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जल संरक्षण: प्राइवेट घरों में रेन हार्वेस्टिंग लगाने पर निगम होल्डिंग टैक्स में मिलेगी रियायत

राजधानी वासियों को पानी के संकट से बचाने के लिए नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की तरफ से रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) की व्यवस्था शुरू की गई है. इसकी वजह से उन्हे पानी की किल्लत से निजात मिलेगी.

रेन हार्वेस्टिंग
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Published : Jun 24, 2021, 9:32 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 10:01 PM IST

पटना: पानी की बर्बादी अगर नहीं रोकी गई तो वह दिन दूर नहीं, जब हम बूंद-बूंद के लिए तरसेंगे. पानी को सुरक्षित रखना है तो हमें वर्षा जल का संचय (Rain Water Harvesting) करना होगा. वहीं, अब निगम प्रशासन ने फैसला लिया है कि जो लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करते हैं, उन्हें होल्डिंग टैक्स में 25 से 30 फीसदी की रियायत दी जाएगी.

ये भी पढ़ें- Muzaffarpur News: लगातार हो रही बारिश से इंडस्ट्रियल एरिया झील में तब्दील, उद्यमी परेशान

रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था
राजधानी वासियों को पानी के संकट से निजात दिलाने के लिए पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की तरफ से रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) की व्यवस्था शुरू की गई है. यानी निगम क्षेत्र में जितने भी सरकारी भवन हैं, उन भवनों का वर्षा का पानी को संचय करके जमीन के अंदर उसे संचित करने की प्रक्रिया में निगम प्रशासन लग गया है. आम लोगों से भी निगम प्रशासन की अपील है कि जल संरक्षण के लिए अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाएं. इसको लेकर निगम प्रशासन का दावा है कि यदि लोग अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाते हैं. तो निगम की तरफ से उन्हें होल्डिंग टैक्स में रियायत भी दी जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

गर्मी के दिनों में शहर के जलस्तर में आती है कमी
राजधानी पटना भले ही गंगा नदी के किनारे बसा हो, लेकिन गर्मी के दिनों में शहर का जलस्तर (Water Level) काफी नीचे चला जाता है. जिसकी वजह से शहर वासियों को पानी की किल्लत होने लगती है. सरकार द्वारा लगातार जल संरक्षण को लेकर बातें तो कही जाती है. लेकिन धरातल पर कहीं यह अभियान दिखता नहीं है. लेकिन अब जब लगातार पानी का जलस्तर नीचे जा रहा है. तब निगम प्रशासन की नींद टूटी है और जितने भी निगम प्रशासन के सरकारी भवन हैं उनके आस-पास जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था शुरू कर दी गई है. निगम प्रशासन के क्षेत्र में सरकारी भवनों की बात करें तो मौर्या लोक, हिंदी साहित्य भवन कदमकुआं या फिर नूतन राजधानी अंचल कार्यालय के भवन में निगम प्रशासन द्वारा रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था शुरू कर दी गई है.

patna
रेन हार्वेस्टिंग

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का तरीका
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का जो तरीका है, उसको लेकर लगाने वाले इंजीनियर ने बताया कि सबसे पहले जमीन के अंदर 80 से 90 फीट बोरिंग की जाती है. जिसके बाद उसमें 4 इंच का पाइप डाला जाता है, जो जाली नुमा हो. साथ ही 5 से 10 फीट के लगभग 4 फीट की चौड़ाई के एक गड्ढे की खुदाई होती है. जिसमें ग्रेबुल, बालू, ईट डालकर छोड़ी जाती है. जिससे कि बारिश का पानी छत से नीचे आए तो सीधा इस गड्ढे में जाकर संचित हो सके. जमीन के नीचे बने टैंक में हर स्तर पर जाली में गंदगी छन जाये इसके लिए डाले गए ग्रेबुल ईट और बालू से छन कर यह पानी सीधे नीचे चला जाता है और हमारा वाटर लेवल बनाये रखता है. हिंदी साहित्य भवन में 4 टैंक बनाए गए हैं. तो वहीं नूतन राजधानी अंचल कार्यालय में भी चार टैंक ही बनाया गया है.

