पटना: कोरोना संक्रमण काल (Corona Pandemic) में भी इस बार सहकारिता विभाग (Cooperative Department) ने बिहार के किसानों से गेहूं की खरीदारी की है. सहकारिता विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने कहा कि किसानों की सहूलियत के लिए कॉल सेंटर स्थापित किया जायेगा.
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उन्होंने कहा कि किसानों से 4 लाख 56 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी की गयी है. इस दौरान कई जिलों में किसानों को पैक्स तक पहुंचने में काफी दिक्कत हुई. यही कारण है कि अब किसानों की सहायता के लिए विभाग ने कॉल सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया है. इससे किसानों को अपने फसल को बेचने में सहायता मिलेगी.
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वंदना प्रेयसी ने कहा कि इस बार सोशल मीडिया, फोन आदि के जरिये कई किसानों ने शिकायत दर्ज करायी थी. विभाग की ओर से हरसंभव उन शिकायतों का निपटारा करने का प्रयास किया गया. अब हम लोग धान खरीदी से पहले कॉल सेंटर स्थापित करेंगे. यदि किसानों को अपने उत्पाद बेचने या पेमेंट में में किसी प्रकार की दिक्कत होगी तो वह कॉल सेन्टर के माध्यम से विभाग से संपर्क कर उसका निदान पा सकेंगे.
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धान की रिकार्ड खरीद
सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा था कि इस साल 35.58 लाख मीट्रिक टन धान की रिकार्ड अधिप्राप्ति की गई और किसानों को 6737 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
नीतीश कुमार ने ट्वीट कर लिखा कि 'बिहार में धान एवं गेहूं की विकेन्द्रीकृत अधिप्राप्ति से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिला है. इस वर्ष 35.58 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की गई और किसानों को 6736 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है.
'पहले बिहार में गेहूं की खरीद नाम मात्र की होती थी. 12 जून की समीक्षा बैठक के बाद लगा कि 15 जून 2021 तक 3.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की अधिप्राप्ति हो जाएगी. परन्तु यह हर्ष का विषय है कि 15 जून 2021 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार, 4 लाख 56 हजार मीट्रिक टन गेहूं की रिकार्ड खरीद की गई है.'- नीतीश कुमार, सीएम
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MSP से कीमत पर गेहूं की खरीद
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार ने इस रबी सीजन में गेहूं के लिए एमएसपी 1,975 रूपये प्रति क्विंटल की दर पर घोषित कर रखा था. लेकिन किसान इसे 1600 से 1700 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचने के लिए मजबूर हैं.
सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से खुलासा होता है कि बिहार में देश के कुल गेहूं के उत्पादन का 5.7% हिस्सा है. इस साल किसानों ने 2,33,000 हेक्टेयर से अधिक की कृषि भूमि पर गेहूं की खेती की है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल 12 करोड़ की आबादी का तकरीबन दो-तिहाई हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. इनमे से अधिकांश छोटे और सीमान्त किसान हैं. इसके अलावा, कृषि गतिविधियों से संबंधित करीब-करीब दो-तिहाई हिस्सा बरसात पर निर्भर है.