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अस्पताल खुद बन रहे कोरोना के सुपर स्प्रेडर? तस्वीरों में देखिए लापरवाही की इंतेहा - आरटी-पीसीआर टेस्ट

कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लोग दहशत में हैं. अस्पतालों में लोगों की भीड़ बढ़ रही है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. अस्पतालों में कोविड गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अस्पताल खुद कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन सकते हैं?

Corona test center in patna
Corona test center in patna
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Published : Apr 28, 2021, 7:46 AM IST

Updated : Apr 28, 2021, 1:55 PM IST

पटना: क्या राजधानी के अस्पताल कोरोना संक्रमण फैला रहे है. आप सोच रहे होंगे कि ये सवाल क्यों? ये सवाल इसलिए क्योंकि, राजधानी के अस्पतालों की तस्वीर इन दिनों कुछ ऐसी ही है. कई कोरोना संक्रमित घरों से निकलकर खुद अस्पताल पहुंच रहे हैं. वे दूसरे मरीजों के साथ कतार में खड़े दिख रहे हैं. गलियारों और अस्पताल परिसर में भी लोगों के बीच बैठे दिख रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- RJD विधायक ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए दिए 1 करोड़ 35 लाख

तस्वीर नं. 1 : लोगों में कोरोना संक्रमण को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है. ऐसे में लोग कोरोना संक्रमण के लक्षण होते ही जांच कराने पहुंच जा रहे हैं. कोरोना मरीज को अन्य मरीजों के साथ ही लाइन में लगकर पर्चा कटवाना पड़ता है. जिससे संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है.

Corona test center in patna
तस्वीर नं. 1

तस्वीर नं. 2 : कोरोना जांच कराने आए मरीज भी अन्य मरीजों की बीच बैठकर इंतजार करते रहते हैं. उनके लिए अलग से बैठने की व्यवस्था नहीं है.

Corona test center in patna
तस्वीर नं. 2

तस्वीर नं. 3 : संभावित कोरोना मरीजों को भीड़ में बुलाकर कोरोना किट बांटा जाता है. जांच किट पाने के लिए मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ती है. जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है.

Corona test center in patna
तस्वीर नं. 3

तस्वीर नं. 4 : अस्पतालों में बदइंतजामी की वजह से मरीज और उनके परीजन इधर से उधर भटकते रहते हैं. जिससे भी संक्रमण का खतरा बना रहता है.

Corona test center in patna
तस्वीर नं. 4

तस्वीर नं. 5: सार्वजनिक स्थानों पर कोरोना जांच केंद्र बनाना भी खतरे को न्योता देने से कम नहीं. जांच कराने पहुंचे लोगों में से कई पॉजिटिव मिल रहे हैं ऐसे लोगों के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बना रहता है.

Corona test center in patna
तस्वीर नं. 5

तस्वीर नं. 6: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में कोरोना जांच के लिए जो केंद्र बनाया गया है, वह सार्वजनिक जगह पर है. पीएमसीएच में कैंटीन के ऊपरी तल्ले पर जांच की व्यवस्था की गयी है. जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

Corona test center in patna
तस्वीर नं.6

तस्वीर नं. 7: पीएमसीएच में डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और अन्य स्वास्थ्यकर्मी कैंटीन का प्रयोग करते हैं. इससे भी बढ़ा संक्रमण का खतरा.

Corona test center in patna
तस्वीर नं.7

तस्वीर नं. 8: पीएमसीएच के कैंटीन के ऊपर बनाया गया है कोरोना जांच केंद्र. कैंटीन जाने वालों पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

Corona test center in patna
तस्वीर नं.8

सार्वजनिक स्थान पर कोरोना जांच केंद्र
पीएमसीएच में डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और अन्य स्वास्थ्यकर्मी कैंटीन का प्रयोग करते हैं. मरीज के परिजन भी कैंटीन में खाते हैं. कोरोना जांच केंद्र पीएमसीएच कैंटीन के ठीक ऊपर है. ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

मुसीबत का सबब
पीएमसीएच में वर्तमान समय में 150 से अधिक डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं. जिसमें जूनियर डॉक्टरों की संख्या 50 से अधिक है. पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर अस्पताल के हॉस्टल में ही रहते हैं और दिन भर ड्यूटी करते हैं.

