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अधर में बिहार के संविदा कर्मियों का भविष्य, आखिरकार कब लागू होगी चौधरी कमेटी की रिपोर्ट - कर्मियों को चौधरी कमेटी की रिपोर्ट लागू होने का इंतजार

बिहार में कार्यरत संविदा कर्मियों की बेहतरी के लिए नीतीश सरकार ने चौधरी कमेटी बनाई थी. जिसे कैबिनेट से मंजूरी भी मिल चुकी है, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया है. अब विपक्ष ने सरकार से इसे जल्द लागू करने की मांग की है. पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट...

कब लागू होगी चौधरी कमेटी की रिपोर्ट
कब लागू होगी चौधरी कमेटी की रिपोर्ट
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Published : Jul 22, 2021, 2:19 PM IST

पटना : बिहार में संविदा कर्मियों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. दरअसल नीतीश सरकार ने संविदा कर्मियों (Contract Workers In Bihar) के बेहतरी के लिए अशोक कुमार चौधरी कमेटी का गठन (Chaudhary Committee ) किया. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी लेकिन अब वो तक ठंडे बस्ते में है. रिपोर्ट लागू नहीं किये जाने से संविदा कर्मियों का भविष्य अधर में ही लटका है. उन्हें इंतजार है कि आखिरकार कब नीतीश सरकार की नींद खुलेगी.

इसे भी पढ़ें : बिहार के लाखों संविदा कर्मियों की मुसीबत बरकरार, सेवा शर्त लागू होने का है इंतजार

राज्य में संविदा कर्मी सालों भर अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन करते हैं. विधानसभा सत्र के दौरान संविदा कर्मी उग्र प्रदर्शन भी करते हैं. इस दौरान कई बार उन्हें पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी है. जिससे सदन में सरकार की फजीहत होती है. संविदा कर्मियों के आंदोलन से त्रस्त नीतीश कुमार ने एलान कर दिया था कि अब संविदा पर नियुक्ति नहीं होगी अब सिर्फ विभागों में अस्थाई नियुक्ति होगी.

देखें वीडियो

बिहार में शिक्षक, चिकित्सक, इंजीनियर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, आईटी ऑपरेटर, पशुपालन पदाधिकारी, आयुष चिकित्सक, सांख्यिकी सेवक सहायक, इंजीनियर और लेक्चरर संविदा पर कार्यरत हैं. सरकार ने संविदा कर्मियों के स्थायीकरण के लिए ठोस कदम उठाए थे. इनकी बेहतरी के लिए एके चौधरी कमेटी का गठन किया था.

24 अप्रैल 2015 को गठित चौधरी कमेटी को तीन महीने में रिपोर्ट देनी थी. कई बार कमेटी को सेवा विस्तार से मिला. कमेटी ने रिपोर्ट मुख्यमंत्री को 3 साल पहले सौंप दी है. 13 सितंबर 2018 को समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी. लेकिन अभी तक नीतीश सरकार ने कुछ करने की जहमत नहीं उठाई. मानसून सत्र शुरू होने वाला है. सत्र के दौरान भी संविदा कर्मियों की मांग जोर शोर से उठने की संभावना है. जिस लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी भी कर रखी है.

जानिए कमेटी की सिफारिश से संविदा कर्मियों को क्या होंगे फायदे
जानिए कमेटी की सिफारिश से संविदा कर्मियों को क्या होंगे फायदे

'बिहार सरकार संविदा कर्मियों को लेकर गंभीर नहीं है. उनके साथ लगातार ठगी कर रही है. 3 साल पहले रिपोर्ट आने के बाद भी सरकार संविदा कर्मियों के लिए कुछ नहीं कर सकी है. उल्टे फिर से संविदा पर नियुक्ति की जा रही है.' :- पूर्व मंत्री आलोक मेहता, राजद के वरिष्ठ नेता

इसे भी पढ़ें : पुलिस में संविदा पर बहाल चालकों की गुहार- बाल-बच्चों को देखो, ऐसे मत निकालो सरकार

वहीं जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि संविदा कर्मियों को लेकर सरकार गंभीर है. हमें इंतजार करना चाहिए समय आने पर जल्द ही इस मामले में फैसला लिया जाएगा. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और शिक्षाविद नवल किशोर यादव ने कहा है कि संविदा कर्मियों की मांग जायज है. चौधरी कमेटी ने रिपोर्ट भी सौंप दी है. बिहार सरकार को इस पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए.

