पटना : बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन है. एक तरफ जहां सरकार जातीय गणना के आंकड़े के साथ आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश कर रही थी. वहीं दूसरी ओर सरकार में शामिल सीपीआई के विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आए. सीपीआई विधायकों का कहना था कि अभी तक बिहार सरकार ने भूमिहीनों को जमीन नहीं दी है. सरकार ने जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं किया है.
'सरकार भूमिहीनों को जमीन दे' : माले विधायकों ने कहा कि सरकार अपना वादा पूरा करे. इसको लेकर सदन में सरकार को जवाब भी देना होगा, कि आखिर किस कारण से अभी तक भूमिहीनों को जमीन नहीं दी जा रही है. माले के विधायक सत्येंद्र राम ने अपने ही सरकार को भूमिहीन के जमीन देने के मामले पर घेरा और कहा कि अभी तक भूमिहीन गरीब को जमीन नहीं दी गई है.सीलिंग एक्ट के तहत अभी भी लाखों एकड़ जमीन का डाटा सरकार के पास है.
"क्या वैसे जमीन को सरकार गरीबों के बीच वितरित नहीं कर सकती है. सरकार को इस पर ध्यान देना होगा. सदन के अंदर भी हमलोग इस मुद्दे पर सरकार से सवाल करेंगे, कि आखिर क्या कारण है कि भूमिहीन गरीब को अभी तक जमीन नहीं मिल रही है." - सत्येंद्र राम, माले विधायक
पूरे देश में जातीय गणना कराने की मांग : सीपीआई विधायक सत्येंद्र राम ने कहा कि पूरे देश में जातीय गणना होनी चाहिए. ये होने से सब कुछ साफ हो जाएगा कि किसके पास क्या है और उनकी आर्थिक स्थिति क्या है निश्चित तौर पर बिहार में जो जातीय गणना हुई है वो पूरे देश के केंद्र सरकार को जल्द से जल्द करवाना होगा अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती है तो इसको लेकर हमारा आंदोलन जारी रहेगा. इसके अलावा सरकार से जातीय गणना की रिपोर्ट के बाद बिहार के आरक्षण के कोटा को भी बढ़ाने की मांग की है.
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