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आज से 4 महीने के लिए मांगलिक कार्य बंद, देवशयनी एकादशी से विवाह पर भी विराम

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Published : Jul 9, 2022, 8:01 AM IST

पूरे देश में हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों के घर में आज के बाद चार महीने तक शादी विवाह पर पूरी तरह से पाबंदी (Marriage ban in Bihar) रहेगी. इन चार महीने में किसी भी तरह का कोई भी लग्न नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

Marriage ban
Marriage ban

पटना: बिहार में शुभ विवाह का सीजन आज से खत्म (Wedding Season End In Bihar) हो गया. राजधानी पटना में ज्योतिषियों के अनुसार शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किये जाएंगे. ज्योतिषियों के अनुसार 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर चार माह के लिए विराम लग जाएगा. वहीं इस सीजन की शुरुआत नवंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू होगी.

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आज से बंद होंगे मांगलिक कार्य: दरअसल, राजधानी पटना के ज्योतिषाचार्य मनोज मिश्रा का कहना है कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत नौ जुलाई के शाम 4:40 मिनट पर होकर दस जुलाई को दोपहर 2:12 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं उन्होंने बताया कि 10 जुलाई के बाद अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर माह में शुभ मुहूर्त नहीं होने से शादी विवाह पर रोक रहेगी. इन चार महीनों के अलावा सभी महीनों में शादी और मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं. क्योंकि इन चार महीनों के अलावे शुभ मुहूर्त मौजूद है. वहीं बताया कि इस साल चार नवंबर को देवउठनी एकादशी है, जिसके कारण शुक्र ग्रह के अस्त होने से 4 से 24 नवंबर तक शादी विवाह नहीं किये जा सकेंगे. वहीं 25 नवम्बर से फिर से मांगलिक कार्य की शुरूआत होगी.

'आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत नौ जुलाई के शाम 4:40 मिनट पर होकर दस जुलाई को दोपहर 2:12 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं उन्होंने बताया कि 10 जुलाई के बाद अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर माह में शुभ मुहूर्त नहीं होने से शादी विवाह पर रोक रहेगी'. - मनोज मिश्रा, ज्योतिषाचार्य, पटना

कल है देवशयनी एकादशी: बता दें, देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को है, इसी दिन से भगवान विष्णु शयन मुद्रा में चले जाएंगे. वहीं भगवान विष्णु 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर अपने क्षीर निद्रा से जागेंगे. उसी दिन तक शादी विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेउ संस्कार और अन्य शुभ काम नहीं होते हैं. सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, वो दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करते हैं. यहीं वजह है कि इन चार माह में किसी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं होता है.


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वहीं, ज्योतिषी मनोज मिश्रा ने बताया कि दक्षिणायन काल देवताओं की रात्रि मानी गई है. इस समय को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. दक्षिणायन में सूर्य देव कर्क से मकर रेखा तक छह राशियों में होकर गुजरते हैं. इस दौरान पितरों की पूजा और स्नान-दान का बहुत महत्व है. वहीं दक्षिणायन काल में व्रत रखना, पूजा-पाठ, और साधना करना फलदायी माना जाता है. ज्योतिषाचार्य मनोज मिश्रा ने आगे कहा कि जब सूर्य देव पूर्व से दक्षिण दिशा की ओर चलते है, तब उस समय को सेहत के लिए खराब माना जाता है.

ये है कथा: धार्मिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि से तीन पग भूमि मांगी, तब दो पग में पृथ्वी और स्वर्ग को श्री हरि ने नाप दिया और जब तीसरा पग रखने लगे तब बलि ने अपना सिर आगे रख दिया. भगवान विष्णु ने राजा बलि से प्रसन्न होकर उनको पाताल लोक दे दिया और उनकी दानभक्ति को देखते हुए वर मांगने को कहा. बलि ने कहा -प्रभु आप सभी देवी-देवताओं के साथ मेरे लोक पाताल में निवास करें, और इस तरह श्री हरि समस्त देवी-देवताओं के साथ पाताल चले गए, यह दिन एकादशी (देवशयनी) का था.

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक अन्य प्रसंग में एक बार योगनिद्रा ने बड़ी कठिन तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और उनसे प्रार्थना की कि भगवान आप मुझे अपने अंगों में स्थान दीजिए. लेकिन श्री हरि ने देखा कि उनका अपना शरीर तो लक्ष्मी के द्वारा अधिष्ठित है. इस तरह का विचार कर श्री विष्णु ने अपने नेत्रों में योगनिद्रा को स्थान दे दिया और योगनिद्रा को आश्वासन देते हुए कहा कि तुम वर्ष में चार मास मेरे आश्रित रहोगी.

क्या करें देवशयनी एकादशी के दिन: इस दिन शाम के समय तुलसी के पौधे में घी का दीपक लगाएं. ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए 11 परिक्रमा करें. इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के कपड़ों से श्रृंगार करें. गरीबो में पीला अनाज बांटें. तीर्थ स्थल, पवित्र नदियों के किनारे बैठकर गायत्री मंत्र का जाप करें. समस्त रोगों का निवारण करने के लिए इस दिन एक नारियल और बादाम विष्णु को अर्पित करें.

