिलाओं का रेगुलर चेकअप नहीं हो पाया और उनकी स्थिति बिगड़ गई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पीएमसीएच में लॉकडाउन के दौरान प्रसव
राजधानी पटना के प्रतिष्ठित पीएमसीएच हॉस्पिटल के अधीक्षक विमल कारक ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में अस्पताल के सभी विभागों में मरीजों की संख्या कम हुई. प्रसूति विभाग में भी कम संख्या में मरीज एडमिट हुए. उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में एक माह में पीएमसीएच में 900 से 1000 के करीब डिलीवरी होती है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान यह घटकर 350 से 400 के बीच रह गई.

मार्च में डिलीवरी
पीएमसीएच अधीक्षक ने बताया कि पीएमसीएच में मार्च में गायनी डिपार्टमेंट में 550 गर्भवती मरीज एडमिट हुए, जिनमें 389 की डिलीवरी अस्पताल में हुई. उन्होंने बताया कि इसमें नॉर्मल डिलीवरी 202 रही और सिजेरियन डिलीवरी (ऑपरेशन से) 187 रही. मार्च महीने में तीन चीज में मातृ मृत्यु दर की संख्या 4 रही.

इमरजेंसी में हुई डिलीवरी (फाइल फोटो)
इमरजेंसी में हुई डिलीवरी (फाइल फोटो)

अप्रैल में डिलीवरी
अप्रैल माह के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. विमल कारक ने बताया कि अप्रैल में 557 गर्भवती एडमिट हुईं, जिनमें 394 की डिलीवरी हुई. 212 नॉर्मल डिलीवरी हुई और 182 सिजेरियन डिलीवरी हुई. वहीं 7 माताओं की प्रसव के दौरान मौत हुई. मई महीने की जानकारी देते हुए डॉ. विमल कारक ने बताया कि इस महीने 526 गर्भवती मरीज अस्पताल में एडमिट हुए, जिनमें 336 की डिलीवरी अस्पताल में हुई.

मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर बढ़ा
पीएमसीएच अधीक्षक की मानें तो मई में 174 सामान्य डिलीवरी हुई. वहीं, 163 सिजेरियन डिलीवरी हुई. मई महीने में प्रसव के दौरान 15 महिलाओं की मौत हुई. डॉ विमल कारक ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में यातायात की असुविधा के कारण अस्पताल में मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे और यही कारण रहा कि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर अस्पताल का बढ़ा है.

जब ट्रेनों में हुआ प्रसव (फाइल फोटो)
जब ट्रेनों में हुआ प्रसव (फाइल फोटो)

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने शिशु मृत्यु दर के बारे में बताया कि इस बारे में विशेष जानकारी अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष ही देंगे. इस बाबत, ईटीवी भारत संवाददाता ने अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ एके जयसवाल से जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने साफ तौर पर मीडिया को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के तरफ से पत्र आया हुआ है कि मीडिया को कोई भी जानकारी नहीं देनी है.

निजी अस्पतालों के हाल
पटना के निजी अस्पतालों की बात करें, तो निजी अस्पताल में भी लॉकडाउन के दौरान प्रसव की संख्या में गिरावट दर्ज की गई. पटना के कदम कुआं इलाके में महिला प्रसूति का सबसे बड़ा अस्पताल एमजीएम हॉस्पिटल माना जाता है. इस अस्पताल की डॉ. मंजू गीता मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड मरीजों के लिए बहुत ही दिक्कत वाला समय था. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके अस्पताल में जो भी गर्भवती महिलाएं पहुंची. वह सीरियस कंडीशन में थी. कई बार तो ऐसा हुआ की अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते मरीज डेड कर गई या बच्चा खत्म हो गया.

ये रही मई तक की रिपोर्ट
ये रही मई तक की रिपोर्ट ( सोर्स: पटना स्वास्थ्य समिति )

डॉ. मिश्रा के मुताबिक लॉकडाउन के शुरुआती समय में लोगों में और डॉक्टरों में भी संक्रमण को लेकर जागरूकता का अभाव था और इन दिनों अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की भी कमी हो गई थी. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में ब्लड की भी कमी हो गई और मरीजों को ब्लड चढ़ाने के लिए ब्लड का इंतजाम करने में अस्पताल प्रबंधन को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के प्रसव की संख्या सामान्य दिनों के अपेक्षाकृत एक चौथाई पर आ गई थी.

