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7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की बनेगी सूची, दिया जाएगा यूनिक नंबर, जानें पूरी प्रक्रिया

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Published : Jan 6, 2023, 6:29 PM IST

लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार बिहार में जातीय जनगणना (caste census in Bihar) होने जा रहा है. दो चरणों में होने वाली गणना को लेकर बिहार पूरी तरह से तैयार है. पहले चरण में घरों की गिनती और दूसरे चरण में जातियों की गिनती होगी. कैसे गणना का काम पूरा होगा जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..

Nitish kumar government caste census
Nitish kumar government caste census

पटना: राज्य में जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census 2023) की शुरुआत 7 जनवरी से होने जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से तैयारियों को लेकर सभी जिलों के साथ समीक्षा बैठक की गई है. जातीय गणना कार्य में कर्मियों का प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो गया है. पूरे राज्य में करीब दो लाख कर्मी जातीय गणना में लगेंगे. इसमें शिक्षक, विकास मित्र, आंगनवाड़ी सेविका समेत सभी स्तर के कर्मी शामिल हैं. पहले पूरे राज्य में मकानों की गणना की जाएगी और इसकी रिपोर्ट आने के बाद फिर लोगों की गणना जाति के आधार पर की जाएगी. (Nitish kumar government caste census) (Complete details of caste census in Bihar)

ये भी पढ़ें- बिहार में जातीय जनगणना टालने का बहाना खोज रही नीतीश सरकार: सुशील मोदी

पहले चरण में मकानों की गणना: जाति आधारित गणना के लिए 7 जनवरी से 21 जनवरी तक पहले फेज में मकानों की गणना की जाएगी. सभी मकानों को यूनिक नंबर दिया जाएगा. राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में यह काम शुरू हो जाएगा. इसके लिए कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है.उन्हें भरने के लिए प्रपत्र भी दिया गया है, जिसमें जिला, प्रखंड, नगर निकाय का जिक्र करना होगा.

प्रपत्र में भरनी होगी ये जानकारियां: प्रशिक्षित कर्मचारियों को फॉर्म में नगर और ग्राम भरना होगा. इसके साथ ही ब्लॉक संख्या, भवन संख्या, मकान संख्या भरना होगा. जिस उद्देश्य के लिए मकान का उपयोग किया जा रहा है उसके बारे में जानकारी देनी होगी. प्रपत्र में परिवार की संख्या का जिक्र करना होगा. साथ ही परिवार के मुखिया का नाम, कुल सदस्यों की संख्या और परिवार का क्रम संख्या बताना होगा. दौरे की तिथि का जिक्र करना होगा और परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर भी लेना होगा.

प्रपत्र में भरनी होगी ये जानकारियां
प्रपत्र में भरनी होगी ये जानकारियां


जाति आधारित गणना के लिए अब तक क्या क्या हुआ: सीएम नीतीश कुमार राज्य में जाति आधारित जनगणना के कराने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे थे. 23 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सर्वदलीय शिष्टमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था. केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराने से इनकार कर दिया लेकिन राज्यों को करने की छूट दी गई. मुख्यमंत्री ने सभी दल के नेताओं के साथ जाति आधारित गणना को लेकर बैठक की. 2 फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. कैबिनेट की बैठक में 2 जून 2022 को जाति आधारित गणना का फैसला लिया गया और ₹500 करोड़ की व्यवस्था की गई. 6 जून 2022 को सामान्य प्रशासन विभाग ने जाति आधारित गणना के लिए अधिसूचना जारी की. सामान्य प्रशासन विभाग नोडल विभाग और सभी जिला के डीएम इसके नोडल पदाधिकारी बनाए गए. मुख्य सचिव के स्तर पर कई राउंड की बैठक हुई. जाति आधारित गणना के लिए एप भी विकसित किया गया है. साथ ही सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी किया गया है. 7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की सूची तैयार होगी और सभी मकानों को यूनिक नंबर दिया जाएगा. गणना कर्मियों को 9 प्रकार के प्रपत्र उपलब्ध कराए गए हैं.



2 लाख कर्मी करेंगे जातीय गणना: पटना जिले में लगभग 80 लाख आबादी की जाति आधारित गणना होगी और यह कार्य 14817 कर्मचारी करेंगे. 2121 कर्मचारी ऐसे होंगे जो गणना की निगरानी करेंगे.। पटना जिले में 23 प्रखंडों 11 नगर परिषद 5 नगर पंचायत और 6 नगर निगम क्षेत्र के अंचल में जाति आधारित गणना होगी. इसके लिए 45 क्षेत्र बनाए गए हैं. गणना प्रपत्र और मोबाइल ऐप के माध्यम से प्रत्येक परिवार के सदस्य का आंकड़ा एकत्रित होगा जो बिहार राज्य जाति आधारित गणना प्रबंधन एवं प्रबोधन पोर्टल पर बेल्ट्रॉन के सर्वर पर एकत्रित होगा.


दो चरणों में होगी बिहार में जातीय जनगणना: जाति आधारित गणना को लेकर बिहार में सियासत भी खूब हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा जनगणना जाति के आधार पर नहीं कराए जाने को लेकर जमकर निशाना भी साधा गया है. यह भी कहा जाता रहा कि जब जानवर की गिनती हो सकती है तो आदमी की क्यों नहीं. देश में अंतिम बार 1931 में जाति आधारित गणना की गई थी. उसके बाद sc-st की गणना की जाती है लेकिन अन्य जातियों की गणना नहीं की जाती है. कुछ राज्यों ने जाति आधारित गणना करवाई थी लेकिन उसे प्रकाशित नहीं किया. 2011 में केंद्र सरकार ने भी जनगणना कराई थी. जाति को शामिल किया गया था लेकिन उसमें कई तरह की त्रुटियां थी इसलिए वह भी प्रकाशित नहीं हुआ. बिहार पहला राज्य होगा जो जाति आधारित गणना इतने बड़े पैमाने पर करा रहा है.


