पटना: बिहार के लोग नए साल के आगमन की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में जेडीयू पार्टी में भी नए साल का स्वागत अपने अंदाज में करने की तैयारी कर रही है. जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बड़े फैसले आने की उम्मीद जताई जा रही है. इसको लेकर अभी से ही कयास लगाई जा रही है.
दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक: दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े फैसले के लिए जाने जाते हैं. साल के आखिर में नीतीश कुमार ने जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाई है. दिल्ली में 29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है. दूसरे हाफ में राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी. जहां जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद से राजनीतिक दलों के समक्ष जातिगत वोट बैंक चुनौती है. तमाम दल जातिगत आधार पर नेताओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए मजबूर दिख रहे हैं. जदयू के अंदर भी इस बात को लेकर मंथन चल रहा है.
इन्हें मिल सकती अहम जिम्मेदारी: बता दें कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कार्यकाल भी खत्म होने वाला है. अब जदयू कार्यकर्ताओं को बड़े फैसले आने की उम्मीद है. मिल रही जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार खुद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं. अगर अति पिछड़ा पर दाग लगाया गया तो पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर या सांसद चंदेश्वर को भी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है.
उमेश कुशवाहा का कार्यकाल भी खत्म की ओर: साल 2019 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की तबीयत खराब हुई थी. जिसके बाद कमान उमेश कुशवाहा को दी गई थी. नवंबर 2022 को उमेश कुशवाहा दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए. उमेश कुशवाहा का कार्यकाल भी लगभग 3 साल का हो चुका है. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी नए चेहरे पर नीतीश कुमार दाव लगा सकते हैं. किसी दलित या अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले नेता को आगे किया जा सकता है.
"29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं. लोकसभा चुनाव को देखते हुए नीतीश कुमार बड़े फैसले ले सकते हैं." - हिमराज राम, जदयू प्रवक्ता
"सभी की निगाहें नीतीश कुमार के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पर टिकी है. नीतीश कुमार गठबंधन पर फैसला लेने के लिए अधिकृत किए जा सकते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी नए चेहरे को सामने ला सकते हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद से नीतीश कुमार पर दबाव भी है." - रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
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