पटना: ट्रेन एक्सीडेंट(Train Accident) से मौत की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं. इसके पीछे दो प्रमुख वजह होती है. एक आत्महत्या (Suicide) और दूसरी लापरवाही(Negligence). रेलवे ट्रैक (Railway Track) पर सबसे ज्यादा आत्महत्या की जाती है. साथ ही जल्दबाजी में लोग गलत तरीके से रेलवे ट्रैक पार करने लगते हैं या अवैध क्रॉसिंग (Illegal Crossing) का उपयोग करते हैं, मौत के पीछे की यह भी बड़ी वजह है. ट्रेन की चपेट में आने से मौत के बढ़ते आंकड़ों ने रेलवे को भी परेशानी में डाल दिया है.
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ट्रेन से मौतें
ट्रेन से कटकर मौत होने की घटनाएं रोज सामने आती हैं. सवाल ये कि आखिर इतनी मौतें रेलवे ट्रैक पर होती क्यों है. आत्महत्या करना कानूनन अपराध है. सरकार ने इस पर कानून भी बनाया है, इसके बावजूद भी लोग आत्महत्या कर रहे हैं. सबसे ज्यादा आत्महत्या की खबरें ट्रेन की पटरियों पर मिलती हैं. इतना ही नहीं लापरवाही की वजह से भी लोग काल के गाल में समा जाते हैं.
नहीं रुक रहे आत्महत्या के मामले
पारिवारिक कलह या डिप्रेशन में आकर लोग आत्महत्या कर लेते हैं. हर साल यह देखा जाता है कि रेल यात्रा के दौरान कई लोग दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं तो कई लोग अपनी जान गवां देते हैं. पूर्व मध्य रेल के कई स्टेशनों के रेलवे ट्रैक की पटरियों को पार करने में हर साल काफी संख्या में लोग रेल हादसों का शिकार हो जाते हैं, और अपनी जान भी गंवा देते हैं. इसके साथ ही साथ कई लोग डिप्रेशन में आकर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या भी कर लेते हैं.
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लापरवाही भी लेती है जान
कुछ मिनट बचाने के लिए अगर आप फुट ओवर ब्रिज नहीं चढ़ते हैं और आलस के चलते एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए रेल की पटरी पार करने का प्रयास करते हैं तो इसमें हादसा होने की संभावना सबसे ज्यादा बनी रहती है. कानूनी तौर पर देखा जाए तो रेल की पटरियों को ऐसे पार करना अपराध है, लेकिन इसके लोग अपनी जान खतरे में डालते हैं.
गैरकानूनी है पटरी पार करना
रेल की पटरियों को पार करना कानूनी तौर पर भी अपराध है. रेलवे अधिनियम की धारा 147 के तहत रेल की पटरियों को पार करने के अपराध में व्यक्ति को पकड़ा जा सकता है. ऐसा करते हुए पाए जाने पर व्यक्ति को 06 महीने तक की सजा हो सकती है. वहीं 1000 रुपये तक जुर्माने का भी प्रावधान है.
हादसों का शिकार होते हैं लोग
परिवहन का रेल सबसे बड़ा माध्यम है. ऐसे में स्टेशन, प्लेटफार्म हर जगह यात्रियों की खासी भीड़ देखी जाती है. यात्रियों और इनके आसपास से गुजरने वालों की सुरक्षा पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है, लेकिन रेलवे प्रशासन की तरफ से इसे लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जाते. इसकी वजह से हर साल सैकड़ों लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं. तो कई लोग आत्महत्या कर लेते हैं.
पटना में हादसे
राजधानी पटना में सबसे ज्यादा रेल हादसा सचिवालय हाल्ट, पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर इलाके के ट्रेन पटरी पर होती है. इसी साल 9 फरवरी को गया रेलखंड के पुनपुन और परसा बाजार स्टेशन के बीच रेलवे लाइन पार करने के दौरान एक युवक की मौत हो गई. 17 फरवरी को दानापुर रेल मंडल के बिहटा रेलवे स्टेशन के डाउन मेन लाइन के पास ट्रेन से कटकर एक अज्ञात अधेड़ महिला की मौत हो गई. वहीं 13 अप्रैल को पटना साहिब स्टेशन पर ट्रेन से टकराकर युवक की मौत हो गई. सिर्फ पटना से ही ऐसे कई मामले सामने आए हैं.