पटना: राज्य में जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census 2023) की शुरुआत 7 जनवरी से होने जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से तैयारियों को लेकर सभी जिलों के साथ समीक्षा बैठक की गई है. जातीय गणना कार्य में कर्मियों का प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो गया है. पूरे राज्य में करीब दो लाख कर्मी जातीय गणना में लगेंगे. इसमें शिक्षक, विकास मित्र, आंगनवाड़ी सेविका समेत सभी स्तर के कर्मी शामिल हैं. पहले पूरे राज्य में मकानों की गणना की जाएगी और इसकी रिपोर्ट आने के बाद फिर लोगों की गणना जाति के आधार पर की जाएगी. (Nitish kumar government caste census) (Complete details of caste census in Bihar)

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पहले चरण में मकानों की गणना: जाति आधारित गणना के लिए 7 जनवरी से 21 जनवरी तक पहले फेज में मकानों की गणना की जाएगी. सभी मकानों को यूनिक नंबर दिया जाएगा. राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में यह काम शुरू हो जाएगा. इसके लिए कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है.उन्हें भरने के लिए प्रपत्र भी दिया गया है, जिसमें जिला, प्रखंड, नगर निकाय का जिक्र करना होगा.

प्रपत्र में भरनी होगी ये जानकारियां: प्रशिक्षित कर्मचारियों को फॉर्म में नगर और ग्राम भरना होगा. इसके साथ ही ब्लॉक संख्या, भवन संख्या, मकान संख्या भरना होगा. जिस उद्देश्य के लिए मकान का उपयोग किया जा रहा है उसके बारे में जानकारी देनी होगी. प्रपत्र में परिवार की संख्या का जिक्र करना होगा. साथ ही परिवार के मुखिया का नाम, कुल सदस्यों की संख्या और परिवार का क्रम संख्या बताना होगा. दौरे की तिथि का जिक्र करना होगा और परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर भी लेना होगा.

प्रपत्र में भरनी होगी ये जानकारियां
प्रपत्र में भरनी होगी ये जानकारियां


जाति आधारित गणना के लिए अब तक क्या क्या हुआ: सीएम नीतीश कुमार राज्य में जाति आधारित जनगणना के कराने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे थे. 23 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सर्वदलीय शिष्टमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था. केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराने से इनकार कर दिया लेकिन राज्यों को करने की छूट दी गई. मुख्यमंत्री ने सभी दल के नेताओं के साथ जाति आधारित गणना को लेकर बैठक की. 2 फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. कैबिनेट की बैठक में 2 जून 2022 को जाति आधारित गणना का फैसला लिया गया और ₹500 करोड़ की व्यवस्था की गई. 6 जून 2022 को सामान्य प्रशासन विभाग ने जाति आधारित गणना के लिए अधिसूचना जारी की. सामान्य प्रशासन विभाग नोडल विभाग और सभी जिला के डीएम इसके नोडल पदाधिकारी बनाए गए. मुख्य सचिव के स्तर पर कई राउंड की बैठक हुई. जाति आधारित गणना के लिए एप भी विकसित किया गया है. साथ ही सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी किया गया है. 7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की सूची तैयार होगी और सभी मकानों को यूनिक नंबर दिया जाएगा. गणना कर्मियों को 9 प्रकार के प्रपत्र उपलब्ध कराए गए हैं.



2 लाख कर्मी करेंगे जातीय गणना: पटना जिले में लगभग 80 लाख आबादी की जाति आधारित गणना होगी और यह कार्य 14817 कर्मचारी करेंगे. 2121 कर्मचारी ऐसे होंगे जो गणना की निगरानी करेंगे.। पटना जिले में 23 प्रखंडों 11 नगर परिषद 5 नगर पंचायत और 6 नगर निगम क्षेत्र के अंचल में जाति आधारित गणना होगी. इसके लिए 45 क्षेत्र बनाए गए हैं. गणना प्रपत्र और मोबाइल ऐप के माध्यम से प्रत्येक परिवार के सदस्य का आंकड़ा एकत्रित होगा जो बिहार राज्य जाति आधारित गणना प्रबंधन एवं प्रबोधन पोर्टल पर बेल्ट्रॉन के सर्वर पर एकत्रित होगा.


दो चरणों में होगी बिहार में जातीय जनगणना: जाति आधारित गणना को लेकर बिहार में सियासत भी खूब हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा जनगणना जाति के आधार पर नहीं कराए जाने को लेकर जमकर निशाना भी साधा गया है. यह भी कहा जाता रहा कि जब जानवर की गिनती हो सकती है तो आदमी की क्यों नहीं. देश में अंतिम बार 1931 में जाति आधारित गणना की गई थी. उसके बाद sc-st की गणना की जाती है लेकिन अन्य जातियों की गणना नहीं की जाती है. कुछ राज्यों ने जाति आधारित गणना करवाई थी लेकिन उसे प्रकाशित नहीं किया. 2011 में केंद्र सरकार ने भी जनगणना कराई थी. जाति को शामिल किया गया था लेकिन उसमें कई तरह की त्रुटियां थी इसलिए वह भी प्रकाशित नहीं हुआ. बिहार पहला राज्य होगा जो जाति आधारित गणना इतने बड़े पैमाने पर करा रहा है.


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