ऐसे में जब भी उन्हें समय मिलता है तो कुछ खाने-पीने के लिए कैंटीन में चले जाते हैं. पीएमसीएच में प्रतिदिन 400 से अधिक कोरोना का RT-PCR टेस्ट होता है जिसमें 200 से अधिक लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है. पीएमसीएच में जहां कोरोना टेस्ट होता है, उसके ठीक बगल में एक तरफ प्रिंसिपल का ऑफिस है तो दूसरी तरफ माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट का रास्ता है.

क्या कहते हैं चिकित्सक

  • पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी का कहना है कि कोरोना का जांच केंद्र ऐसे स्थानों पर होना चाहिए जहां दूसरे लोगों का आवागमन ना हो और जांच केंद्र पूरी तरह से वेंटिलेटेड हो.
  • इसके साथ ही टेस्टिंग सेंटर पर बैठने की व्यवस्था ऐसी हो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच की दूरी कम से कम 6 फीट हो.
  • सभी लोग आवश्यक रूप से मास्क का वहां प्रयोग करें और अगर संभव हो तो फेस शिल्ड का भी प्रयोग करें.
  • कॉमन एरिया में टेस्टिंग सेंटर नहीं होना चाहिए क्योंकि टेस्ट कराने पहुंचे लोगों में से काफी लोग संक्रमित पाए जाते हैं और इससे दूसरे लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.
  • अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता है, छींकता है या फिर बिना मास्क के बातें करता है तो उसका ड्रॉपलेट, सरफेस पर पड़ेगा. कई स्टडीज यह बताते हैं कि विभिन्न सरफेस पर कोरोना वायरस का ड्रॉपलेट्स 2 घंटे से लेकर 9 दिन तक एक्टिव मोड में रहता है.
  • आइसोलेटेड एरिया में जहां सस्पेक्टेड के अलावा दूसरे लोगों का आवागमन ना हो वहां पर कोरोना जांच केंद्र बनाया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- राजद के पूर्व विधायक विजय कुमार की कोरोना से मौत, पार्टी में शोक की लहर

यह भी पढ़ें- तेजस्वी यादव का छलका दर्द, कहा- 'इतना असहाय कभी अनुभव नहीं किया'

पटना: क्या राजधानी के अस्पताल कोरोना संक्रमण फैला रहे है. आप सोच रहे होंगे कि ये सवाल क्यों? ये सवाल इसलिए क्योंकि, राजधानी के अस्पतालों की तस्वीर इन दिनों कुछ ऐसी ही है. कई कोरोना संक्रमित घरों से निकलकर खुद अस्पताल पहुंच रहे हैं. वे दूसरे मरीजों के साथ कतार में खड़े दिख रहे हैं. गलियारों और अस्पताल परिसर में भी लोगों के बीच बैठे दिख रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

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तस्वीर नं. 1 : लोगों में कोरोना संक्रमण को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है. ऐसे में लोग कोरोना संक्रमण के लक्षण होते ही जांच कराने पहुंच जा रहे हैं. कोरोना मरीज को अन्य मरीजों के साथ ही लाइन में लगकर पर्चा कटवाना पड़ता है. जिससे संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है.

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तस्वीर नं. 1

तस्वीर नं. 2 : कोरोना जांच कराने आए मरीज भी अन्य मरीजों की बीच बैठकर इंतजार करते रहते हैं. उनके लिए अलग से बैठने की व्यवस्था नहीं है.

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तस्वीर नं. 2

तस्वीर नं. 3 : संभावित कोरोना मरीजों को भीड़ में बुलाकर कोरोना किट बांटा जाता है. जांच किट पाने के लिए मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ती है. जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है.