'हॉस्पिटल में सामान्य दिनों में एक माह में तकरीबन 150 से 200 गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान यहां सिर्फ 30 से 40 डिलीवरी हुईं.'-डॉ. मंजू गीता मिश्रा

जनवरी से मई तक प्रसव

  • लॉकडाउन के दौरान पटना में जनवरी में कुल पांच हजार 328 प्रसव हुए.
  • मातृ मृत्यु दर 1 और शिशु मृत्यु दर 23 रही.
  • फरवरी महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या 4 हजार 642 रहे.
  • मातृ मृत्यु दर की संख्या 2 और शिशु मृत्यु दर की संख्या 11 रही.
  • मार्च महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या घटकर 3 हजार 758 पर आ गई.
  • जिसमें मातृ मृत्यु दर की संख्या एक और शिशु मृत्यु दर की संख्या 5 रही.
  • अप्रैल महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या और कम हो गई और यह संख्या 2 हजार 737 पर आ गई.
  • मातृ मृत्यु दर की संख्या 5 और शिशु मृत्यु दर की संख्या 0 रही.
  • मई महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या जिले में 2 हजार 565 रहे, जिसमें मातृ मृत्यु दर की संख्या 0 और शिशु मृत्यु दर की संख्या 3 रही.

जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से मिले इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो जाहिर है कि लॉकडाउन पीरियड में संस्थागत प्रसव की संख्या कम हुई है. जिला स्वास्थ समिति कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पटना के जो भी मेडिकल कॉलेज हैं, उनमें होने वाले संस्थागत प्रसव की जानकारी राज्य स्वास्थ्य समिति के पास होती है और यह जिला स्वास्थ्य समिति के क्षेत्राधिकार के बाहर हैं. इसलिए इन आंकड़ों में पटना के मेडिकल कॉलेजों में हुए प्रसव की संख्या नहीं है.

1 जनवरी से 15 जून तक पैदा हुए बच्चे
1 जनवरी से 15 जून तक पैदा हुए बच्चे

कम हुए संस्थागत प्रसव
वहीं, अगर नगर निगम कि आंकड़ों को देखें तो पटना के शहरी क्षेत्र में 1 जनवरी 2020 से 15 जून 2020 तक 23 हजार 084 नवजात के जन्म का पंजीकरण हुआ है. पटना के शहरी क्षेत्र में हुए नवजात की जन्म के पंजीकरण की संख्या और जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय से मिली संस्थागत प्रसव की संख्या को अगर देखें, तो यह साफ नजर आता है कि लॉकडाउन पीरियड में असुरक्षित डिलीवरी बड़ी है और संस्थागत प्रसव कम हुए हैं.

(वहीं, पटना के शहरी क्षेत्र में ऐसी दाई नहीं मिली, जो घर जाकर महिलाओं की डिलीवरी कराया करती हैं.)

लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी (फाइल फोटो)
लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी (फाइल फोटो)

राज्य में लॉकडाउन पीरियड में कितने संस्थागत प्रसव हुए हैं और क्या कुछ मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर रही. इस बारे में जब ईटीवी भारत संवाददाता ने राज्य स्वास्थ्य समिति कार्यालय का रुख किया, तो वहां से जानकारी दी गई कि राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल पर लॉकडाउन पीरियड के दौरान हुए संस्थागत प्रसव और मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर की संख्या अभी अपलोड नहीं की गई है. वहां से जानकारी यह दी गई कि कोरोना संक्रमण के वजह से सभी का ध्यान अभी कोरोना पर है और स्थिति सामान्य होते ही राजस्व समिति के पोर्टल पर डाटा अपलोड कर दिया जाएगा.

पटना: कोरोना संक्रमण काल के दौरान देशभर में 22 मार्च से जनता कर्फ्यू और फिर 24 मार्च से 31 मई तक लॉकडाउन लागू कर दिया गया. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा मुसीबतें उठानी पड़ी. परिवहन पूरी तरह बंद होने की वजह से गर्भवती अपना रेगुलर चेकअप नहीं करा सकीं.

