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दुर्गा पूजा के बाद अब रावण वध महोत्सव पर भी मंडरा रहा कोरोना का खतरा, असमंजस में हैं आयोजक

पिछले 65 सालों से रावण वध महोत्सव का भव्य तरीके से आयोजन किया जा रहा है, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिली है.

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Published : Sep 29, 2020, 5:25 PM IST

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पटनाः कोरोना का असर पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है. देश की अर्थव्यवस्था के साथ सभी चीजों पर इसका असर पड़ा है. धार्मिक आयोजनों पर भी अब इसका असर दिख रहा है. कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण दुर्गा पूजा में भव्य आयोजन पर रोक लगाई गई है. इस साल न तो कहीं पूजा पंडाल बनेगा और न ही मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी. साथ ही रावण वध महोत्सव पर खतरा मंडरा रहा है.

अब तक नहीं मिली कोई जानकारी
जिला प्रशासन ने रावण वध महोत्सव को लेकर के अब तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं किया है. पिछले 65 सालों से रावण वध महोत्सव का भव्य तरीके से आयोजन किया जा रहा है, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिली है. इस वजह से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है.

देखें रिपोर्ट

65 सालों से चली आ रही परंपरा
रावण वध महोत्सव समिति के संयोजक ने कमल नोपानी बताया कि हम लोगों ने जिला प्रशासन को डिजिटल रूप से कार्यक्रम करवाने की इजाजत देने का सुझाव दिया है. इससे 65 सालों से चली आ रही परंपरा बरकरार रहेगी. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए डिजिटल रूप में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा और लाइव के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी से इसपर उनकी बात हुई है और जल्द ही फैसला हो जाएगा.

पटनाः कोरोना का असर पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है. देश की अर्थव्यवस्था के साथ सभी चीजों पर इसका असर पड़ा है. धार्मिक आयोजनों पर भी अब इसका असर दिख रहा है. कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण दुर्गा पूजा में भव्य आयोजन पर रोक लगाई गई है. इस साल न तो कहीं पूजा पंडाल बनेगा और न ही मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी. साथ ही रावण वध महोत्सव पर खतरा मंडरा रहा है.

अब तक नहीं मिली कोई जानकारी
जिला प्रशासन ने रावण वध महोत्सव को लेकर के अब तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं किया है. पिछले 65 सालों से रावण वध महोत्सव का भव्य तरीके से आयोजन किया जा रहा है, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिली है. इस वजह से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है.

देखें रिपोर्ट

65 सालों से चली आ रही परंपरा
रावण वध महोत्सव समिति के संयोजक ने कमल नोपानी बताया कि हम लोगों ने जिला प्रशासन को डिजिटल रूप से कार्यक्रम करवाने की इजाजत देने का सुझाव दिया है. इससे 65 सालों से चली आ रही परंपरा बरकरार रहेगी. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए डिजिटल रूप में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा और लाइव के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी से इसपर उनकी बात हुई है और जल्द ही फैसला हो जाएगा.

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