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तस्वीर नं. 3

तस्वीर नं. 4 : अस्पतालों में बदइंतजामी की वजह से मरीज और उनके परीजन इधर से उधर भटकते रहते हैं. जिससे भी संक्रमण का खतरा बना रहता है.

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तस्वीर नं. 4

तस्वीर नं. 5: सार्वजनिक स्थानों पर कोरोना जांच केंद्र बनाना भी खतरे को न्योता देने से कम नहीं. जांच कराने पहुंचे लोगों में से कई पॉजिटिव मिल रहे हैं ऐसे लोगों के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बना रहता है.

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तस्वीर नं. 5

तस्वीर नं. 6: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में कोरोना जांच के लिए जो केंद्र बनाया गया है, वह सार्वजनिक जगह पर है. पीएमसीएच में कैंटीन के ऊपरी तल्ले पर जांच की व्यवस्था की गयी है. जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

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तस्वीर नं.6

तस्वीर नं. 7: पीएमसीएच में डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और अन्य स्वास्थ्यकर्मी कैंटीन का प्रयोग करते हैं. इससे भी बढ़ा संक्रमण का खतरा.

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तस्वीर नं.7

तस्वीर नं. 8: पीएमसीएच के कैंटीन के ऊपर बनाया गया है कोरोना जांच केंद्र. कैंटीन जाने वालों पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

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तस्वीर नं.8

सार्वजनिक स्थान पर कोरोना जांच केंद्र
पीएमसीएच में डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और अन्य स्वास्थ्यकर्मी कैंटीन का प्रयोग करते हैं. मरीज के परिजन भी कैंटीन में खाते हैं. कोरोना जांच केंद्र पीएमसीएच कैंटीन के ठीक ऊपर है. ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

मुसीबत का सबब
पीएमसीएच में वर्तमान समय में 150 से अधिक डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं. जिसमें जूनियर डॉक्टरों की संख्या 50 से अधिक है. पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर अस्पताल के हॉस्टल में ही रहते हैं और दिन भर ड्यूटी करते हैं.

ऐसे में जब भी उन्हें समय मिलता है तो कुछ खाने-पीने के लिए कैंटीन में चले जाते हैं. पीएमसीएच में प्रतिदिन 400 से अधिक कोरोना का RT-PCR टेस्ट होता है जिसमें 200 से अधिक लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है. पीएमसीएच में जहां कोरोना टेस्ट होता है, उसके ठीक बगल में एक तरफ प्रिंसिपल का ऑफिस है तो दूसरी तरफ माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट का रास्ता है.

क्या कहते हैं चिकित्सक

  • पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी का कहना है कि कोरोना का जांच केंद्र ऐसे स्थानों पर होना चाहिए जहां दूसरे लोगों का आवागमन ना हो और जांच केंद्र पूरी तरह से वेंटिलेटेड हो.
  • इसके साथ ही टेस्टिंग सेंटर पर बैठने की व्यवस्था ऐसी हो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच की दूरी कम से कम 6 फीट हो.
  • सभी लोग आवश्यक रूप से मास्क का वहां प्रयोग करें और अगर संभव हो तो फेस शिल्ड का भी प्रयोग करें.
  • कॉमन एरिया में टेस्टिंग सेंटर नहीं होना चाहिए क्योंकि टेस्ट कराने पहुंचे लोगों में से काफी लोग संक्रमित पाए जाते हैं और इससे दूसरे लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.
  • अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता है, छींकता है या फिर बिना मास्क के बातें करता है तो उसका ड्रॉपलेट, सरफेस पर पड़ेगा. कई स्टडीज यह बताते हैं कि विभिन्न सरफेस पर कोरोना वायरस का ड्रॉपलेट्स 2 घंटे से लेकर 9 दिन तक एक्टिव मोड में रहता है.
  • आइसोलेटेड एरिया में जहां सस्पेक्टेड के अलावा दूसरे लोगों का आवागमन ना हो वहां पर कोरोना जांच केंद्र बनाया जाना चाहिए.

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Last Updated : Apr 28, 2021, 1:55 PM IST
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