लॉकडाउन के दौरान सिर्फ आकास्मिक सेवाएं ही शुरू रहीं. मरीजों के लिए एंबुलेंस ही एक मात्र सहारा थी. लेकिन गर्भवती महिलाओं की परेशानियां इससे सॉल्व नहीं हुई. कोरोना संक्रमण के भय से निजी अस्पताल सिर्फ गंभीर स्थिति वाली गर्भवती मरीजों को ही एडमिट कर रहे थे. इस कारण सामान्य गर्भवती महिलाओं का रेगुलर चेकअप नहीं हो पाया और उनकी स्थिति बिगड़ गई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पीएमसीएच में लॉकडाउन के दौरान प्रसव
राजधानी पटना के प्रतिष्ठित पीएमसीएच हॉस्पिटल के अधीक्षक विमल कारक ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में अस्पताल के सभी विभागों में मरीजों की संख्या कम हुई. प्रसूति विभाग में भी कम संख्या में मरीज एडमिट हुए. उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में एक माह में पीएमसीएच में 900 से 1000 के करीब डिलीवरी होती है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान यह घटकर 350 से 400 के बीच रह गई.

मार्च में डिलीवरी
पीएमसीएच अधीक्षक ने बताया कि पीएमसीएच में मार्च में गायनी डिपार्टमेंट में 550 गर्भवती मरीज एडमिट हुए, जिनमें 389 की डिलीवरी अस्पताल में हुई. उन्होंने बताया कि इसमें नॉर्मल डिलीवरी 202 रही और सिजेरियन डिलीवरी (ऑपरेशन से) 187 रही. मार्च महीने में तीन चीज में मातृ मृत्यु दर की संख्या 4 रही.

इमरजेंसी में हुई डिलीवरी (फाइल फोटो)
इमरजेंसी में हुई डिलीवरी (फाइल फोटो)

अप्रैल में डिलीवरी
अप्रैल माह के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. विमल कारक ने बताया कि अप्रैल में 557 गर्भवती एडमिट हुईं, जिनमें 394 की डिलीवरी हुई. 212 नॉर्मल डिलीवरी हुई और 182 सिजेरियन डिलीवरी हुई. वहीं 7 माताओं की प्रसव के दौरान मौत हुई. मई महीने की जानकारी देते हुए डॉ. विमल कारक ने बताया कि इस महीने 526 गर्भवती मरीज अस्पताल में एडमिट हुए, जिनमें 336 की डिलीवरी अस्पताल में हुई.

मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर बढ़ा
पीएमसीएच अधीक्षक की मानें तो मई में 174 सामान्य डिलीवरी हुई. वहीं, 163 सिजेरियन डिलीवरी हुई. मई महीने में प्रसव के दौरान 15 महिलाओं की मौत हुई. डॉ विमल कारक ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में यातायात की असुविधा के कारण अस्पताल में मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे और यही कारण रहा कि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर अस्पताल का बढ़ा है.

जब ट्रेनों में हुआ प्रसव (फाइल फोटो)
जब ट्रेनों में हुआ प्रसव (फाइल फोटो)

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने शिशु मृत्यु दर के बारे में बताया कि इस बारे में विशेष जानकारी अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष ही देंगे. इस बाबत, ईटीवी भारत संवाददाता ने अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ एके जयसवाल से जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने साफ तौर पर मीडिया को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के तरफ से पत्र आया हुआ है कि मीडिया को कोई भी जानकारी नहीं देनी है.

निजी अस्पतालों के हाल
पटना के निजी अस्पतालों की बात करें, तो निजी अस्पताल में भी लॉकडाउन के दौरान प्रसव की संख्या में गिरावट दर्ज की गई. पटना के कदम कुआं इलाके में महिला प्रसूति का सबसे बड़ा अस्पताल एमजीएम हॉस्पिटल माना जाता है. इस अस्पताल की डॉ. मंजू गीता मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड मरीजों के लिए बहुत ही दिक्कत वाला समय था. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके अस्पताल में जो भी गर्भवती महिलाएं पहुंची. वह सीरियस कंडीशन में थी. कई बार तो ऐसा हुआ की अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते मरीज डेड कर गई या बच्चा खत्म हो गया.