'ये बात सच है कि ट्रेन की चपेट में आने से घटनाएं घटती हैं, लेकिन इसके पीछे का कारण लोगों की लापरवाही है. लोग रेलवे क्रॉसिंग या जहां फाटक बनाया गया है, वहां से नहीं पार करते हैं बल्कि जल्दबाजी में एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए पटरियों का इस्तेमाल करते हैं. जिससे कि वह ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं.- राजेश कुमार,सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल
'प्रतिदिन करीब 5 लोग गंवाते हैं जान'
पूर्व मध्य रेल का 4220 किलोमीटर का रेल नेटवर्क है, जिसमें प्रतिदिन के हिसाब से अगर माना जाए तो 3 से 5 लोग ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं. रेलवे की ओर से लगातार अपील की जाती है कि लोग फाटक या फुट ओवर ब्रिज का इस्तेमाल करें. जल्दबाजी में अपने और अपने परिवार की जान खतरे में ना डालें.
'पहले की अपेक्षा ट्रेन की गति में काफी बढ़ोतरी हुई है. अभी ट्रेन की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटे है. 100 मीटर की दूरी मात्र 3 से 4 सेकेंड में पूरी कर लेती हैं. जिससे आपकी जरा सी भी असावधानी घटना को निमंत्रण दे सकती हैं और इसका खामियाजा आपके परिवार को भुगतना पड़ सकता है.'- राजेश कुमार,सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल
रोड ओवरब्रिज सबवे का निर्माण
भारतीय रेल ने काफी अहम फैसला लिया है. जहां समफाटक था उसके बदले रोड ओवरब्रिज सबवे का निर्माण कराया जा रहा है, जिससे कि आने वाले दिनों में रेलवे की चपेट में आने से मौतों में कमी आए.
'हम हमेशा यात्रियों को सजग करते हैं. उन्हें जागरुक करते हैं. फिर भी लोग जल्दबाजी करते हैं जिसकी वजह से घटना बढ़ती जा रही है. आत्महत्या के लिए जो लोग आते हैं उनकी पहचान होते ही तुरंत एक्शन लिया जाता है. हम कार्रवाई करते हैं उनको घर पहुंचाया जाता है.लोगों के द्वारा सतर्कता बरतने से ही ऐसे हादसे रोके जा सकते हैं.'- रंजीत कुमार, जीआरपी थाना प्रभारी, पटना जंक्शन
रेलवे का जागरूकता अभियान
गौरतलब है कि देश भर में रेलवे में होने वाले हादसों में पटरी पार करते हुए लोगों की सबसे अधिक मौत होती है. इसलिए रेलवे की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, और लोगों को पटरी पार न करने के लिए प्रेरित किया जाता है.
लॉकडाउन में मौतों में आई कमी
कोरोनाकाल में कई ट्रेनों के परिचालन को बंद कर दिया गया. जिसके कारण ट्रेन की चपेट में आने से मौत के मामले कम हुए. इस दौरान सबसे कम लोग शिकार हुए थे. ट्रेनो का परिचालन ठप था लेकिन फिर भी 500 लोग शिकार हुए थे. इसके साथ ही आपको बता दें कि ट्रेन की चपेट में आने और आत्महत्या का शिकार दिसंबर से लेकर मार्च तक लगभग 250 लोग हुए हैं.
कोहरे का कहर
सबसे ज्यादा घटना ठंड और घने कोहरे के कारण भी होती है. विजिबिलिटी कम होने के चलते लोग हादसे का शिकार होते हैं. ट्रैक पार करने के समय ट्रेन की चपेट में लोग आ जाते है. हालांकि लॉकडाउन के पहले 300 मेल एक्सप्रेस और लगभग 380 पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन होता था. पूर्व मध्यरेल के कई ऐसे स्टेशन है जहां रेलवे ट्रैक पार करने के चक्कर मे लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं.
'बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिनके न्यूरो ट्रांसमीटर इम्बैलेंस हो जाते हैं उनके सोचने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसी स्थित में वो डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. और आत्महत्या करने की प्रवृति बढ़ने लगती है. और फिर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.'- दिवाकर तेजस्वी, डॉक्टर
इन बातों का रखना होगा ख्याल
- लोगों को करना होगा जागरुक
- डिप्रेशन में चल रहे लोगों की मदद की जाए
- रेलवे की ओर से प्लेटफार्म पर की जाय सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
- रोड ओवरब्रिज सबवे का किया जाय इस्तेमाल
- लोगों को बरतनी होगी सावधानी
- नियमों का कड़ाई से पालन
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