पटना: मसौढ़ी स्थित भीमपुरा गांव स्थित योगेश्वर धाम में शिवरात्रि के मौके पर भव्य पूजा पाठ किया जाता है. यहां पर कई जगहों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हो जाती है. वे सभी लोग यहां आकर शिवरात्रि के दिन पूरे धूमधाम से पूजा पाठ करते हैं. इस अवसर पर शिवरात्रि के अवसर पर मेला भी लगाया जाता है. इस मंदिर के संचालक अभिमन्यु पटेल के द्वारा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण करीब ढाई सौ साल पहले हुई है. यह भी बताया कि इस मंदिर में कभी भगवान श्रीकृष्ण भी पधारे थे. उसके पहले से यहां पर शिवलिंग विराजमान है.
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गिरी पड़ी मिली थी प्रतिमा: मंदिर के संचालक अभिमन्यु पटेल ने बताया कि कई सालों पहले कुछ किसान अपने काम से किसी दूसरे राज्य की ओर जा रहे थे. तभी बीच रास्ते में खेत में शिवलिंग की प्रतिमा दिखाई दी, उसके बाद उनलोगों ने अपने घर पर लेकर जाने के लिए टोकरी में उठाकर जाने लगे. रात के समय में वे लोग हमारे ही गांव में थककर रूक गए. उनलोगों को अगले दिन सुबह में शिवलिंग की स्थापना करनी थी. लेकिन जब सुबह होने पर वे लोग इस शिवलिंग को उठाकर जाने का प्रयास किए लेकिन शिवलिंग उस स्थान से नहीं हिला. कई दिनों तक लोगों ने इस शिवलिंग को उठाने का प्रयास किया. आखिरकार अंततः सभी गांव के लोग आश्चर्यचकित हो गए. जिसके बाद इसी जगह पर मंदिर की स्थापना कर दी गई.
ग्रामीणों को मंदिर बनने से कई फायदे: बताया जाता है कि इस शिवलिंग के गांव में आने के बाद से ही पूरे गांव में अच्छी बरसात होने लगी. खेतों में अच्छी फसल होने लगी. इन सब के बाद से ही शिवरात्रि के दिन पूरे धूमधाम से इस मंदिर में पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है. उसी समय से गांव में मेले की शुरुआत हो गई. इसके आसपास गांव और शहरी लोग भी शिवरात्रि के मौके पर आते हैं. इसके बाद योगेश्वर धाम में शिव विवाह और बारात का भी आयोजन किया जाता है. इस विवाह के आयोजन को देखने के लिए भी कई लोग काफी दूरी से यहां आते हैं. उसी समय यहां पर जीतने भी मन्नत लोग मांगते हैं. उन लोगों की सारी मन्नतें पूरी होती है.
"मसौढी के योगेश्वर धाम में शिवरात्रि के मौके पर पूजा पाठ किया जाता है. इसका इतिहास काफी पुराना है. इस मंदिर के उत्पति की कई कहानियां आज भी प्रचलित है. योगेश्वर धाम के बगल से एक मोरहर नदी है. जिसका नामकरण भी मोर और हरि के नाम से किया गया था"- . अभिमन्यु पटेल, मंदिर संयोजक,योगेश्वर धाम भीमपुरा, मसौढ़ी