पटना: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह (Bihar Education Minister Chandrashekhar) के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान के बाद राष्ट्रीय जनता दल और जदयू के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों दलों के नेता आमने-सामने हैं. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जदयू नेताओं के तेवर तल्ख हैं. जदयू नेता दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने सुधाकर सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
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शिक्षा मंत्री के बयान पर मचा है घमासान : गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. शिक्षा मंत्री के बयान पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी नाराजगी जाहिर की थी. शिक्षा मंत्री के खिलाफ ना तो अब तक कोई कार्रवाई हुई है ना ही शिक्षा मंत्री ने अपने वक्तव्य के लिए माफी मांगी है. 7 दिनों के महागठबंधन में दोनों बड़े दलों के नेता आमने-सामने हैं. वहीं, महागठबंधन के अन्य घटक दल पशोपेश में हैं. ज्यादातर दल शिक्षा मंत्री के बयान से कन्नी काटते दिख रहे हैं.
'संवैधानिक पदों पर बैठे नेता को विवादास्पद मुद्दे और बयान से बचना चाहिए. रामचरितमानस लोगों के भावनाओं से जुड़ा हुआ विषय है. और ऐसे बयान लोगों के भावनाओं को चोट पहुंचाती है. शिक्षा मंत्री को कायदे से खेद व्यक्त करना चाहिए.' - रामबाबू कुमार, वरिष्ठ नेता, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
'राजद और जदयू के बीच कोई विवाद नहीं है. सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है और महागठबंधन पूरी तरह मजबूत है.' - असित नाथ तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से माले की अलग राय : माले नेता कुणाल का मानना है कि- 'धार्मिक विषय पर अलग-अलग व्यक्ति की अलग-अलग राय हो सकती है. लेकिन ऐसे बयान से भाजपा जैसी पार्टी को राजनीतिक लाभ लेने का अवसर मिल जाता है.' हम पार्टी भी शिक्षा मंत्री के बयान से इत्तेफाक नहीं रखती है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्यामसुंदर शरण का मानना है कि- 'हमारे नेता लगातार कोआर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे थे. कोआर्डिनेशन कमेटी के जरिए ऐसी परिस्थितियों को टाला जा सकता था. जहां तक शिक्षा मंत्री के बयान का सवाल है तो शिक्षा मंत्री को ऐसे बयान से बचना चाहिए. राजनीति में किसी के भावनाओं को चोट पहुंचाना सही नहीं है.
क्या है रामचरितमानस विवाद ? : गौरतलब है कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया थे. उन्होंने पटना में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. चंद्रशेखर ने कहा था कि- 'एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस और तीसरे युग में गुरु गोलवरकर का 'बंच ऑफ थॉट्स' देश और समाज को नफरत में बांटते हैं.'