वहीं इस पूरे मसले पर अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास ने कहा है कि शिक्षा स्वास्थ्य और गुणात्मक सुधार वाले क्षेत्र में संविदा पर भर्ती नहीं होनी चाहिए. अगर हमें बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा चाहिए तो वहां स्थाई नियुक्ति करने होंगे. संविदा कर्मियों ने असुरक्षा के भाव का भाव रहता है. जिस वजह से वह 100 प्रतिशत कार्य नहीं दे पाते हैं. सरकार को संविदा कर्मियों को लेकर सकारात्मक रुख रखना चाहिए.

ये भी पढ़ें : संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी मामले में पटना HC सख्त, तीन सप्ताह में मांगा जवाब

पटना : बिहार में संविदा कर्मियों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. दरअसल नीतीश सरकार ने संविदा कर्मियों (Contract Workers In Bihar) के बेहतरी के लिए अशोक कुमार चौधरी कमेटी का गठन (Chaudhary Committee ) किया. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी लेकिन अब वो तक ठंडे बस्ते में है. रिपोर्ट लागू नहीं किये जाने से संविदा कर्मियों का भविष्य अधर में ही लटका है. उन्हें इंतजार है कि आखिरकार कब नीतीश सरकार की नींद खुलेगी.

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राज्य में संविदा कर्मी सालों भर अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन करते हैं. विधानसभा सत्र के दौरान संविदा कर्मी उग्र प्रदर्शन भी करते हैं. इस दौरान कई बार उन्हें पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी है. जिससे सदन में सरकार की फजीहत होती है. संविदा कर्मियों के आंदोलन से त्रस्त नीतीश कुमार ने एलान कर दिया था कि अब संविदा पर नियुक्ति नहीं होगी अब सिर्फ विभागों में अस्थाई नियुक्ति होगी.

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बिहार में शिक्षक, चिकित्सक, इंजीनियर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, आईटी ऑपरेटर, पशुपालन पदाधिकारी, आयुष चिकित्सक, सांख्यिकी सेवक सहायक, इंजीनियर और लेक्चरर संविदा पर कार्यरत हैं. सरकार ने संविदा कर्मियों के स्थायीकरण के लिए ठोस कदम उठाए थे. इनकी बेहतरी के लिए एके चौधरी कमेटी का गठन किया था.

24 अप्रैल 2015 को गठित चौधरी कमेटी को तीन महीने में रिपोर्ट देनी थी. कई बार कमेटी को सेवा विस्तार से मिला. कमेटी ने रिपोर्ट मुख्यमंत्री को 3 साल पहले सौंप दी है. 13 सितंबर 2018 को समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी. लेकिन अभी तक नीतीश सरकार ने कुछ करने की जहमत नहीं उठाई. मानसून सत्र शुरू होने वाला है. सत्र के दौरान भी संविदा कर्मियों की मांग जोर शोर से उठने की संभावना है. जिस लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी भी कर रखी है.

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'बिहार सरकार संविदा कर्मियों को लेकर गंभीर नहीं है. उनके साथ लगातार ठगी कर रही है. 3 साल पहले रिपोर्ट आने के बाद भी सरकार संविदा कर्मियों के लिए कुछ नहीं कर सकी है. उल्टे फिर से संविदा पर नियुक्ति की जा रही है.' :- पूर्व मंत्री आलोक मेहता, राजद के वरिष्ठ नेता

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वहीं जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि संविदा कर्मियों को लेकर सरकार गंभीर है. हमें इंतजार करना चाहिए समय आने पर जल्द ही इस मामले में फैसला लिया जाएगा. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और शिक्षाविद नवल किशोर यादव ने कहा है कि संविदा कर्मियों की मांग जायज है. चौधरी कमेटी ने रिपोर्ट भी सौंप दी है. बिहार सरकार को इस पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए.

वहीं इस पूरे मसले पर अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास ने कहा है कि शिक्षा स्वास्थ्य और गुणात्मक सुधार वाले क्षेत्र में संविदा पर भर्ती नहीं होनी चाहिए. अगर हमें बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा चाहिए तो वहां स्थाई नियुक्ति करने होंगे. संविदा कर्मियों ने असुरक्षा के भाव का भाव रहता है. जिस वजह से वह 100 प्रतिशत कार्य नहीं दे पाते हैं. सरकार को संविदा कर्मियों को लेकर सकारात्मक रुख रखना चाहिए.

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