देवशयनी एकादशी पूजा-विधि:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.
  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
  • भगवान की आरती करें.
  • भगवान को भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं.
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें. इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.

पटना: बिहार में शुभ विवाह का सीजन आज से खत्म (Wedding Season End In Bihar) हो गया. राजधानी पटना में ज्योतिषियों के अनुसार शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किये जाएंगे. ज्योतिषियों के अनुसार 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर चार माह के लिए विराम लग जाएगा. वहीं इस सीजन की शुरुआत नवंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू होगी.

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आज से बंद होंगे मांगलिक कार्य: दरअसल, राजधानी पटना के ज्योतिषाचार्य मनोज मिश्रा का कहना है कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत नौ जुलाई के शाम 4:40 मिनट पर होकर दस जुलाई को दोपहर 2:12 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं उन्होंने बताया कि 10 जुलाई के बाद अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर माह में शुभ मुहूर्त नहीं होने से शादी विवाह पर रोक रहेगी. इन चार महीनों के अलावा सभी महीनों में शादी और मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं. क्योंकि इन चार महीनों के अलावे शुभ मुहूर्त मौजूद है. वहीं बताया कि इस साल चार नवंबर को देवउठनी एकादशी है, जिसके कारण शुक्र ग्रह के अस्त होने से 4 से 24 नवंबर तक शादी विवाह नहीं किये जा सकेंगे. वहीं 25 नवम्बर से फिर से मांगलिक कार्य की शुरूआत होगी.

'आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत नौ जुलाई के शाम 4:40 मिनट पर होकर दस जुलाई को दोपहर 2:12 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं उन्होंने बताया कि 10 जुलाई के बाद अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर माह में शुभ मुहूर्त नहीं होने से शादी विवाह पर रोक रहेगी'. - मनोज मिश्रा, ज्योतिषाचार्य, पटना

कल है देवशयनी एकादशी: बता दें, देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को है, इसी दिन से भगवान विष्णु शयन मुद्रा में चले जाएंगे. वहीं भगवान विष्णु 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर अपने क्षीर निद्रा से जागेंगे. उसी दिन तक शादी विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेउ संस्कार और अन्य शुभ काम नहीं होते हैं. सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, वो दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करते हैं. यहीं वजह है कि इन चार माह में किसी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं होता है.


ये भी पढे़ं- पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी की मंत्रिमंडल से छुट्टी, नीतीश कुमार ने की राज्यपाल से अनुशंसा

वहीं, ज्योतिषी मनोज मिश्रा ने बताया कि दक्षिणायन काल देवताओं की रात्रि मानी गई है. इस समय को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. दक्षिणायन में सूर्य देव कर्क से मकर रेखा तक छह राशियों में होकर गुजरते हैं. इस दौरान पितरों की पूजा और स्नान-दान का बहुत महत्व है. वहीं दक्षिणायन काल में व्रत रखना, पूजा-पाठ, और साधना करना फलदायी माना जाता है. ज्योतिषाचार्य मनोज मिश्रा ने आगे कहा कि जब सूर्य देव पूर्व से दक्षिण दिशा की ओर चलते है, तब उस समय को सेहत के लिए खराब माना जाता है.

ये है कथा: धार्मिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि से तीन पग भूमि मांगी, तब दो पग में पृथ्वी और स्वर्ग को श्री हरि ने नाप दिया और जब तीसरा पग रखने लगे तब बलि ने अपना सिर आगे रख दिया. भगवान विष्णु ने राजा बलि से प्रसन्न होकर उनको पाताल लोक दे दिया और उनकी दानभक्ति को देखते हुए वर मांगने को कहा. बलि ने कहा -प्रभु आप सभी देवी-देवताओं के साथ मेरे लोक पाताल में निवास करें, और इस तरह श्री हरि समस्त देवी-देवताओं के साथ पाताल चले गए, यह दिन एकादशी (देवशयनी) का था.

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक अन्य प्रसंग में एक बार योगनिद्रा ने बड़ी कठिन तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और उनसे प्रार्थना की कि भगवान आप मुझे अपने अंगों में स्थान दीजिए. लेकिन श्री हरि ने देखा कि उनका अपना शरीर तो लक्ष्मी के द्वारा अधिष्ठित है. इस तरह का विचार कर श्री विष्णु ने अपने नेत्रों में योगनिद्रा को स्थान दे दिया और योगनिद्रा को आश्वासन देते हुए कहा कि तुम वर्ष में चार मास मेरे आश्रित रहोगी.

क्या करें देवशयनी एकादशी के दिन: इस दिन शाम के समय तुलसी के पौधे में घी का दीपक लगाएं. ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए 11 परिक्रमा करें. इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के कपड़ों से श्रृंगार करें. गरीबो में पीला अनाज बांटें. तीर्थ स्थल, पवित्र नदियों के किनारे बैठकर गायत्री मंत्र का जाप करें. समस्त रोगों का निवारण करने के लिए इस दिन एक नारियल और बादाम विष्णु को अर्पित करें.

देवशयनी एकादशी पूजा-विधि:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.
  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
  • भगवान की आरती करें.
  • भगवान को भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं.
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें. इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.
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