चार रेन वाटर टैंक की व्यवस्था
वहीं, जलजमाव से परेशान मौसम विभाग ने भी अपने कैंपस के अंदर चार रेन वाटर टैंक की व्यवस्था की है, ताकि उसे जलजमाव से निजात मिल सके. बरसात के दिनों में बारिश शुरू होते ही मौसम विभाग कैंपस के अंदर काफी जलजमाव की स्थिति बन जाती थी. जिससे आने जाने वाले कर्मचारियों की काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. जिसको ध्यान में रखकर मौसम विभाग ने अपने कैंपस के अंदर 4 टैंक रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बनाया है. ताकि बारिश का पानी इस टैंक के माध्यम से जमीन के अंदर चला जाए. मौसम विभाग के कर्मचारी गौतम कुमार बताते हैं कि छत और किचन का पानी भी इसी टैंक के माध्यम से अंदर जाता है. बाकी जो गंदा पानी है वह नाले के माध्यम से बाहर निकलता है.

Patna
मौसम विज्ञान विभाग

होल्डिंग टैक्स 25 से 30 फीसदी में रियायत
जल संरक्षण को लेकर निगम प्रशासन के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य आशीष सिन्हा बताते हैं कि पटना नगर निगम के विभिन्न कार्यालय हैं जो जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर निगम प्रशासन उन क्षेत्रों को भी चिह्नित कर रहा है, जो हमारे क्षेत्रों में आते हैं. जैसे कोई सरकारी भवन है या फिर स्कूल के भवन जल संरक्षण को लेकर निविदा कर दी गई है. उसके बाद काम में भी लगे हैं. आशीष सिन्हा ने कहा है कि यदि प्राइवेट मकान अपने छत का पानी संरक्षण करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करते हैं, तो निगम प्रशासन उन्हें होल्डिंग टैक्समें 25 से 30 फीसदी की रियायत देगा.

ये भी पढ़ें- पटना: रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए बिहार के स्कूलों में भी बन रही है संरचनाएं

जलजमाव वाले इलाके में फोकस
नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने बताया कि पहले हमारा फोकस जलजमाव वाले इलाके में रहा है. अब 20 से 25 जगह जलजमाव वाली रह गई है, वहां पर भी हमारी टीम कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि जहां जल संरक्षण का सवाल है तो हम सभी अपने भवनों का पानी संचित करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था कर रहे हैं.

पटना: पानी की बर्बादी अगर नहीं रोकी गई तो वह दिन दूर नहीं, जब हम बूंद-बूंद के लिए तरसेंगे. पानी को सुरक्षित रखना है तो हमें वर्षा जल का संचय (Rain Water Harvesting) करना होगा. वहीं, अब निगम प्रशासन ने फैसला लिया है कि जो लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करते हैं, उन्हें होल्डिंग टैक्स में 25 से 30 फीसदी की रियायत दी जाएगी.

ये भी पढ़ें- Muzaffarpur News: लगातार हो रही बारिश से इंडस्ट्रियल एरिया झील में तब्दील, उद्यमी परेशान

रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था
राजधानी वासियों को पानी के संकट से निजात दिलाने के लिए पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की तरफ से रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) की व्यवस्था शुरू की गई है. यानी निगम क्षेत्र में जितने भी सरकारी भवन हैं, उन भवनों का वर्षा का पानी को संचय करके जमीन के अंदर उसे संचित करने की प्रक्रिया में निगम प्रशासन लग गया है. आम लोगों से भी निगम प्रशासन की अपील है कि जल संरक्षण के लिए अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाएं. इसको लेकर निगम प्रशासन का दावा है कि यदि लोग अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाते हैं. तो निगम की तरफ से उन्हें होल्डिंग टैक्स में रियायत भी दी जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