ये रही मई तक की रिपोर्ट
ये रही मई तक की रिपोर्ट ( सोर्स: पटना स्वास्थ्य समिति )

डॉ. मिश्रा के मुताबिक लॉकडाउन के शुरुआती समय में लोगों में और डॉक्टरों में भी संक्रमण को लेकर जागरूकता का अभाव था और इन दिनों अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की भी कमी हो गई थी. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में ब्लड की भी कमी हो गई और मरीजों को ब्लड चढ़ाने के लिए ब्लड का इंतजाम करने में अस्पताल प्रबंधन को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के प्रसव की संख्या सामान्य दिनों के अपेक्षाकृत एक चौथाई पर आ गई थी.

'हॉस्पिटल में सामान्य दिनों में एक माह में तकरीबन 150 से 200 गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान यहां सिर्फ 30 से 40 डिलीवरी हुईं.'-डॉ. मंजू गीता मिश्रा

जनवरी से मई तक प्रसव

  • लॉकडाउन के दौरान पटना में जनवरी में कुल पांच हजार 328 प्रसव हुए.
  • मातृ मृत्यु दर 1 और शिशु मृत्यु दर 23 रही.
  • फरवरी महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या 4 हजार 642 रहे.
  • मातृ मृत्यु दर की संख्या 2 और शिशु मृत्यु दर की संख्या 11 रही.
  • मार्च महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या घटकर 3 हजार 758 पर आ गई.
  • जिसमें मातृ मृत्यु दर की संख्या एक और शिशु मृत्यु दर की संख्या 5 रही.
  • अप्रैल महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या और कम हो गई और यह संख्या 2 हजार 737 पर आ गई.
  • मातृ मृत्यु दर की संख्या 5 और शिशु मृत्यु दर की संख्या 0 रही.
  • मई महीने में संस्थागत प्रसव की संख्या जिले में 2 हजार 565 रहे, जिसमें मातृ मृत्यु दर की संख्या 0 और शिशु मृत्यु दर की संख्या 3 रही.

जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से मिले इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो जाहिर है कि लॉकडाउन पीरियड में संस्थागत प्रसव की संख्या कम हुई है. जिला स्वास्थ समिति कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पटना के जो भी मेडिकल कॉलेज हैं, उनमें होने वाले संस्थागत प्रसव की जानकारी राज्य स्वास्थ्य समिति के पास होती है और यह जिला स्वास्थ्य समिति के क्षेत्राधिकार के बाहर हैं. इसलिए इन आंकड़ों में पटना के मेडिकल कॉलेजों में हुए प्रसव की संख्या नहीं है.

1 जनवरी से 15 जून तक पैदा हुए बच्चे
1 जनवरी से 15 जून तक पैदा हुए बच्चे

कम हुए संस्थागत प्रसव
वहीं, अगर नगर निगम कि आंकड़ों को देखें तो पटना के शहरी क्षेत्र में 1 जनवरी 2020 से 15 जून 2020 तक 23 हजार 084 नवजात के जन्म का पंजीकरण हुआ है. पटना के शहरी क्षेत्र में हुए नवजात की जन्म के पंजीकरण की संख्या और जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय से मिली संस्थागत प्रसव की संख्या को अगर देखें, तो यह साफ नजर आता है कि लॉकडाउन पीरियड में असुरक्षित डिलीवरी बड़ी है और संस्थागत प्रसव कम हुए हैं.

(वहीं, पटना के शहरी क्षेत्र में ऐसी दाई नहीं मिली, जो घर जाकर महिलाओं की डिलीवरी कराया करती हैं.)

लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी (फाइल फोटो)
लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी (फाइल फोटो)

राज्य में लॉकडाउन पीरियड में कितने संस्थागत प्रसव हुए हैं और क्या कुछ मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर रही. इस बारे में जब ईटीवी भारत संवाददाता ने राज्य स्वास्थ्य समिति कार्यालय का रुख किया, तो वहां से जानकारी दी गई कि राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल पर लॉकडाउन पीरियड के दौरान हुए संस्थागत प्रसव और मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर की संख्या अभी अपलोड नहीं की गई है. वहां से जानकारी यह दी गई कि कोरोना संक्रमण के वजह से सभी का ध्यान अभी कोरोना पर है और स्थिति सामान्य होते ही राजस्व समिति के पोर्टल पर डाटा अपलोड कर दिया जाएगा.

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