पटना: सहकारिता विभाग की मदद से इस साल किसानों को काफी फायदा हुआ है. विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने बताया कि विभाग की ओर से पैक्सों के माध्यम से धान और गेहूं की अधिप्राप्ति की जाती है. उन्होंने कहा कि इस साल धान की रिकार्ड अधिप्राप्ति हुई है. इस बार 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की अधिप्राप्ति हुई है. प्रतिकूल परिस्थिति में भी करीब 99.85 प्रतिशत सीएमआर डिपाॅजिट हुआ है. इससे 2 लाख 79 हजार किसानों का फायदा पहुंचा है और 3,663 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान उनके खाते में किया गया है. वहीं, विभाग की ओर से रबी विपणन 2020 में हस्तक्षेप करने के कारण गेहूं का बाजार मूल्य काफी अच्छा रहा. इससे गेंहू की दर 1700 रूपये प्रति क्विटंल से बढ़कर 1900 रूपये प्रति क्विंटल हो गई. इससे किसानों को काफी फायदा हुआ और उन्हें डिस्ट्रेस सेलिंग नहीं करनी पड़ी.
272 करोड़ रूपये 3 लाख 76 हजार किसानों को मिले
सचिव वंदना प्रेयसी ने बताया कि बिहार राज्य फसल सहायता योजना में किसानों का कोई प्रीमियम नहीं देना पड़ता है. ये खरीफ और रबी दोनों सीजन में दिया जाता है. इसके अंतर्गत 272 करोड़ रूपये की राशि 3 लाख 76 हजार किसानों के बीच बांटी गयी है. खरीफ फसल के लिए अब तक रैयत और गैर रैयत किसानों को मिलाकर 28 लाख किसानों का आवेदन अब तक प्राप्त हो चुका है. साल 2019-20 के रबी फसल के लिए करीब 20 लाख किसानों ने आवेदन दिये हैं. इसमें 8.51 लाख किसान अहर्ता पूरी कर रहे हैं. अगले महीने से इनका भुगतान शुरु हो जायेगा. इंश्योरेंस स्किम का फायदा करीब 4 लाख किसानों को मिला है. विभाग में अब ऑनलाइन आवेदन लिये जाते हैं. किसी भी किसान को अब इन सब कामों के लिए ब्लॉक ऑफिस में जाकर लाइन में लगने की जरुरत नहीं पड़ती है. इस सॉफ्टवेयर के लिए कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया ने सहकारिता विभाग को एक्सीलेंस अवार्ड दिया है.
सब्जियों की प्रोसेसिंग और मार्केटिंग को लेकर योजना शुरू
सहकारिता विभाग की सचिव ने बताया कि विभाग ने सब्जियों की प्रोसेसिंग और मार्केटिंग को लेकर भी योजना शुरू की है. इसको लेकर वेजिटेबल फेडरेशन बनाया गया है. बिहार के 10 जिलों में ये योजना चल रही है. 4 करोड़ 63 लाख टर्न ओवर का लक्ष्य था. लेकिन मार्च के तीसरे सप्ताह में शुरु हुए लॉकडाउन से लेकर अभी तक 3.57 करोड़ का टर्नओवर हुआ है. अभी तक 1,973 मीट्रिक टन सब्जियों की बिक्री हुई है. मुख्यमंत्री का सपना है कि हर थाली में एक बिहारी व्यंजन हो. इसी को ध्यान में रखकर कार्य किया जा रहा है. आने वाले दिनों में इस योजना को पूरे बिहार में शुरू किया जायेगा और इसे स्वनिधि योजना से जोड़ा जायेगा. शहरी क्षेत्र के वेंडरों को सब्जी सीधे सप्लाई की जाएगी. इससे मिडिल मैन की भूमिका खत्म होगी और किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सकेगा.
डेयरीज, फिशरीज और वेजिटेबल फेडरेशन के किसानों को भी ऋण
सहकारिता सचिव ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी को-ऑपरेटिव बैंक ने 16 हजार 955 किसानों के बीच करीब 50 करोड़ रूपये के लोन बांटे हैं. अब कृषि के साथ-साथ डेयरीज, फिशरीज और वेजिटेबल फेडरेशन के किसानों को भी ऋण दिया जाएगा. आने वाले दिनों में बैंकों के माध्यम से मल्टी सर्विस सेंटर भी शुरू किया जा रहा है. बिहार का सहकारिता विभाग पहला विभाग है जिसने पूर्णता ई-ऑफिस शुरु कर दिया है. यहां सभी काम ई-ऑफिस के माध्यम से किये जाते हैं और फिजिकल फाइल को समाप्त कर दिया गया है.
शहद का एक अलग ब्रांड स्थापित करने की कोशिश
सहकारिता विभाग की सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में 439.05 करोड़ की लागत से राज्य के 2927 चयनित पैक्सों में कृषि संयंत्र स्थापित किया जाएगा. जिससे कि कृषि में आधुनिक तकनीक का प्रयोग सुनिश्चित हो सके. राज्य सरकार की ओर से पैक्सों को प्रति पैक्स 15 लाख रुपये की राशि 50 प्रतिशत अनुदान और 50 प्रतिशत ऋण के रुप में उपलब्ध कराई जाएगी. इसके साथ ही सहकारी समितियों के माध्यम से शहद के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन की महत्वाकांक्षी योजना शुरु की जा रही है. जिसके अंतर्गत शहद का एक अलग ब्रांड स्थापित कर शहद उत्पादकों को उनके उत्पादों की बिक्री हेतु केंद्र संचालित करने की योजना है.