गर्मी के दिनों में शहर के जलस्तर में आती है कमी
राजधानी पटना भले ही गंगा नदी के किनारे बसा हो, लेकिन गर्मी के दिनों में शहर का जलस्तर (Water Level) काफी नीचे चला जाता है. जिसकी वजह से शहर वासियों को पानी की किल्लत होने लगती है. सरकार द्वारा लगातार जल संरक्षण को लेकर बातें तो कही जाती है. लेकिन धरातल पर कहीं यह अभियान दिखता नहीं है. लेकिन अब जब लगातार पानी का जलस्तर नीचे जा रहा है. तब निगम प्रशासन की नींद टूटी है और जितने भी निगम प्रशासन के सरकारी भवन हैं उनके आस-पास जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था शुरू कर दी गई है. निगम प्रशासन के क्षेत्र में सरकारी भवनों की बात करें तो मौर्या लोक, हिंदी साहित्य भवन कदमकुआं या फिर नूतन राजधानी अंचल कार्यालय के भवन में निगम प्रशासन द्वारा रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था शुरू कर दी गई है.

patna
रेन हार्वेस्टिंग

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का तरीका
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का जो तरीका है, उसको लेकर लगाने वाले इंजीनियर ने बताया कि सबसे पहले जमीन के अंदर 80 से 90 फीट बोरिंग की जाती है. जिसके बाद उसमें 4 इंच का पाइप डाला जाता है, जो जाली नुमा हो. साथ ही 5 से 10 फीट के लगभग 4 फीट की चौड़ाई के एक गड्ढे की खुदाई होती है. जिसमें ग्रेबुल, बालू, ईट डालकर छोड़ी जाती है. जिससे कि बारिश का पानी छत से नीचे आए तो सीधा इस गड्ढे में जाकर संचित हो सके. जमीन के नीचे बने टैंक में हर स्तर पर जाली में गंदगी छन जाये इसके लिए डाले गए ग्रेबुल ईट और बालू से छन कर यह पानी सीधे नीचे चला जाता है और हमारा वाटर लेवल बनाये रखता है. हिंदी साहित्य भवन में 4 टैंक बनाए गए हैं. तो वहीं नूतन राजधानी अंचल कार्यालय में भी चार टैंक ही बनाया गया है.

चार रेन वाटर टैंक की व्यवस्था
वहीं, जलजमाव से परेशान मौसम विभाग ने भी अपने कैंपस के अंदर चार रेन वाटर टैंक की व्यवस्था की है, ताकि उसे जलजमाव से निजात मिल सके. बरसात के दिनों में बारिश शुरू होते ही मौसम विभाग कैंपस के अंदर काफी जलजमाव की स्थिति बन जाती थी. जिससे आने जाने वाले कर्मचारियों की काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. जिसको ध्यान में रखकर मौसम विभाग ने अपने कैंपस के अंदर 4 टैंक रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बनाया है. ताकि बारिश का पानी इस टैंक के माध्यम से जमीन के अंदर चला जाए. मौसम विभाग के कर्मचारी गौतम कुमार बताते हैं कि छत और किचन का पानी भी इसी टैंक के माध्यम से अंदर जाता है. बाकी जो गंदा पानी है वह नाले के माध्यम से बाहर निकलता है.

Patna
मौसम विज्ञान विभाग

होल्डिंग टैक्स 25 से 30 फीसदी में रियायत
जल संरक्षण को लेकर निगम प्रशासन के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य आशीष सिन्हा बताते हैं कि पटना नगर निगम के विभिन्न कार्यालय हैं जो जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर निगम प्रशासन उन क्षेत्रों को भी चिह्नित कर रहा है, जो हमारे क्षेत्रों में आते हैं. जैसे कोई सरकारी भवन है या फिर स्कूल के भवन जल संरक्षण को लेकर निविदा कर दी गई है. उसके बाद काम में भी लगे हैं. आशीष सिन्हा ने कहा है कि यदि प्राइवेट मकान अपने छत का पानी संरक्षण करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करते हैं, तो निगम प्रशासन उन्हें होल्डिंग टैक्समें 25 से 30 फीसदी की रियायत देगा.

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जलजमाव वाले इलाके में फोकस
नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने बताया कि पहले हमारा फोकस जलजमाव वाले इलाके में रहा है. अब 20 से 25 जगह जलजमाव वाली रह गई है, वहां पर भी हमारी टीम कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि जहां जल संरक्षण का सवाल है तो हम सभी अपने भवनों का पानी संचित करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था कर रहे हैं.

Last Updated : Jun 24, 2021, 10:01 PM IST
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