नई दिल्ली/पटना: यकीन नहीं होता लेकिन यह साफ हो गया है कि बिहार में कोरोना जांच के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आरोपों और राज्यसभा में मामला उठने के बाद जमुई के सिविल सर्जन डॉ. विजयेंद्र सत्यार्थी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और प्रतिरक्षण पदाधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके साथ ही बरहट और सिकंदरा पीएचसी के प्रभारी को भी निलंबित किया गया है. जानकारी के मुताबिक डीएम की अनुशंसा पर कार्रवाई की गई है.
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सीएम ने कही है जांच की बात
दिल्ली से पटना लौटे सीएम नीतीश कुमार से जब पटना एयरपोर्ट पर मीडिया कर्मियों ने कोरोना टेस्ट घोटाले को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सच्चाई क्या है नहीं पता लेकिन राज्यसभा में मामला उठा है. लिहाजा जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. बड़ी बात यह है कि नीतीश कुमार के पटना पहुंचने से पहले ही जमुई में अधिकारियों पर गाज गिर गई है.
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राज्यसभा में आरजेडी सांसद ने उठाया मुद्दा
तेजस्वी यादव ने आरोपों में क्या कहा है. यह बताएं उससे पहले यह जानना जरूरी है कि शुक्रवार को राज्यसभा में इसे लेकर क्या हुआ. दरअसल आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में कोरोना टेस्ट में खिलवाड़ किया गया है. उन्होंने घोटाले की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में फर्जी डाटा एंट्री की गई हैं. लिहाजा इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए.
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तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लगाया आरोप
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा. तेजस्वी ने आरोप लगाया गया है कि बिहार में फर्जी कोरोना टेस्ट दिखाकर नेता और अधिकारियों ने अरबों रुपये का घोटाला किया है.
तेजस्वी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से जो ट्वीट किया है उसमें उन्होंने लिखा है, "बिहार की आत्माविहीन भ्रष्ट नीतीश कुमार की सरकार के बस में होता तो कोरोना काल में गरीबों की लाशें बेच-बेचकर भी कमाई कर लेती."
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हमारे द्वारा जमीनी सच्चाई से अवगत कराने के बावजूद CM और स्वास्थ्य मंत्री बड़े अहंकार से दावे करते थे कि बिहार में सही टेस्ट हो रहे हैं।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 11, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
टेस्टिंग के झूठे दावों के पीछे का असली खेल अब सामने आया है कि फर्जी टेस्ट दिखाकर नेताओं और अधिकारियों ने अरबों रुपयों का भारी बंदरबांट किया है!
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टेस्टिंग के झूठे दावों के पीछे का असली खेल अब सामने आया है कि फर्जी टेस्ट दिखाकर नेताओं और अधिकारियों ने अरबों रुपयों का भारी बंदरबांट किया है!हमारे द्वारा जमीनी सच्चाई से अवगत कराने के बावजूद CM और स्वास्थ्य मंत्री बड़े अहंकार से दावे करते थे कि बिहार में सही टेस्ट हो रहे हैं।
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टेस्टिंग के झूठे दावों के पीछे का असली खेल अब सामने आया है कि फर्जी टेस्ट दिखाकर नेताओं और अधिकारियों ने अरबों रुपयों का भारी बंदरबांट किया है!
''एक अखबार की जांच में यह साफ हो गया है कि सरकारी दावों के उलट कोरोना टेस्ट हुए ही नहीं और मनगढ़ंत टेस्टिंग दिखा अरबों का हेर-फेर कर दिया.'' - तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
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क्या है मामला?
दरअसल, एक रिपोर्ट की मानें तो बिहार के खगाड़िया के रहने वाले एक शख्स ने दावा किया है कि लॉकडाउन के चलते हमारा काम बंद हो गया था. यहां से तीन महिलाओं को जांच के लिए ले जाया गया था. बिना जांच के ही तीनों की रिपोर्ट पॉजिटिव बता दिया गया. जिसके बाद इन्हें क्वॉरंटीन में रख दिया गया. हमने डीएम से इस मामले की शिकायत की तो उन्होंने जांच कराई और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद छोड़ दिया गया. उन्होंने स्वास्थकर्मियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना के छह पीएचसी में कोविड टेस्ट के 885 एंट्री की जांच की गई. इस दौरान खुलासा हुआ कि जिन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उनमें से अधिकतर मरीजों का मोबाइल नंबर गलत लिखा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जिला मुख्यालय में डाटा एंट्री स्टॉफ ने जमीनी स्तर पर काम करने वाले पीएचसी के कर्मचारियों को दोषी ठहराया है.
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आरोपों में दम है!
अब जब मामला सदन में उठा तो सीएम नीतीश कुमार के पटना पहुंचने से पहले ही जमुई में सिविल सर्जन सहित पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया. आनन-फानन में की गई कार्रवाई से ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं घोटाले के आरोपों में दम है. और शायद यही वजह है कि फिलहाल एक जिले में कार्रवाई की गई है.