पटना: बिहार की राजनीति में जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President of JDU Parliamentary Board) उपेंद्र कुशवाहा की बयानों से गरमाई हुई है. सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ वो लगातार बोल रहे हैं लेकिन पार्टी की तरफ अभी तक कोई ठोस कार्रावई उनपर नहीं हुई है. अब इसको लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है. इसको लेकर जदयू के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक का कहना है कि जदयू में हिम्मत नहीं है किसी को उपेंद्र कुशवाहा को बाहर निकाल दें. उपेंद्र कुशवाहा के साथ पार्टी में कई लोग उनके साथ हैं.
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'किसी में हिम्मत नहीं है कि उपेंद्र कुशवाहा को निकाल दें' : 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू (Janata Dal United) के खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा की एंट्री करवाई थी. लेकिन 2 साल में ही उपेंद्र कुशवाहा ने बागी तेवर अपना लिया है. जदयू के कई नेता उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ बयान दे रहे हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, मंत्री अशोक चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ बयान दे रहे हैं. वहीं नीतीश कुमार भी एक तरफ जहां जल्द से जल्द पार्टी छोड़ने की सलाह उनको दे रहे हैं तो वहीं यह भी कह रहे हैं कि हम उनसे बहुत प्रेम करते हैं और उनको हमेशा मान-सम्मान दिया है, आगे बढ़ाया है.
उपेंद्र कुशवाहा के बयान से JDU में मचा घमासान : लेकिन पार्टी के अंदर उनके खिलाफ हो रही बयानबाजी के बाद पार्टी के कुशवाहा नेता एमएलसी रामेश्वर महतो उपेंद्र कुशवाहा के बचाव में खुलकर आ गए हैं. और अशोक चौधरी पर जमकर निशाना भी साथ रहे हैं. 3 दिनों में सोशल मीडिया पर तीन पोस्ट कर अशोक चौधरी पर सीधा निशाना साधा है और यह पार्टी के लिए नई चुनौती बढ़ाने वाला है. जदयू के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक का कहना है कि- 'जदयू में किसी की हैसियत नहीं है कि उपेंद्र कुशवाहा को बाहर निकाल सके.
'किसी की हैसियत है तो निकाल कर देख लें. कुशवाहा तो खुद कह रहे हैं कि पार्टी छोड़कर नहीं जाऊंगा. इसके बाद भी उन पर कोई नोटिस नहीं, कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. उनको पता है कि जो बात बोल रहे हैं, वह सही है. उनके बातों का जवाब देने की किसी में क्षमता नहीं है. कार्रवाई तो बहुत दूर की बात है. जनता दल यूनाइटेड की अब कोई नीति नहीं है. और कोई सिद्धांत नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा जैसा व्यक्ति जो समता पार्टी से जुड़ा रहा है, चाहता है कोई नीति और सिद्धांत हो. देश की जदयू ऐसी अकेली पार्टी है जिसके नेता अपने पार्टी के नेता को आगे बढ़ाने की बात नहीं कर रहे हैं, दूसरे पार्टी के नेता को आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं.' - अजय आलोक, पूर्व प्रवक्ता जदयू
'पार्टी में कई कुशवाहा नेता हैं इसीलिए उपेंद्र कुशवाहा के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सभी कुशवाहा नेता नीतीश कुमार के साथ खड़े हैं.' - वीरेंद्र कुमार, जदयू उपाध्यक्ष
'उपेंद्र कुशवाहा को लव-कुश समीकरण के तहत ही नीतीश कुमार ने पार्टी में लाया था. जदयू संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. एमएलसी भी बनाया है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा महत्वाकांक्षी आदमी हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनकी नजर है. और नीतीश कुमार ने जरूर आश्वासन दिया होगा जिससे उपेंद्र कुशवाहा की उम्मीद जगी होगी लेकिन जब आरजेडी के साथ गठबंधन बना और नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया तो निराशा का भाव पैदा हुआ होगा. अब जिस बॉल से आउट होता है उसी बॉल से नीतीश कुमार को आउट करने में लगे हैं तो जदयू में रहते हुए जदयू को बहुत नुकसान कर सकते हैं.' - अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
'नीतीश कुमार सोच रहे हैं आरसीपी सिंह को जिस प्रकार से अलग-थलग कर दिए, उपेंद्र कुशवाहा को भी कर देंगे. तो यदि वो उपेंद्र कुशवाहा को कमजोर समझने की भूल कर रहे हैं तो यह नीतीश कुमार के जीवन की राजनीति की ताबूत की अंतिम राजनीतिक कील होगी.' - अमित सिंह, आरसीपी सिंह के नजदीकी
JDU के लिए लव-कुश समीकरण है अहम : गौरतलब है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रहे आरसीपी सिंह को भी नीतीश कुमार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था और अब उपेंद्र कुशवाहा के लगातार पार्टी के खिलाफ जाकर बोलने पर साइड किया जा रहा है. लेकिन जो चर्चा है उनके अनुसार उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह के बीच नजदीकियां बढ़ सकती हैं. चर्चा ये भी है कि यदि आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा एक साथ आ जाते हैं तो लव कुश समीकरण बनाकर नीतीश कुमार के लिए चुनौती बढ़ा सकते हैं. हालांकि आरसीपी सिंह के नजदीकी कन्हैया सिंह का कहना है कि अभी कोई बातचीत हुई नहीं है.
JDU में हैं कई असंतुष्ट नेता : बता दें कि जदयू में कई असंतुष्ट नेता उपेंद्र कुशवाहा के साथ आ सकते हैं. अभी भले ही खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. लेकिन एमएलसी रामेश्वर महतो के बयान के बाद ऐसे नेताओं को बल मिला है और आने वाले चुनाव के समय यह पार्टी के लिए एक नई मुसीबत बन सकती है. यही कारण है कि बागी तेवर अपनाने के बाद भी उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ नीतीश कुमार कोई कार्रवाई करने से फिलहाल बच रहे हैं.